मिथिलांचल टुडे मैथिलि पत्रिका

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गुरुवार, 29 नवंबर 2012

मैथिली रंगमंच पर महिलाक स्थिति

मैथिली रंगमंच पर महिलाक स्थिति 


मैथिली रंग-मंच पर महिलाक स्थिति पहिने से बेहतर भेल अछि, मुदा एखनो एकरा बेहतर नहि कहल जा सकैत अछि। मैथिली रंगमंच आइ अपन उन्‍नतिक बाट पर अछि। मैथिली नाटकक मंचन एकटा काल अंतराल मे देखबा लेल भेट रहल अछि। पुरान डीह जरूर नष्‍ट बा कमजोर भ गेल, मुदा नवका दलान अपन भूमिका स मैथिली नाटकक भविष्‍य कए प्रकाशवान केने अछि। एहन मे मैथिली नाटक मे महिला क भागीदारी आ योगदान पर चर्च आवश्‍यक भ गेल अछि। आइ जेना आन भाषाक नाटक मे महिला क भागीदारी देखबा मे भेट रहल अछि, ओहि अनुपात मे मैथिली मंच पर महिला क उपस्थिति एखनो बहुत कम अछि। किछु महिला जे मंच तक पहुंचलथि अछि ओ टीवी आ सिनेमा दिस बेसी सक्रिय भ गेल छथि। नव कलाकार कए सेहो टीवी चैनल बझेबा मे लागल रहैत अछि, एहन मे मैथिली नाटक नीक नवोदित कलाकार क सदिखन बाट तकैत आयल अछि आ एखनो ताकि रहल अछि। - नीलू कुमारी ( विशेष संवाददाता, मिथिलांचल टुडे )


किया नहि अछि नीक स्थिति :
 महिलाक स्थिति त अन्यान्यभाषक रंगमंच पर सेहो नीक नहि अछि मुदा मैथिली सबस पाछु अछि। अन्यान्य भाषक महिलाकर्मी द्वेष भावना स ऊपर उठि समूह क संग काज करैत आगाँ बढैत रहलीह ताहि लेल हुनकर स्थिति मैथिली स नीक अछि। मिथिला मे जे महिला हिम्मत क कए एक्को डेग बढाबैत छथि त आन सब हुनका पकैड़ि कए दू डेग पांछा कए दैत अछि। समूह भावनाक सर्वथा आभाव त अछि संगहि सामाजिक प्रतारणा आ उलहन हुनकर मनोबल कए आर तोड़ि कए राखि दैत अछि। मैथिली रंगमंच पर महिला क उपस्थिति तखने बढत जखन महिला व्यक्तिगत स्वार्थ स ऊपर उठि समूह भावना मे काज करैत आ हुनकर घरक लोक सब आ समाज सेहो हुनकर एही काज कए सराहना करत।
नाटक मे मिथिलानी : मैथिली रंगमंच पर महिला क आधारित कतेको नाटक लिखल गेल आ मंचन कैल गेल मुदा महिलाक स्थिति मे कोनो सुधार नहि क सकल। फेर चाहे ओ 1905 मे जीवन झाक लिखल ‘सुन्दर संयोग’ हो वा गोविन्द झाक बसात, कनिया-पुतरा, मधुयामिनी या सातम चरित्र, ओ फेर जगदीश प्रसाद मंडलक लिखल ‘मिथिलाक बेटी’ हो वा झामेलियाक बियाह, बेचन ठाकुर क बेटीक अपमान वा छिनारदेवी हो, आनंद झाक धधायत नबकी कनियाक लहास, सबटा मे महिलाक चरित्र कए केंद्र मे रखाल गेल अछि। बहुत रास नाटक क मंचन सेहो भेल छल मुदा महिलाक कमी क कारण कतेक नाटक मे महिला कलाकार क भूमिका पुरुष केलथि। मुदा समय क संग किछु माहौल बदलल आ मैथिली रंगमंच पर महिलाक खगता कम होइत गेल।

निर्देशन मे सेहो :
 मैथिली रंगमंच पर महिलाक निरंतरता लेल रंगमंचक निर्देशक सेहो महती भूमिका निभा रहल छथि। ओ नहि केवल महिलाक रंगमंचक सकारात्मक पक्ष स अवगत करा रहल छथि बल्कि हुनकर प्रतिभा कए बुझैत हुनकर भीतरक कलाकार कए सेहो जगा रहल छथि। ओना रंगमंच पर जे महिला स्थिति आइ सकारात्‍मक रूप स बढल अछि तहि मे सबस बेसी योगदान निर्देशक सब कए जाइत अछि। प्रकाश झा सन किछु निर्देशक समाज स लड़ि कए उलहन उपराग सुनि कए रंगमंच स महिला कए जोडि रहल छथि। एही कड़ी मे श्‍याम भाष्‍कर, संजयजी, अक्‍कू, बेचन ठाकुर आदि निर्देशक क नाम सेहो प्रमुखता स लेल जा सकैत अछि। इ सब नित-प्रतिदिन महिला कलाकार कए बढ़ावा द रहल छथि। आइ महिलाक रंगमंच स सिनेमा दिस झुकाव एहि निर्देशक सबहक सबस पैघ सफलता आ चिंता दूनू अछि।
मैथिली रंगमंच पर महिलाक : एहि संबंध मे एखन धरि कोनो तथ्य परक सूचना त नहि अछि मुदा वरीष्ठ रंगकर्मी आ साहित्यकार विभूति आनन्द लिखैत छथि जे हुनकर गाम शिवनगर, जिला मधुबनी मे पहिल बेर 25 अक्टूबर, 1956 मे एकटा मैथिली नाटक महाराणा प्रताप क मंचन भेल छल, जाही मे दूटा मैथिल महिला कलाकार मंच पर उतरल छलीह। सोनादाइ आ सुधा कण्ठ नामक महिला मैथिली रंगमंचक इतिहास कए एकटा नव आयाम देलथि। मैथिली रंगमंच पर महिलाक ई संभवत: पहिल पदार्पण छल। ओकर बाद 1958 मे सुभद्रा झा मैथिली रंगमंचक इतिहास मे एकटा सशक्त हस्ताक्षर भेलीह जे बाद मे जा कए मीलक पाथर साबित भेलीह। ओना त भंगिमा आ अरिपण आदि रंगमंच पर अनके महिला कलाकार उपस्थित भेलीह, जाही मे प्रेमलता मिश्र ‘प्रेम’ सर्वाधिक उल्लेखनीय छथि। कलकत्ता मे सेहो अनेक बेर कतेक महिला कलाकार एलीह, कतेको त मैथिल नहिंयो रहैत मैथिली सीखी रंगमंच पर एलीह आ हुनका देखि बहुतरास महिलाक झुकाव एही दिशा मे भेल आ हुनके सबहक प्रयास स एही शीर्ष पर पहुंचलनि। आइ मैथिली रंगमंच महिलाक उपस्थिति स भरल पुरल अछि आ दिन दूना राति चौगुना, उतरोत्तर वृद्धि कए रहल अछि।
सामाजिक परंपरा रोकि रहल अछि बाट : मिथिला मे महिलाक अर्थ होएत अछि एक हाथ घोघ दोसर हाथ बच्‍चाक आंगुर। एहन स्त्री जे उम्र धरि अपन घरक चौखट नहि नांघने होए। एक त मिथिला मे स्त्रीक लेल कतेक सामाजिक धारणा आ दोसर नारीक प्रति पूर्वाग्रह हुनका अपन चौखट स पार नहि आबी दैत छैक दोसर सामाजिक उलहन आ अनुराग स ग्रसित भ मन भेला पर सेहो नहि आबि सकैत अछि। अखनो कतेक रास मिथिलानी प्रतिभा रहितो जे अपन घरक चौखट नहि नांघि पबैत अछि तकर सबसे पैघ कारण अछि हमर संस्कार आ सामजिक बंधन क देखावा। मुदा तखनो बदलैत जमानाक संग मिथिला बदलि रहल अछि आ मिथिलानी आब सेहो सशक्त भ रहल छथि। आब ओ नहि खालि अपन घरक चौखट नांघि कए सार्वजानिक मंच पर आबि रहल छथि बल्कि मंच पर स्थापित सेहो भ रहल छथि।
की अछि संभावना : संभावना क सवाल पर ढेर रास मिथिलानी जे मैथिली रंगमंच स जुडल छथि एक स्वर मे कहैत छथि जे “मैथिली रंगमंचक पर महिलाक स्थिति आब सुदृढ़ अछि आ दिन प्रतिदिन एही मे उतरोत्तर विकास भ रहल अछि। मिथिलानी आब रंगमंच स ऊपर उठि सिनेमा मे सेहो अपन भविष्य बना रहल छथि। मुदा ई मैथिली रंगमंचक दुर्भाग्य अछि जे एखन धरि महिला कलाकार पूर्ण रूप स व्यावसायिक रंगमंच क हिस्‍सा नहि भ सकलथि अछि। जे हिनकर विकासक क्रम मे सबसे पैघ रोड़ा अछि। कोनो कलाकारक स्थिति तखने सुधरत जेखन ओ व्यावसायिक होएत। रंगमंच पर खाली फ़ोकट क मनोरंजन आ समय बितेबाक साधन मात्र बुझला स कलाकारक विकास कखनो नहि होएत। संगठन क संग निर्देशक सब कए सेहो एही मे सहयोग करबाक चाही। मैथिलानी तखने आन भाषा-भाषाई रंगमंच संग डेग स डेग मिला कए चलि सकतीह अछि जखन ओ व्यावसायीकरण क हिस्‍सा बनतीह।
( मिथिलांचल  टुडे प्रकाशित  अंक  2  में )
भवदीय:-
नीलू कुमारी ( विशेष संवाददाता, मिथिलांचल टुडे )

सोमवार, 26 नवंबर 2012


  दरभंगा,  25 नवम्बर (मिआसं)। तृदिवसीय मिथिला विभूति पर्वक शुभारम्भ सोमकेँ एमएलएसएम कालेजक परिसरमे भेल। एहि अवसरपर स्वास्थय मंत्री अश्वनी कुमार चौबे दीप जरा कार्यकर्मक शुभारम्भ केलनि। एकरा बाद ओ बाबा विद्यापति, आर्चाय सुरेन्द्र झा सुमन आ बाबा नागार्जुनक प्रतिमापर माल्यापर्ण के लनि। कार्यकर्मक शुरूआत बाबा विद्यापतिक गोसाउनिक रचना ‘जय-जय भैरवीसँ’ डा. ममता ठाकुर केलनि। पाहुन सभक स्वागतमे सुषमा झा ‘मंगल मय दिन आजु हे पाहुन छथि आएल’ गीत गौलनि। स्वागत भाषण करैत एलएनएमयू केर कुलपति समरेन्द्र प्रताप सिंह कहलनि जे बाबा विद्यापति अवहट्ट भाषामे रचना कऽ मैथिली भाषाकेँ देश-विदेश भरिमे प्रस्द्धि देयौलनि। हुनकर गीतमे कतौ राधा-कृष्णक श्रृंगार देखबा लेल भेटैत अछि तँ कतौ प्रेमी-प्रेमीकाक विरह। संस्थानक महासचिव एहि अवसरपर राज्य सरकारसँ माङ केलनि जे राज्यक एक मात्र भाषा मैथिलीमे विद्यालयसँ लऽ उच्च स्तरीय धरि शीक्षा भेटक चाही।

बिहारी हेबा सँ पहिने मैथिल छी: विनोद ना. झा

मिथिला विभूति पर्वक अवसरपर बेनीपट्टी विधायक विनोद नारायण चौधरी कहलनि जे मिथिला वासी बिहारी हेबासँ पहिने मैथिल छथि। ओ कहलनि जे मिथला आइ धरि विकास नञि केलक एहिमे दुनू पक्षक दोष अछि। राज्य सरकार कतेक करत। जा धरि मिथिला वासी नञि जगता ता धरि उचित सम्मान नञि भेटत। ओ कहलनि मिथिला वासी बेसीक चाह नञि करै छथि। जहिना बंङालमे बङालीकेँ, असममे असमियाकेँ , पञ्जाबमे पञ्जाबीकेँ , महराष्ट्रमे मराठीकेँ आ अन्य राज्यक भाषाकेँ  अपना राज्यमे भेटैत अछि तहिना मैथिलीकेँ  मिथिलामे सेहो भेटक चाही।

आठ गोटेकेँ  कएल गेल सम्मानित

एहि अवसरपर विद्यापती सेवा संस्थान द्वारा आठ गोट विभूतीकेँ मिथिला रत्नसँ सम्मानित कएल गेल। एहि मे स्व. दरबारी दास, डा. शिवकान्त पाठक, डा. वीणा ठाकुर, रमाकान्त राय रमा, डा. किशोर नाथ झा, डा. चन्द्रमोहन झा, डा. मोहन मिश्र, श्रीमती शौम्य साह छथि। उल्लेखनीय अछि जे संस्थान प्रत्येक बरख मिथला रत्नसँ विद्वान सभकेँ  सम्मानित करैत अछि।

सोमवार, 19 नवंबर 2012

घोटालाबला पाइ (हास्य कविता)


घोटालाला पा
                         (हास्य कविता)


ई पोटरी त हमरा सँ 
उठने नहि उठि रहल अछि 
कनेक अहूँ जोड़ लगा दिय भाई 
ई छी घोटालावला पाई।

हम पूछलियन ई की छी 
ओ हमरा कान में कहलनि
कोयला बेचलाहा सभटा रुपैया 
हम एही पुत्री में रखने छि .

हमरा सात पुस्त लोकक गुजर
एही रुप्पैया स चली जायत
हम धरती में पैर नहीं रोपाब आई 
इ छि घोटालावला पाई।

चुपेचाप थोड़ेक अहूँ लिय 
मुदा केकरो सँ कहबई नहि भाई 
सरकारी संपित हम केलियई राई-छाई 
इ छि घोटालावला पाई।

कोयला भूखंडक बाँट-बखरा दुआरे
मंत्रिमंडल के सर्जरी भेल 
लोक हो-हल्ला केलक मुदा 
कोयला दलाली के नफ्फा हमरे ता भेल।

फेर मंत्री पद भेटैत की नहि?
ताहि दुआरे चुपेचाप पोटरी बनेलौहं 
सभटा अपने नाम केने छि भाई 
ई छी घोटालावला पाई।

देखावटी दुआरे सरकारी खजाना  पर 
बड़का-बड़का ताला लटकने छि 
मुदा राति होएते देरी हमीह 
भेष बदली खजाना लूटि लैत छी।

मंत्रीजी के कहल के नहि मानत?
सरकारी मामला में कियक किछु बाजत?
चुपेचाप सभटा काज होयत छैक औ भाई 
 ई छी घोटालावला पाई।

बुधवार, 7 नवंबर 2012

गजल


करेजक बात नै कहियो बनल एतय
कियो सुनलक कहाँ मोनक कहल एतय

सुखायल गाछकेँ पटबैसँ की हेतै
फरत कोना जखन गाछे जरल एतय

हँसी कीनैत रहलौं सदिखने ऐठाँ
लए छी हम नुका आत्मा मरल एतय

लिखलकै भाग्य बिधि सबहक अलग कलमसँ
कपारक गप कियो नै पढि सकल एतय

गडै पर शूल "ओम"क आह नै निकलै
भऽ गेलौं सुन्न काँटे टा गडल एतय
बहरे-हजज
मफाईलुन (ह्रस्व-दीर्घ-दीर्घ-दीर्घ) - ३ बेर प्रत्येक पाँतिमे

मंगलवार, 6 नवंबर 2012

समन्वय २-४ नवम्बर २०१२ इण्डिया हैबीटेट सेन्टर भारतीय भाषा महोत्सव SAMANVAY 2-4 November 2012 IHC INDIAN LANGUAGES' FESTIVAL/ २ नवम्बरकेँ प्रारम्भ भेल -ज्योतिरीश्वर पूर्व विद्यापतिक जीवनपर आधारित "उगना रे" पर कथक नृत्यांगना शोभना नारायणक नृत्य लोककेँ मंत्रमुग्ध केलक/ ३ नवम्बरकेँ मैथिलीमे ब्राह्मणवाद, ज्योतिरीश्वरपूर्व विद्यापति आ मैथिलीमे प्रेमक गीतपर भेल बहस

-समन्वय २-४ नवम्बर २०१२ इण्डिया हैबीटेट सेन्टर भारतीय भाषा महोत्सव SAMANVAY 2-4 November 2012 IHC INDIAN LANGUAGES' FESTIVAL/

-२ नवम्बरकेँ प्रारम्भ भेल -ज्योतिरीश्वर पूर्व विद्यापतिक जीवनपर आधारित "उगना रे" पर कथक नृत्यांगना शोभना नारायणक नृत्य लोककेँ मंत्रमुग्ध केलक

 - ३ नवम्बरकेँ मैथिलीमे ब्राह्मणवाद, ज्योतिरीश्वरपूर्व विद्यापति आ मैथिलीमे प्रेमक गीतपर भेल बहस -बहसमे भाग लेलनि उदय नारायण सिंह नचिकेता, देवशंकर नवीन, विभा रानी आ गजेन्द्र ठाकुर; आ मोडेरेटर रहथि अरविन्द दास -आकाशवाणी दरभंगा, हिन्दी अखबार सभक दरभंगा संस्करण, सी.आइ.आइ.एल. , साहित्य अकादेमी, नेशनल बुक ट्रस्ट आ अंतिका- मिथिला दर्शन, जखन-तखन, विद्यापतिकेँ पाग पहिरा कऽ विद्यापति पर्व केनिहार चेतना समितिक पत्रिका घर बाहर, झारखण्ड सनेस आदिक मैथिली साहित्यकेँ ब्राह्मणवादी बनेबाक प्रयासक विरुद्ध गएर ब्राह्मणवादी समानान्तर धाराक चर्च गजेन्द्र ठाकुर द्वारा भेल भेल -ज्योतिरीश्वर पूर्व गएर ब्राह्मण विद्यापति आ ज्योतिरीश्वरक पश्चात बला कट्टर संस्कृत-अवहट्ठ बला विद्यापतिक बीच अन्तर गजेन्द्र ठाकुर रेखांकित केलन्हि ऐ सँ पहिने हिनी आ मणुपुरीक कार्यक्रम सेहो भेल

_MAITHILI -LOVE's OWN LANGUAGE03 NOVEMBER 2012
-समन्वय २-४ नवम्बर २०१२ इण्डिया हैबीटेट सेन्टर भारतीय भाषा महोत्सव SAMANVAY 2-4 November 2012 IHC INDIAN LANGUAGES' FESTIVAL/
UGNA RE BY SHOBHNA NARAYAN 02 NOVEMBER 2012
-समन्वय २-४ नवम्बर २०१२ इण्डिया हैबीटेट सेन्टर भारतीय भाषा महोत्सव SAMANVAY 2-4 November 2012 IHC INDIAN LANGUAGES' FESTIVAL/ २ नवम्बरकेँ प्रारम्भ भेल