मिथिलांचल टुडे मैथिलि पत्रिका

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गुरुवार, 31 मई 2012

गजल

दिल में घाऊ भरल मुदा महफ़िल अछि सजल !!
दगावाज प्रीतम के राज खुजल हम गाएब गजल !! -शेर

एकटा राज के भेद आई खुईल जेतए
जीते जी जिनगी सं ओ आई मुईल जेतए

मानैत छलहूँ जेकरा प्राण ओ छल आन
पर्दा उठैत नून जिका ओ घुईल जेतए

फरेबक जाल बुनैय में ओ छै होसियार
कवछ जोगार में ओ आई तुईल जेतए

बैच नै सकैय ओ आई हमरा नजैर सं
सभटा होसियारी ओ आई भुईल जेतए

पतिवर्ता नारी कोना कैएलक मुह कारी
भेद राज खुलैत ओ आई झुईल जेतए
..........वर्ण-१६..............
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

बुधवार, 30 मई 2012

माए बाप बेटी के जतन सं राखै छै सहेज
ह्रिदय टुक्रा दान करैय में फाटै छै करेज

ख़ुशी के नोर बह्बैत बाप करै छै कन्यादान
दुलहा के चाही टाका रुपैया मागै छै दहेज़

दुलहा बनल याचक बाप बनल पैकारी
की सब चाही दहेज़ ओ सूनाबै छै दस्तावेज

बाप बेचीं घर घरारी दैय छै मोटर गाड़ी
बर मागै सोफासेट बाप तनै छै गोदरेज

दहेजक आईग में जईर कs मरैय बेट्टी
की जाने लोक एकरा कोना करै छै परहेज
--------वर्ण-१७---------------
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

सोमवार, 28 मई 2012

गजल
इ धरती इ गगन रहतै जहिया तक
अप्पन प्रेम अमर रहतै तहिया तक

कहियो तं इ दुनिया बुझतै प्रेमक मोल
प्रेमक दुश्मन जग रहतै कहिया तक

बाँझ परती में खिलतै नव प्रेमक फुल
प्रेमक फुल सजल रहतै बगिया तक

कुहू कुहू कुहकतै कोयल चितवन में
जीवनक उत्कर्ष रहतै सिनेहिया तक

प्रीतम "प्रभात" संग नयन लडल मोर
भोर सं दुपहरिया साँझ सं रतिया तक

..........वर्ण-१६...............
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट
गजल
पी कs शराब जे बनैय नबाब
झूठ जिन्गी के ओ करैय बचाब

पी क शराब जे देखाबै नखरा
जमाना ओकरा कहैय खराब

नीसा सं मातल ओ ताडिखाना में
लडैत पडैत पिबैय शराब

ओ खोजैय प्रीतम के बोतल में
बोतल शराब लगैय गुलाब

---प्रभात राय भट्ट -------


रुबाई
गम गम गमकै छै महफ़िल सजल छै गुलाब
छल छल छलकै छै गिलास में भरल छै शराब
एक घूंट में कियो पीगेल उठाके बोतल समूचा
मातल पियक्कड़ कहैत छै गंगाजल छै शराब

रुबाई
पियक्कड़ के कहैय कियो खराब एही जमाना में
ओ खुद नुका कs पिबैय शराब एही ताडिखाना में
घुटुर घुटुर पीवगेल भरल गिलास शराब
छोडीगेल एक राज की किताब एही ताडिखाना में

रविवार, 27 मई 2012

गजल आई फेर पुछैय लोक हमरा अहाँ किएक उदास छि
आ हम पूछलएन हुनका सं अहाँ किएक नीरास छि

जातपातक भेदभाव कोना उत्तपन भेल मधेश में
ताहि चिंतन में हम डुबल छि अहाँ किएक नीरास छि

थरुहट अबध मिथिला भोजपुरा नै चाही मधेश के
मधेशी के चाही स्वतंत्र मधेश अहाँ किएक नीरास छि

अखंड मधेश केर विखंडन में शाषक अछि लागल
हेतै क्रूरशाषक के अवसान अहाँ किएक नीरास छि

सहिदक सपना मधेश एक प्रदेश बनबे करतै
निरंकुश शाषक मुईल जेतै अहाँ किएक नीरास छि
............वर्ण-२१..............
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

बुधवार, 23 मई 2012

रूबाई


कखनो तँ हम अहाँ केँ मोन पडिते हैब
यादिक दीप बनि करेज मे जरिते हैब
बनि सकलहुँ नै हम फूल अहाँक कहियो यै
मुदा काँट बनि नस नस मे तँ गडिते हैब

रविवार, 20 मई 2012

गजल@प्रभात राय भट्ट



गजल

भ्रम में किएक रखने छि सत्य तथ्य बताबु यौ
नै बनत मधेश तं सरकार छोइड आबू यौ

दिवा स्वप्न में भ्रमित छि जनता केर भ्रमौने छि
मातृभूमि रक्षा हेतु चिर निंद्रा सं जागु यौ

माए मधेश के छाती पर चलल हर फार
खण्ड खण्ड कोना भेल मधेश किछ तं सुनाबू यौ

आब कियो सपूत नै देत वलिदान अहि ठाम
कोना भेल नीलाम मधेश कारन देखाबू यौ

सहिद्क आत्मा के सुनलौ नै चितकार कियो
नहीं भेटल कुनु अधिकार आब नै लडाबू यौ

मधेशी गर्दन पर चलल स्वार्थक तलवार
आब अप्पन संविधान अप्पने लिख बनाबू यौ
............वर्ण-१८.............
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

बुधवार, 16 मई 2012

आब हम जबान भ गेलहुँ (हास्य कथा)

आब हम जबान भ गेलहुँ   
              (हास्य कथा)
समाचार पढ़ि के स्टूडियो सँ निकलले रही कि मोबाइलक घंटी बाजल हम धरफरा के फोन उठेलहुँ की ओम्हर सँ अवाज आयल हौ कारीगर आब हम जवान भ गेलहुँ। ई सुनि त हमरा किछु ने फुरा रहल छल मुदा तइयो हम सहास कए के बजलहुँ अहाँ के बाजि रहल छी। ओम्हर सँ फेर अवाज आयल हौ कारीगर एना किएक बताह जेंका बजैत छह अवाजो ने चिन्हैत छहक। कहअ त इहे गप ज कोनो बचिया तोरो फोन कए के कहने रहितह त तोरो मोन धनकुटिया मशिन जेंका धक-धक करितह। मुदा हम कहैत छियह त तों बहन्ना बतियाअैत छह।
              हम बजलहुँ से गप त ठीके मुदा अहाँ के बाजि रहल छी से कहू ने तखने चिन्हब ने कि ओम्हर सँ फेर अवाज आएल हौ बच्चा हम बाबा भोलेनाथ बाजि रहल छी तोरे स भेंट करैए लेल आएल छलहुँ। ई सुनि हम बाबा के प्रणाम कए पुछलियैन यौ बाबा अहाँ कतेए छी। ओ खिसियाअैत बजलाह हौ बच्चा हम यूनिवार्ता लक ठाढ़ भेल छी तोहर आकाशवाणीबला सभ कहलक जे बसहा बरद लए के भीतर नहि जाए देब। तहि दुआरे  हम यूनिवार्ता चलि अएलहुँ अहि ठाम कोनो रोक टोक नहि बसहो बरद मगन स घास खा रहल अछि आ हमहूँ रौद मे बैसल छी। तूं जल्दी आबह देखैत छहक सस्पेन महक चाह उधिया-उधिया कहि रहल अछि जे आब हम जवान भ गेलहु। दुनू गोटे चाहो पीअब आ गपो नाद करब।हम बजलहुँ ठीक छै बाबा अहाँ ओतए रहू हम 5 मिनट मे आबि रहल छी।
बाबा सँ भेंट करबाक लेल हम आकाशवाणी के गेट न0-2 स बाहर निकैलि रोड टपि के पीटीआई बिल्डिंग लक आएले रहि कि फेर फोनक घंटी बाजल। कान मे हेडफोन लगले रहैए बिना नम्बर देखनहियै हम फोन उठेलहुँ कि ओम्हर सँ अवाज आयल यौ किशन बौआ अहाँ कहिया गाम आबि रहल छी आब हम जवान भ गेलहुँ। हम धरफराइत बजलहुँ ग ग गोर लगैत छि काकी। ओम्हर सँ फेर कोनो महिलाक अवाज आयल अई यौ बौआ अहाँ सभ दिन बकलेले रहबैह भौजी के लोक कहूं काकी कहलकैए ओ खिखिया के हँसैत बजलीह अप्पन सप्पत कहैत छी यौ बौआ आब हम जवान भ गेलहुँ। अहाँ त साफे हमरा बिसैर गेलहुँ कहियो मोनो ने पड़ैत छी। ई सुनि त एक बेर फेर हमरा किछु ने फुरा रहल छल मुदा तइओ हम बजलहुँ अहाँ कतए स बाजि रहल छि यै काकी। महिलाक अवाज आयल यौ बौआ हम भराम वाली भाउजी बाजि रहल छी। एक्को रति मोन पड़ल ।हम अपसियाँत भेल हकमैत बजलहुँ ह ह भाउजी मोन पड़ल अच्छा त अहाँ छि भराम वाली। भाउजीक गप सुनि त हँसि स हमरा रहल नहि गेल हा हा क हँसैत हम बजलहुँ अई यै भाउजी अहाँक चिल्का बच्चा नमहर भ गेल आ तइयो अहाँ कहैत छी जे आब हम जवान भ गेलहुँ ठीके मे की मजाक कए रहल छी।
भाउजी खिखिया क हँसैत बजलीह अप्पन सप्पत कहैत छि यौ बौआ अहाँ एक बेर गाम आबि देखू हमरा देखि त बुढ़बो सबहक धोति निचा माथे ससैर जायत छैक। आ तहू स बेसी हाल त मैटिक वला विद्यार्थी सभहक हाल त और बेहाल छैक। टीशन पढै जायत काल हमरे घूरि घूरि क देखैत रहैत छैक आ सबटा सुध बुध बिसैर के धरफड़ा के साइकिलो पर स खसि पड़ैत छैक। सबटा गप कि कहू यौ बौआ गाम-गमाइत जेनिहार अनठिया लोक सभ त मोटरसाइकिल पर सँ ओंघरा पोंघरा के खसि पडैत छैक आ मुँहो कान चिक्कन भए जायत छैक।हम बजलहुँ अई यौ भाउजी भैया नहि किछु कहैत छथि हुनका ने किछु होइत छैन्हि। भाउजी बजलीह धू जी महराज की कहू आनहरो लोक अहाँ भैया स बेसी देखैत हेतै। पामर वला चश्मा मे एक्को रति कि अहाँ भैया के देखाइए। सबटा गप कि कहू अहाँ भैया के हकैम-हकैम के कहैत कहैत हम थाकि गेलहुँ जे आब हम जवान भ गेलहुँ। मुदा तइयो अहाँ भैया के वैहए गउलहे गीत इस्कूल पर सँ गाम आ गाम पर सँ इस्कूल सेहो आखि मुनने जाउ आ आउ। रस्ता पेरा कि सभ भेलै सेहो ने बुझबाक काज। ई गप सुनि त हँसि स हमरा रहल नहि गेल हा हा क हँसैत हम बजलहुँ आहि रे बा एहेन जुलुम त देखल नहि।
हमर गप सुनि भाउजि खूब जोर स खिखिया क हँसैत बजलीह जुलुम की महाजुलुम कहियोअ। ओना अहूँ कि अपना भैया स एक्को रति कम छी। अहाँ त हरदम समाचार बनबै-सुनबै मे बेहाल रहैत छी हमर हाल के पुछैए। आई काल्हि त आनहरो लोक ईशारा स गप बुझि जायत छैक मुदा अहुँक हाल त निछटे आनहर वला अछि ने गबैए जोकर ने सुनैए जोकर। अहाँ स नीक त कोनो अनठिया के कहने रैहतियै जे आब हम जवान भ गेलहुँ त निछोहे पराएल ओ गाम चलि आएल रहितैह मुदा अहाँ त गाम अएबाक नामे नहि लैत छी। हम बजलहुँ भाउजी अहाँ जुनि खिसियाउ अहि बेर नहि त अगिला बेर हम जरूर आएब आ दुनू दिअर भाउज उला ला उ ला ला मदमस्त होरी खेलाएब। एखन हम फोन राखि रहल छी केकरो फोन आबि रहल छैक। भाउजी बजलीह मारे मुँह ध के  अहूँ के मोबाइल हरदम टनटनाइते रहैए भरि मोन गप करब सेहो आफद। जहिना जवान लोक फेनाइते रहैए तहिना अहाक फोन टनटनाइते रहैए बड्ड बढ़िया त राखू।
              भाउजीक फोन डिसकनेक्ट करैते मातर फेर कोनो अनठिया नम्बर सँ फेर फोनक घंटी बाजल अवाज सुनि हमर मोन धकधकाएल जे आब फेर के अछि। हम हेल्लो बजलहुँ कि ओम्हर स अवाज आएल एकटा गप बुझहलियै अहाँ । हम बजलहुँ बिना कहनहिए अपनेमने अन्तरयामी केना बुझि जेबैए ओना कोन एहेन जुलुम भए गेलैए से जल्दीए कहू। कोनो महिलाक अवाज आयल यौ पाहुन हम कोना क कहू हमरा त लाज होइए। हम बजलहुँ अहाँ के लाजो होइए आ उल्टे हमरा पाहुनो कहैत छी। ओम्हर स फेर अवाज आयल चुपु ने अनठिया अनठा-अनठा के बजैत छी जेना अहाँ के बुझहले ने हुएअ ।हम बजलहुँ सत्ते कहैत छी हमरा त एक्को मिसीया ने बुझहल अछि जल्दी कहू। एतबाक मे फेर अवाज आयल अहा कहैत छी त हयैए लियअ सुनू आब हम जवान भ गेलहुँ। एतबाक बाजि ओ हा हा के खूब जोर स हँसैए लगलीह। हुनकर गप सुनि त हँसि स हमरा रहल नहि गेल मुदा तइयो हम बजलहुँ जबान भ गेलहुँ त अपना माए बाप के कहियौअ अहि मे हम कि करू। ओ बजलीह अई यौ बुढ़बा पाहुन अहूँ बरि खान्हे बुझहैत छियैक। कहू त इहो गप केकरो कहैए पड़तैह लोक अपने मने नहि बुझतैह जे घोरि घोरि के कहैए पड़तैह जे आब हम जबान भ गेलहुँ। एतबका बाजि ओ खूब जोर स हाँ हाँ के हसैए लगलीह। ओइ महिलाक हँसि सुनि त बुझहु हमर मोन धनकुटिया मशिन जेंका धक-धक करैए लागल। हकमैत हकमैत अपसियात भेल हम बजलहुँ अईं यै मैडम अहाँ जबान नहि भेलहुँ कि बुढ़ारि मे हमरा जहल टा कराएब। ओ बजलीह अईं यौ पाहुन अहाँ के डर किएक होइए एतेक काल त कोनो अनठिया गाम चलि आएल रहैतैए आ अहाँ के त होरी मे गाम अबैत बड्ड माश्चर्ज लगैए अहाँ होरी खेलाए लेल गाम आएब कि नहि। हम बजलहुँ अहाँक पाहुन से कहिया स त ओ बजलीह अईं यौ  पाहुन हम जवान भेलहु आ हमरा अहा साफे बिसैर गेलहु। हम नीलू बाजि रहल छी एक्को रति मोन पड़ल कि नहि।
  हम बजलहुँ अच्छा त अहाँ छी बड्ड जल्दी जबान भ गेलहुँ। ओ महिला बजलीह त अहाँ मने कि अगिला कोजगरा तक अहाँक बाट तकितहुँ कि अपन जबान भ गेलहुँ। आब बुढ़ लोकक जमाना गेलैए आई काल्हि त जबान लोकक जमाना एलैए बुढ़ारी मे अहाँ भसिया गेलहुँ की। हमरे छोटकी सारि नीलू छलीह। हुनकर एहेन सुनर बचन सुनि त  हम अपना देह मे अपने मने बिट्ठू काटैए लगलहु खुशि सँ मोन मयूर जेंका नाचए लागल। भेल जे सासुरे मे तिलकोरक तरूआ खा रहल छी मुदा फोन दिसि देखि इ भ्रम टूटल जे हम त संसंद मार्ग दिल्ली मे छी आ फोन पर गप कए रहल छी।  हम बजलहुँ यै नीलू ठीक छैक ई बुझहु जे अगिला होरी मे हम एब्बे टा करब एतबाक कहि हम फोन राखि देलियै।
    फोन पर गप करैते करैते हम चाह दोकान लक चलि आएल रहि सेहो नहि बुझहलियै। हमरा देखैत मातर  बाबा बजलाह अईं हौ कारीगर तोहर गप सधलहे नहि देखैत छहक तोरा फेरी मे चाहो ठंढ़ा गेल तहि दुआरे चाहो वला हमरे पर मुँह फुलेने अछि। बाबाक गप सुनि हुनका हम प्रणाम कए पुछलियैन से किएक यौ बाबा। त ओ बजलाह चाहवला के कहब छैक जे अहि दारही वला बाब दुआरे कएक टा न्यू कपल्स माने जबान छौड़ा-छौंड़ी बिना चाह पीने आपिस चलि गेलैह। आब तोंही कहअ त कारीगर छौंड़ा-छौंड़ी त अपना फेरी मे गेल चाह नहि बिकेलै त एहि मे हमर कोन दोष। चाहवला अपने मिथिला के रहैए ओकरा हम कहलियै हौ भाए दू कप चाह बनाबह  बाबा सेहो पिथहिन। हम बाबा के कहलियैन बड्ड दिन बाद अपने दिल्ली अएलहुँ त गाम घरक हाल समाचार कहू। बाबा बजलाह हौ बच्चा जुनि पुछह गाम घरक हाल बुझहक छौंड़ा छौंड़ी अगिया बेताल। हम बजलहुँ से किएक यौ बाबा त ओ बजलाह  हौ बच्चा गामो घर  रहबा जोग नहि रहि गेल। आई काल्हिक छौंड़ा छौंड़ी एकदम निरलज भए गेल एक्को रति लाज धाक नहि रहि गेलैए आब त मंदिरो मे रहब परले काल भए गेल।
हम बजलहुँ से किएक यौ बाबा त ओ बजलाह हौ बच्चा सबटा गप तोरा कि कहियअ आब त छौंड़ा मारेर सभ पूजा करैत काल  उला ला उला ला गबैत अछि एतबाक सुनैते मातर छौंड़ियो सभ कुदि-कुदि के कहतह छुबू ने छुबू हमरा आब हम जवान भ गेलहुँ। कह त के जबान के बुढ़ पुरान से त पूरा गौंआ बुझैत छैक एहि मे हल्ला करबाक कोन काज जे आब हम जबान भ गेलहुँ। देखैत छहक इ गप सुनि त बुढ़बो सबहक धोति निच्चा माथे ससैर जाएत छैक। ई भागेसर पंडा हमरा सुखचेन स नहि रहैए देत। एतबाक मे चाह वला 2 गिलास चाह देलक दुनू गोटे चाह पिबअ लगलहुँ एक घोंट चाह पिनैहे रहि कि हम पुछलियैन भागेसर कि केलक यौ बाबा। ओ बजलाह हौ कारीगर की कहियअ भागेसर पंडा त आब निरलज भ गेल। एतेक दिन ओम नमः शिवाय के जाप करैत छल आब उला ला उला ला गबै मे मगन रहैए हम जे किछु कहैत छियैक हौ भागेसर एना किएक अगिया बेताल भेल छह। त ओ हमरा कहैत अछि यौ बाबा किछु कहू ने हमरा आब हम जबान भ गेलहुँ।
   

रविवार, 13 मई 2012

हम मनुख, मनुख छी

अहंकार इश्वर कए भोजन छैक 
मनुख कए प्रविर्ती छैक 
आ दानब कए पोषक छैक 

इश्वर हम भय नहि सकै छी 
दानब बनै कए तैयार नहि छी 
मनुख बनै कए प्रयाश नहि करैत छी 

हम मनुख, मनुख छी 
मनुखता सँ खसलहुँ त दानव छी 
ऊपर भएलहुँ त देबता छी

शुक्रवार, 11 मई 2012

बृहस्पतिवार, 10 मई 2012


कविता-मधेश

कविता-मधेश

नित दिन स्वपन देखैत छलहूँ
एक मधेश स्वायत प्रदेश कें
नव प्रभात सं कामना करैत छलहूँ
एक मधेश स्वायत प्रदेश कें
नहि जानि कोन बज्रपात गिरल
सपनाक शीशमहल ढहल
सहिद्क शोणित सं
बाग़ में छल एकटा फुल खिलल
छन में फुल मौलाएल
सुबास नहि भेट सकल
टुकरा टुकरा शीशा चुनी
कोना महल बनाएब
मौलाएल फुल सं
कोना घर आँगन गमकाएब

नित दिन स्वपन देखैत छलहूँ
एक मधेश स्वायत प्रदेश कें
नव प्रभात सं कामना करैत छलहूँ
एक मधेश स्वायत प्रदेश कें
वीर सहिदक आहुति सं
छल आशा केर दीप जरल
नीरस भेलहु जखन
स्वार्थक बयार सं दीप मिझल
नित दिन स्वपन देखैत छलहूँ
एक मधेश स्वायत प्रदेश कें
नव प्रभात सं कामना करैत छलहूँ
एक मधेश स्वायत प्रदेश कें

रंग विरंगक फुल के
हम सब छलहूँ एकैटा माला
स्वार्थक बाट में टुटल माला
काटल गेल मधेश माए केर गाला
मैटुगर बनी गेलहुं हम
मधेश माए पिविगेल्ही हाला
नित दिन स्वपन देखैत छलहूँ
एक मधेश स्वायत प्रदेश कें
नव प्रभात सं कामना करैत छलहूँ
एक मधेश स्वायत प्रदेश कें

बन्ह्की पडल माए छलहीन
सिस्कैत हुनक ठोर
बैसल छलन्हि आशा में
कहियो तं हेतइए भोर
षड्यंत्र नामक खंजर ल क
एलई अमावस कठोर
नव प्रभात देख नै पैलन्ही नहि भेलै भोर
नित दिन स्वपन देखैत छलहूँ
एक मधेश स्वायत प्रदेश कें
नव प्रभात सं कामना करैत छलहूँ
एक मधेश स्वायत प्रदेश कें

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

मंगलवार, 8 मई 2012

................माँ धरती के पुकार............


हम धरती मिथिलांचल के, एखनो तक गुलाम छि!
अंग्रेज के कैद सs छुटलोउ, अपनों कैद में पड़ल छि!
अंग्रेज सs लड़िकs हमर पुत्र आज़ाद करौलक
अपन जे छल वैह लूटि लूटी कs खाया
रिश्वत आ भ्रस्टाचार के ज़ंजीर में आयो ज़करल छि !
दो सो साल तक अंग्रेज के झूठा खेलोऊ
हमर पुत्र जवान दुसमन के कैद सs छुरौलक
आई के नेता की जाने, हम कोण आइग में जलाल छि !
जवान पुत्र के कुर्बानी के हम एखन तक नय छि बिसरल.
इ कुर्सी के भूखल नेता फेर सs सूली पर चढ़ेलाक
पकिस्तान बना कs जखन हमरा बाटल गेल
हमर दोनों बाह कसाय के हाथ कटी देल गेल
धरा ऊपर खींचि देल डढैर, दुइ भागमें एना हम बँटल छी
आजादी के झूठे अग्वे कुर्सी सरताज भय गेल
शहीद के वंश एक एक रोटी के मोहताज भय गेल
"रधे" हालत के देख आई शहीदों के , हम धरती में गड़ल छि !!

सोमवार, 7 मई 2012

गजल
अप्पने देशमें बनल छि हम सभ परदेशी यौ
जन्मशिद्ध अधिकार सं बंचित छि सभ मधेशी यौ

शोषक शाषक कें बोली सं चलैय मधेश में गोली
मरैय मधेशी जेना लगैय माल जाल मवेशी यौ

नारकीय जिन्गी जीवै पर हम सभ छि मजबूर
करेज चुभैय बबुर जौं कियो कहैय विदेशी यौ

यी जन्मभूमि कर्मभूमि हमर स्वर्गभूमि मधेश
मधेश माए केर संतान हम सभ छि स्वदेशी यौ

बन्ह्की परल मधेश माए कल्पी कल्पी कानैय
स्वतंत्र मधेश के संविधान में करू समावेशी यौ
.................वर्ण-१९..............
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

गुरुवार, 3 मई 2012

गजल


कहू की, कियो बूझि नै सकल हमरा
हँसी सभक लागल बहुत ठरल हमरा

कियो पूछलक नै हमर हाल एतय
कपारे तँ भेंटल छलै जरल हमरा

करेजा सँ शोणित बहाबैत रहलौं
विरह-नोर कखनो कहाँ खसल हमरा

तमाशा बनल छी, अपन फूँकि हम घर
जरै मे मजा आबिते रहल हमरा

रहल "ओम" सदिखन सिनेहक पुजारी
इ दुनिया तँ 'काफिर' मुदा कहल हमरा
बहरे-मुतकारिब
फऊलुन (ह्रस्व-दीर्घ-दीर्घ) - प्रत्येक पाँति मे चारि बेर