मिथिलांचल टुडे मैथिलि पत्रिका

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शुक्रवार, 30 मार्च 2012

बिहनि कथा


ढेपमारा गोसाईं
मोबाईलक अलार्मक घर-घरी सुनि कऽ मिश्राजीक निन्न टूटि गेलैन्हि। ओ मोबाईल दिस तकलाह आ अलार्म बन्न करैत फेर सुतबाक उपक्रम करऽ लागलाह। आ की कनियाँक कडगर आवाज कान मे ढुकलैन्हि- "यौ किया अनठा कऽ पडल छी? साढे पाँच बजै छै। उठू, नै तँ बच्चा सभ केँ इसकूल लेल के तैयार करओतैक। हम नस्ता बनाबै लेल जा रहल छी। भरि दिन तँ अहाँ आफिस मे कुर्सी तोडबे करै छी, कनी घरो पर धेआन दियौ।" मिश्राजी बिना कोनो विरोध केने पोस माननिहार माल जाल जकाँ चुपचाप बिछाओन सँ उतरि बाथरूम मे ढुकि गेलाह। निवृत भेलाक बाद बच्चा सब केँ उठाबऽ लगलाह। बच्चा सब हुनकर कुशल नेतृत्व मे इसकूल जयबा लेल तैयार हुए लागल। एकाएक बडका बेटा राजू बाजल- "पापा अहाँ हमर कापी आनलहुँ?" मिश्राजी- "नै, बिसरि गेलहुँ। काल्हि आफिस मे बड्ड काज छल।" राजू बाजल- "अहाँ तीन दिन सँ बिसरि रहल छी। रोज आफिसक काजक लाथे हमर कापी नै आबि रहल अछि। अहाँ केँ हमर काज मोन नै रहैए।" ओम्हर सँ कनियाँक स्वर भनसाघर सँ बहराएल- "इ तँ हिनकर पुरान आ पेटेण्ट बहाना अछि। घरक कोनो काज मे हिनकर कोनो अभिरूचि नै छैन्हि। आइ हम अपने तोहर कापी आनि देबह।" कहुना बच्चा सब केँ तैयार करा मिश्राजी बस-स्टाप धरि बच्चा सब केँ छोडि डेरा अएलाह तँ कनियाँ एकटा नमहर लिस्ट हाथ मे थमा देलखिन्ह। सब्जी, आटा, दूध आ आन वस्तु सबहक लिस्ट। मिश्राजी बजलाह- "कनी दम धरऽ दियऽ। हम बडद जकाँ भरि दिन लागल रहै छी, तइयो अहाँ सब केँ हमरे सँ सिकाईत रहैए।" कनियाँ कहलखिन्ह- "बियाहि कऽ अहाँ आनलहुँ आ सिकाईत करै लए भाडा पर लोक ताकी हम?" बेचारे मिश्राजी चुपचाप बाजार दिस ससरि गेलाह। बाट मे बाबूजीक फोन मोबाईल पर एलेन्हि- "हौ, मकानक देबाल नोनिया गेलैक। रंग करबाबै लए पाई कहिया पठेबहक?" मिश्राजी बिहुँसैत बजलाह- "अगिला मास पाई पठा सकब।" पिताजी खिसियाईत कहलखिन्ह- "कतेको मास सँ तौं अगिला मासक गप कहै छह। इ अगिला मास कहियो आओत की नै।" मिश्राजी केँ अपन गामक सीमान परहक ढेपमारा गोसाईं मोन पडि गेलैन्हि, जकरा पर सब कियो आबैत जाईत एकटा ढेपा फेंकि दैत छलै। हुनका बुझाइ लगलैन्हि जे ओ ढेपमारा गोसाईं भऽ चुकल छथि।
दस बजे मिश्राजी आफिस पहुँचलाह। कनी काल मे आफिसर अपना कक्ष मे बजा कऽ पूछलखिन्ह- "काल्हि एकटा अर्जेण्ट फाईल नोटिंग लए देने छलहुँ आ अहाँ बिना काज केने भागि गेलहुँ।" मिश्राजी- "सर, बिसरि गेलियै। एखन कऽ दैत छी।" आफिसर- "नित यैह बहाना रहैए। किछो यादि रहैए अहाँ केँ?" मिश्राजी सोचऽ लागलाह- "इहो नै छोडलक। कुर्सी पर बैसल अछि तँ हुकूमत देखबैए।" आफिसर हुनका चुप देखि कहलैथ- "की कोनो नब बहाना सोचै छी की? जाउ काज कऽ कऽ दियऽ।" मिश्राजी- "सर, कहलौं ने बिसरि गेल रही। तुरत कऽ दैत छी।" आफिसर- "अच्छा, रोज तँ यैह बहाना रहैए। किछो मोन रहैए की नै? अपन नाम तँ मोन हैत ने। की नाम अछि अहाँक श्रीमान विनय मिश्राजी।" मिश्राजीक मूँह सँ हरसट्ठे निकलल- "ढेपमारा गोसाईं।"

गीत:-

लचक लचक लचकै छौ गोरी तोहर पतरी कमरिया
ठुमैक ठुमैक चलै छे गोरी गिरबैत बाट बिजुरिया //२
देख मोर रूपरंग मोन तोहर काटै चौ किये अहुरिया
सोरह वसंतक चढ़ल जुवानी में गिरबे करतैय बिजुरिया //२ मुखड़ा

चमक चमक चमकैय छौ गोरी तोहर अंग अंग
सभक मोन में भरल उमंग देखैला तोहर रूपरंग
ठुमैक ठुमैक चलै छे गोरी गिरबैत बाट बिजुरिया
रूप लगैय छौ चन्द्रमा सन देह लगैय छौ सिनुरिया //२

सोरह वसंतक चढ़ल जुवानी में गिरबे करतैय बिजुरिया
देख मोर रूपरंग मोन तोहर काटै चौ किये अहुरिया
लाल लाल मोर लहंगा पर चमकैय छै सितारा
देख मोर पातर कमर मोन तोहर भेलौं किया आवारा //२

अजब गजब छौ चाल तोहर गोरिया गोर गोर गाल
कारी बादल सन केश तोहर ठोर छौ लाले लाल
चमकैय छे तू जेना चमकैय गगन में सितारा
देख के तोहर रूपक ज्योति मोन भेलैय हमर आवारा //२

मस्त मस्त नैयना मोर गोर गोर गाल
जोवनक मस्ती चढ़ल हमर ठोर लाले लाल
चमकैय छै मोर रूप जेना चमकैय अगहन के ओस
देख के मोर चढ़ल जुवानी उडीगेलय सभक होस //२
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

गुरुवार, 29 मार्च 2012


गजल@प्रभात राय भट्ट


               गजल

फुलक डाएरह सुखल सुखल फुल अछी मुर्झाएल
वितल वसंत आएल पतझर देख पंछी पड़ाएल 


भोग विलासक अभिलाषी प्राणी तोहर नै कुनु ठेगाना 
आई एतय काल्हि जएबे जतय फुल अछी रसाएल


अपने सुख में आन्हर प्राणी की जाने ओ आनक दुःख 
दुःख सुख कें संगी प्रीतम दुःख में छोड़ी अछी पड़ाएल 


कांटक गाछ पर खीलल अछी मनमोहक कुमुदिनी 
कांट बिच रहितो कुमुदनी सदिखन अछी मुश्काएल 


बुझल नहीं पियास जकर अछी स्वार्थी महत्वकांक्षा 
होएत अछी तृप्त जे प्रेम में सदिखन अछी गुहाएल


अबिते रहैत छैक जीवन में अनेको उताड चढ़ाव 
सुख में संग दुःख में प्रीतम किएक अछी पड़ाएल
...........वर्ण-२१...................
रचनाकार:-प्रभात राय भ

मंगलवार, 27 मार्च 2012

मैथिलि--काव्य: Kavita--Maithili

मैथिलि--काव्य: Kavita--Maithili: भोरूकवा मे सुति उठल छलौं तखने छोटकुन बाजि उठल-- 'आब मैथिली रानी समर्थ भेली पाबि संविधान मे स्थान मैथिली रानी धन्य भेली | ' कोयल...

बीहनि कथा


स्पेशल परमिट
एक दिन सिनेमा देखबा लेल सिनेमा हाल सपरिवार गेल रही। ओतय सिनेमाघरक मैनेजर गाडी सँ उतरैत देरी स्वागत मे लागि गेल। ओ हमरा चिन्हैत छल। सिनेमा शुरू हएबा मे किछु देरी छल। ओ हमरा अपन कक्ष मे बैसा कऽ चाह-पान करबऽ लागल। सिनेमाक शो शुरू भेलाक बादो हाल मे बीच बीच मे नाश्ता पानी पूछैत रहल। हमर छोटकी बेटी इ सब अचरज सँ देखैत छल। सिनेमा समाप्त भेलाक बाद मैनेजर आदरपूर्वक हमरा गाडी तक अरियाइति देलक। डेराक बाट मे हमर छोटकी बेटी हमरा पूछलक- "पापा, इ मैनेजर अहाँक एतेक खातिर बात कियेक करै छल? ओतय तँ आरो लोक सब छल, मुदा ककरो दिस ताकबो नै करैत छल।" हम बजलहुँ- "बेटी, अहाँ नै बूझब। हमरा स्पेशल परमिट अछि।" छोटकी बाजल- "तखन तँ अहाँ केँ आरो ठाम इ स्पेशल परमिट भेंटैत हएत।" हम अपन बहादुरी मे कहलौं- "हाँ-हाँ, आरो ठाम भेंटैए।" ऐ पर छोटकी बाजल- "तखन काल्हि सँ हमरा अहाँ इसकूलक भीतर तक गाडी सँ छोडू। प्रसून नित्य गाडी सँ भीतर तक आबै छै आ बड्ड शान देखाबै छै। अहाँ तँ हमरा बाहरे गाडी सँ उतारि दैत छी।" हम सकपकाईत बजलौं- "बेटी प्रसून कलक्टरक बेटा अछि। कलक्टर केँ हमरा सँ पैघ स्पेशल परमिट भेंटल छैक। हमरा अहाँक इसकूलक स्पेशल परमिट नै भेंटल अछि।" छोटकी रूसि गेल आ कहलक- "नै अहाँ हमरा फूसि कहै छी। हमहुँ गाडी सँ इसकूलक भीतर तक जायब।" हम आब ओकरा की बूझैबतियेक। हम चुप रहि गेलौं।

गजल


मोनक आस सदिखन बनि कऽ टूटैत अछि।
किछु एना कऽ जिनगी हमर बीतैत अछि।

मेघक घेर मे भेलै सुरूजो मलिन,
ऐ पर खुश भऽ देखू मेघ गरजैत अछि।

हम कोना कऽ बिसरब मधुर मिलनक घडी,
रहि-रहि यादि आबै, मोन तडपैत अछि।

देखै छी कते प्रलाप बिन मतलबक,
चुप अछि ठोढ, बाजै लेल कुहरैत अछि।

मुट्ठी मे धरै छी आगि दिन-राति हम,
जिद मे अपन, "ओम"क हाथ झरकैत अछि।
(बहरे-कबीर)

सोमवार, 26 मार्च 2012

गजल@प्रभात राय भट्ट



गजल:-
अप्पन आन सभ लेल अहाँ चिन्हार बनल छि
आS हमरा लेल किएक अनचिन्हार बनल छि

अहाँ एकौ घड़ी हमरा विनु नहीं रहैत छलौं
आई किएक हम अहाँ लेल बेकार बनल छि

कोना बिसरल गेल ओ प्रेमक पल प्रीतम
हमरा बिसारि आन केर गलहार बनल छि

हमर प्रीत में की खोट जे देलौं हृदय में चोट
अहाँक प्रीत में आईयो हम लाचार बनल छि

दिल में हमरा प्रेम जगा किया देलौं अहाँ दगा
दगा नै देब कही कs किएक गद्दार बनल छि

..................वर्ण:-१८............
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

रविवार, 25 मार्च 2012

गजल@प्रभात राय भट्ट



गजल
अनचिन्हार सं जहिया चिन्ह्जान बढल
तहिया सं हमरा नव पहिचान भेटल

विनु भाऊ बिकैत छलहूँ हम बाजार में
आई अनमोल रत्न मान सम्मान भेटल

काल्हि तक हमरा लेल छल अनचिन्हार
आई हमरा लेल ओ हमर जान बनल

अन्हरिया राईत में चलैत छलहूँ हम
विनु ज्योति कहाँ कतौ प्रकाशमान भेटल

प्रभात केर अतृप्त तृष्णा ओतए मेटल
जतए अनचिन्हार सन विद्द्वान भेटल
.............वर्ण:-१६.................
रचनाकार :-प्रभात राय भट्ट

शुक्रवार, 23 मार्च 2012

गीत


बड्ड आस धेने हम एलौं शरण, अहींक पुत्र थीकौं माँ।
रहऽ दियौ हमरा अपन चरण, अहींक पुत्र थीकौं माँ।

लाल रंग अँचरी, लाले रंग टिकुली, माँ केर आसन लाले-लाल,
सिंहक सवारी शोभै, हाथ मे त्रिशूल, अहाँक चमकैए भाल।
करै छी वन्दना धरती सँ गगन, अहींक पुत्र थीकौं माँ।

आंगन नीपेलौं, अहाँक पीढी धोएलौं, छी फूल लेने ठाढ,
दियौ दरसन माँ, दुख करू संहार, भरू सुख सँ संसार।
अहीं कहू हम करी कोन जतन, अहींक पुत्र थीकौं माँ।

नै चाही अन धन, नै चाही जोबन, खाली शरण माँगै छी,
सुनू हमरो पुकार, भरू ज्ञानक भण्डार, एतबा वचन माँगै छी।
कहिया देबै अहाँ हमरा दर्शन, अहींक पुत्र थीकौं माँ।

जपै छी नाम अहींक, हम सब राति दिन, तकियौ एक बेर,
करू हमर उद्धार, लगाबू बेडा पार, नै ए कोनो कछेर।
अछि नोर भरल "ओम"क नयन, अहींक पुत्र थीकौं माँ।

गुरुवार, 22 मार्च 2012

परम पावन पुन्यभूमि अछि अपने मिथिलाधाम यौ@प्रभात राय भट्ट

परम पावन पुन्यभूमि अछि अपने मिथिलाधाम यौ@प्रभात राय भट्ट



मिथिला के हम बेट्टी छि मैथिलि हमर नाम यौ
जनक हमर पिता छथि जनकपुर हमर गाम यौ
जगमे भेटत नै कतहूँ एहन सुन्दर मिथिलाधाम यौ
परम पावन पुन्यभूमि अछि अपने मिथिलाधाम यौ

मिथिला के हम बेट्टा ची मिथिलेश हमर नाम यौ
मिथिला के हम वासी छि जनकपुर हमर गाम यौ
ऋषि महर्षि केर कर्मभूमि अछि मिथिलाधाम यौ
परम पावन पुन्यभूमि अछि अपने मिथिलाधाम यौ

मिथिलाक मैट सं अवतरित भेल्हीं सीता जिनकर नाम यौ
उगना बनी महादेव एलाह पाहून बनी कय राम यौ
धन्य धन्य अछि मिथिलाधाम,मिथिलाधाम जगमे महान यौ
परम पावन पुन्यभूमि अछि अपने मिथिलाधाम यौ

हिमगिरी के कोख सं ससरल कमला कोशी बल्हान यौ
मिथिला के शान बढौलन मंडन,कुमारिल,वाचस्पति विद्द्वान यौ
हमर जन्मभूमि कर्मभूमि स्वर्गभूमि मिथिलाधाम यौ
परम पावन पुन्यभूमि अछि अपने मिथिलाधाम यौ

कपिल कणाद गौतम अछि मिथिलाक शान यौ
विद्यापति के बाते अनमोल ओ छथि मिथिलाक पहिचान यौ
जगमे भेटत नै कतहूँ एहन सुन्दर मिथिलाधाम यौ
परम पावन पुन्यभूमि अछि अपने मिथिलाधाम यौ

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

बुधवार, 21 मार्च 2012

गजल


जीनाइ भेलै महँग, एतय मरब सस्त छै।
महँगीक चाँगुर गडल, जेबी सभक पस्त छै।

जनता ढुकै भाँड मे, चिन्ता चुनावक बनल,
मुर्दा बनल लोक, नेता सब कते मस्त छै।

किछु नै कियो बाजि रहलै नंगटे नाच पर,
बेमार छै टोल, लागै पीलिया ग्रस्त छै।

खसि रहल देबाल नैतिकताक नित बाट मे,
आनक कहाँ, लोक अपने सोच मे मस्त छै।

चमकत कपारक सुरूजो, आस पूरत सभक,
चिन्तित किया "ओम" रहतै, भेल नै अस्त छै।
(बहरे-बसीत)

प्राचीन मिथिला@प्रभात राय भट्ट



मिथिला के मिथिलेश्वर महादेव हम की कहू यौ
स्वम अहाँ छि अन्तरयामी अहाँ सभटा जनैतछी यौ
बसुधाक हृदय छल हमर महान मिथिला
इ हमही नै शाश्त्र पुराण कहैय यौ

मिथिलाक जन जन छलाह जनक एही ठाम
ताहि लेल नाम पडल जनकपुर धाम
राजा जनक छलाह राजर्षि जनकपुरधाम में
सीता अवतरित भेलन्हि मिथिले गाम में

मिथिलाक पाहून बनी ऐलाह चारो भाई राम
विद्यापती के चाकर बनलाह उगना एहि ठाम
चारो दिस अहिं छि महादेव जनकपुर के द्वारपाल
पुव दिस मिथिलेश्वरनाथ पश्चिम जलेश्वरनाथ

उत्तर दिस टूटेश्वरनाथ दक्षिण कलानेश्वरनाथ
किनहू भs सकय मिथिलाक प्राणी अनाथ
इ ध्रुव सत्य अछि प्राचीन मिथिलाक परिभाषा
एखुनो अछि एहन सुन्दर मिथिलाक अभिलाषा

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

गजल@प्रभात राय भट्ट



गजल:-
अहाँ विनु जिन्गी हमर बाँझ पडल अछि
सनेह केर पियासल काया जरल अछि


दूर रहितो प्रीतम अहाँ मोन पडैत छि
प्रीतम अहिं सं मोनक तार जुडल अछि


तडपैछि अहाँ विनु जेना जल विनु मीन
अहाँ विनु जिया हमर निरसल अछि


नेह लगा प्रीतम किया देलौं एहन दगा
मधुर मिलन लेल जिन्गी तरसल अछि


अहाँ विनु प्रीतम जीवन व्यर्थ लगैय
की अहाँक प्रेमक अर्थ नहीं बुझल अछि
..............वर्ण-१६...........
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

सोमवार, 19 मार्च 2012

दहेज


दहेज

दहेजक नाम सुनि कऽ
कांइपि उठैत अछि ,माए-बापऽक करेज
कतबो छटपटायब तऽ
लड़कवला कम नहि करताह अपन दहेज।
ओ कहताह, जे बियाह करबाक अछि
तऽ हमरा देबैह परत दहेज
पाई नहि अछि तऽ
बेच लिय अपना जमीनऽक दस्तावेज।
दहेज बिना कोना कऽ करब
हम अपना बेटाक मैरेज
दहेज नहि लेला सऽंॅ खराब होयत
समाज में हमर इमेज।
एहि मॉडर्न जुग मे तऽ
एहेन होइत अछि मैरेज
आयल बरियाति घूरीकऽ जाइत छथि
जऽंॅ कनियो कम होइत अछि दहेज।
मादा-भूर्ण आओर नव कनियाक
जान लऽ लैत अछि इ दहेज
ई सभ देखि सूनि कऽ
काइपि उठैत अछि किशन के करेज।
समाज के बरबाद केने
जा रहल अछि ई दहेज
बचेबाक अछि समाज के तऽ
हटा दियौ ई मुद्रारूपी दहेज।
खाउ एखने सपत ,करू प्रतिज्ञा
जे आब नहि मॅंागब दहेज
बिन दहेजक हेतै आब सभ ठाम
सभहक बेटीक मैरेज।

लेखक:- किशन कारीगर
       संवाददाता, आकाशवाणी दिल्ली ।

रविवार, 18 मार्च 2012

गजल@प्रभात राय भट्ट

गजल@प्रभात राय भट्ट



गजल:-
वसंत ऋतू में आएल सगरो वसंत बहार
वनस्पतिक पराग गमकौने अनन्त संसार


हरियर पियर उज्जर पुष्प आर लाले लाल
पुष्पक राग केर उत्कर्ष अछि वसंत बहार


झूमी रहल कियो गाबी रहल नाचे कियो नाच
पलवित भेल प्रेम मोन में अनन्त उद्गार


सीतल सुन्दर सजल बहैय वसंत पवन
मनोरम प्रकृतिक दृश्य अछि वसंत बहार


मोर मयूरक नृत्य मधुवन कुह्कैय कोईली
मधुर मुस्कान सगरो आनंद अनन्त संसार


प्रेम मिलन मग्न प्रेमी पुष्पित वसंत बहार
मोन उपवन सुरभित भेल अनन्त संसार
.............वर्ण-१८.............
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

गुरुवार, 15 मार्च 2012

रेल बॅज्ट 2012-13 मे लागू काईल गेल नव ट्रेन


रेल बॅज्ट 2012-13 मे लागू काईल गेल नव ट्रेन

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1.माख्या - लोकमान्य तिलक टर्मिनस एसी एक्सप्रेस ( कटिहार , मुगलसराय , इटारसी के रास्ते वीकली )
2 . सिकंदराबाद - शालीमार एसी एक्सप्रेस ( वीकली - विजयवाड़ा के रास्ते )
3 . बांद्रा टर्मिनस - भुज एसी एक्सप्रेस ( सप्ताह में तीन दिन )
4 . दिल्ली सराय रोहिल्ला - ऊधमपुर एसी एक्सप्रेस ( अंबाला , जालंधर के रास्ते सप्ताह में तीन दिन )
5 . कोयंबटूर - बीकानेर एसी एक्सप्रेस ( रोहा वसई रोड , अहमदाबाद , जोधपुर के रास्ते साप्ताहिक )
6 . काकीनाडा - सिकंदराबाद एसी एक्सप्रेस ( सप्ताह में तीन दिन )
7 . यशवंतपुर - कोचुवेली एसी एक्सप्रेस ( साप्ताहिक )
8 . चेन्नै बेंगलुरु एसी डबल डेकर एक्सप्रेस ( दैनिक )
9 . हबीबगंज - इंदौर एसी डबल डेकर एक्सप्रेस ( दैनिक )
10 . हावड़ा - न्यू जलपाईगुड़ी शताब्दी एक्सप्रेस ( माल्दा टाउन के रास्ते सप्ताह में 6 दिन )
11 . कामाख्या - तेजपुर इंटरसिटी एक्सप्रेस ( दैनिक )
12 . तिरुचिरापल्ली - तिरूनेलवेली इंटरसिटी एक्सप्रेस ( मदुरै विरूद्धनगर के रास्ते दैनिक )
13 . जबलपुर - सिंगरौली इंटरसिटी एक्सप्रेस ( न्यू कटनी जंक्शन के रास्ते - दैनिक )
14 . बीदर - सिकंदराबाद इंटरसिटी एक्सप्रेस ( सप्ताह में छह दिन )
15 . कानपुर - इलाहाबाद इंटरसिटी एक्सप्रेस ( दैनिक )
16 . छपरा - मडुआडीह इंटरसिटी एक्सप्रेस ( फेफना , रसरा मऊ औडिहार के रास्ते दैनिक )
17 . रांची - दुमका इंटरसिटी एक्सप्रेस ( देवघर के रास्ते दैनिक )
18 . बारबील - चक्रधरपुर इंटरसिटी एक्सप्रेस ( डोंगोपासी झिंकपानी के रास्ते दैनिक )
19 . सिकंदराबाद - बेलमपल्ली इंटरसिटी एक्सप्रेस ( काजीपेट के रास्ते दैनिक )
20 . न्यू जल्पाईगुडी - न्यू कूचबिहार इंटरसिटी एक्सप्रेस ( सप्ताह में पांच दिन )
21 . अहमदाबाद - अजमेर इंटरसिटी एक्सप्रेस दैनिक
22 . दादर टर्मिनस - तिरूनेलवेली एक्सप्रेस ( रोहा कोयंबटूर इरोड के रास्ते साप्ताहिक )
23 . विशाखापटटनम - चेन्नै एक्सप्रेस ( साप्ताहिक )
24 . विशाखापटटनम - साईनगर शिरडी एक्सप्रेस ( विजयवाड़ा मनमाड के रास्ते )
25 . इंदौर - यशवंतपुर एक्सप्रेस ( इटारसी , नारखेड़ , अमरावती , अकोला और काचेगुडा के रास्ते साप्ताहिक )
26 . अजमेर - हरिद्वार एक्सप्रेस ( दिल्ली के रास्ते सप्ताह में तीन दिन )
27. अमरावती - पुणे एक्सप्रेस ( अकोला , पूर्णा और लातूर के रास्ते सप्ताह में दो दिन )
28. काचेगुडा - मदुरै एक्सप्रेस ( धर्मावरम , पकाला और जोलारपेटटई के रास्ते साप्ताहिक )
29. बीकानेर - पुरी एक्सप्रेस ( जयपुर , कोटा , कटनी , मुरूवाडा , झारसुगुडा और संभलपुर के रास्ते साप्ताहिक )
30. सिकंदराबाद - दरभंगा एक्सप्रेस ( बल्लाडशाह , झारसुगुडा , राउरकेला , रांची , झाझा के रास्ते सप्ताह में दो दिन )
31. बिलासपुर - पटना एक्सप्रेस ( आसनसोल , झाझा के रास्ते साप्ताहिक )
32. हावड़ा - रक्सौल एक्सप्रेस ( आसनसोल , झाझा और बरौनी के रास्ते सप्ताह में दो दिन )
33. भुवनेश्वर - भवानी पटना लिंक एक्सप्रेस ( विजयानगरम के रास्ते दैनिक )
34. पुरी - यशवंतपुर गरीब रथ एक्सप्रेस ( विशाखापटटनम , गुंटूर के रास्ते साप्ताहिक )
35. साईनगर शिरडी - पंढरपुर एक्सप्रेस ( कुर्दूवाड़ी के रास्ते सप्ताह में तीन दिन )
36. भुवनेश्वर - तिरुपति एक्सप्रेस ( विशाखापट्टनम , गुंटूर के रास्ते साप्ताहिक )
37. विशाखापट्टनम लोकमान्य तिलक टर्मिनस एक्सप्रेस ( टीटलागढ़ , रायपुर के रास्ते साप्ताहिक )
38. हावड़ा - लालकुआं एक्सप्रेस ( मुगलसराय , वाराणसी लखनऊ के रास्ते साप्ताहिक )
39. कोलकाता - जयनगर एक्सप्रेस ( आसनसोल , झाझा और बरौनी के रास्ते साप्ताहिक )
40. डिब्रूगढ़ - कोलकाता एक्सप्रेस ( साप्ताहिक )
41. फिरोजपुर - श्रीगंगानगर एक्सप्रेस (फजील्का अबोहर के रास्ते दैनिक )
42. जयपुर - सिकंदराबाद एक्सप्रेस ( नागदा , भोपाल , नारखेड़ , अमरावती और अकोला के रास्ते साप्ताहिक
43. ओखा - जयपुर एक्सप्रेस ( पालनपुर , अजमेर के रास्ते साप्ताहिक )
44. आदिलाबाद - हजूरसाहिब नांदेड़ एक्सप्रेस ( मुदखेड़ के रास्ते दैनिक )
45. शालीमार - चेन्नै एक्सप्रेस साप्ताहिक
46. मैसूर साईनगर शिरडी एक्सप्रेस ( बेंगलुरु , धर्मावरम बेल्लारी के रास्ते साप्ताहिक )
47. वलसाड़ जोधपुर एक्सप्रेस ( पालनपुर , मारवाड़ के रास्ते साप्ताहिक )
48. पोरबंदर - सिकंदराबाद एक्सप्रेस ( वीरमगाम , वसई रोड के रास्ते साप्ताहिक )
49. बांद्रा टर्मिनस - दिल्ली सराय रोहिल्ला एक्सप्रेस ( पालनपुर , फुलेरा के रास्ते साप्ताहिक )
50. हापा - मडगांव एक्सप्रेस ( वसई रोड , रोहा के रास्ते साप्ताहिक )
5 1 . बैरकपुर - आजमगढ़ एक्सप्रेस ( झाझा , बलिया , मऊ के रास्ते साप्ताहिक )
52 बीकानेर - बांद्रा एक्सप्रेस ( जोधपुर , मारवाड़ , अहमदबाद के रास्ते साप्ताहिक )
53 . अहमदाबाद - गोरखपुर एक्सप्रेस ( पालनपुर , जयपुर , मथुरा , फर्खारुबाद कानपुर के रास्ते साप्ताहिक )
54 . दुर्ग - जगदलपुर एक्सप्रेस ( टीटलागढ़ के रास्ते सप्ताह में तीन दिन )
55 . मन्नारगुड़ी - तिरुपति एक्सप्रेस ( तिरूवारूर , विलुपुरम , कटपडी के रास्ते सप्ताह में तीन दिन )
56. गांधीधाम - बांद्रा एक्सप्रेस ( मोरबी के रास्ते साप्ताहिक )
57. कोटा - हनुमानगढ़ एक्सप्रेस ( जयपुर , देगाना , बीकानेर के रास्ते दैनिक )
58 . झांसी - मुंबई एक्सप्रेस ( ग्वालियर , मक्सी , नागदा के रास्ते साप्ताहिक )
59 . सिकंदराबाद - नागपुर एक्सप्रेस ( काजीपेट के रास्ते सप्ताह में तीन दिन )
60 . कानपुर - अमृतसर एक्सप्रेस ( फर्रुखाबाद , बरेली के रास्ते साप्ताहिक )
61 . छपरा - लखनऊ एक्सप्रेस ( मसरख , थावे , पडरौना के रास्ते सप्ताह में तीन दिन )
62. करीमनगर - तिरुपति एक्सप्रेस ( पेदापल्ली के रास्ते साप्ताहिक )
63. आनंदविहार - हाल्दिया एक्सप्रेस ( मुगलसराय , गोमोह , पुरुलिया के रास्ते साप्ताहिक )
64 इंदौर - रीवा एक्सप्रेस ( बीना के रास्ते सप्ताह में तीन दिन )
65 . 12405-12406 भुसावल हजरत निजामुददीन और 12409-12410 रायगढ़ निजामुद्दीन गोंडवाना एक्सप्रेस को डीलिंक कर जबलपुर - हजरत निजामुद्दीन के बीच स्वतंत्र रूप से गाड़ी का चलाना।
66 . दरभंगा - अजमेर एक्सप्रेस ( रक्सौल , सीतापुर , बरेली , कासगंज और मथुरा के रास्ते साप्ताहिक )
67 . सोलापुर - यशवंतपुर एक्सप्रेस ( गुलबर्गा के रास्ते सप्ताह में तीन दिन )
68 . चेन्नै - पुरी एक्सप्रेस साप्ताहिक
69 . हैदराबाद - अजमेर एक्सप्रेस ( मनमाड , इटारसी , रतलाम के रास्ते साप्ताहिक )
70. आसनसोल - चेन्नै एक्सप्रेस ( पुरुलिया , संभलपुर , विजयानगरम के रास्ते साप्ताहिक )
71 . शालीमार - भुज ( बिलासपुर , कटनी , भोपाल के रास्ते साप्ताहिक )
72. अमृतसर - हुजूर साहेब नांदेड एक्सप्रेस साप्ताहिक
73 . सांत्रागाछी अजमेर एक्सप्रेस ( खड़गपुर , चांडिल , बरकाकाना , कटनी और कोटा के रास्ते साप्ताहिक )
74 .मालदा टाउन - सूरत एक्सप्रेस ( रामपुर हाट , आसनसोल और नागपुर के रास्ते साप्ताहिक )
75. द्वारका - सोमनाथ एक्सप्रेस ( दैनिक )

पढ़ें : रेल बजटः 39 ट्रेनों का रूट बढ़ा, 23 ट्रेनों के फेरे

पैसेंजर ट्रेनें :

1 . गोडरमा - नवाडीह पैसेंजर ( छह दि )
2 . श्रीगंगानगर - सूरतगढ पैसेंजर ( दैनिक )
3. येरागुंटला नोसाम - ननगनपल्ली पैसेंजर ( दैनिक )
4 . विष्णुपुरम - काटपाडी पैसेंजर ( दैनिक )
5. गुनुपुर - पलासा ( परलाखेमुंडी के रास्ते पैसेंजर दैनिक )
6 . अजमेर - पुष्कर पैसेंजर ( पांच दिन )
7 . कोटा - झालावाड सिटी पैसेंजर ( दैनिक )
8 . बरेली कासगंज पैसेंजर ( दैनिक )
9 . आनंदनगर - बाराहानी पैसेंजर ( दैनिक )
10 . रांगिया - तेजपुर पैसेंजर ( दैनिक )
11 . मैसूर - श्रवणबेलगोला पैसेंजर ( दैनिक )
12 . जोधपुर - बिलाडा पैसेंजर ( दैनिक )
13 . विष्णुपुरम - मइलादुतुरई पैसेंजर ( दैनिक )
14 . रोहतक - पानीपत पैसेंजर ( दैनिक )
15 . मिरज - कुर्दुवाडी पैसेंजर ( दैनिक )
16 . फुलेरा - रेवाडी पैसेंजर ( दैनिक )
17 . मैसूर - चामराजनगर पैसेंजर ( दैनिक )
18 . गोरखपुर सिवान पैसेंजर ( कप्तानगंज थावे के रास्ते दैनिक )
19 . 5175151752 रीवा - बिलासपुर पैसेंजर और 51753-51754 रीवा - चिरीमिरी पैसेंजर को डीलिंक करके रीवा बिलासपुर और रीवा चिरीमिरी के बीच स्वतंत्र रूप से पैसेंजर गाड़ियां चलाना।
20 . मैसूर - बिरूर पैसेंजर ( अरसीकेरे के रास्ते दैनिक )
21 . झांसी - टीकमगढ पैसेंजर ( ललितपुर के रास्ते )

बुधवार, 14 मार्च 2012

ब्लोग्स केर लेल मुप्त डोमेन

मिथिलाक गाम घर :



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मिथिलाक गाम घर 

माँ जानकी केर जनम भूमि मिथिला . जाही थाम चाकर बनी स्वयं भगवान् शिव संकर उगना रूप धरी आयल छलाह . मुदा ताहि धरती केर आजुक दीन में इ विडंबना अछि जे की अपन अधिकार केर लेल दर दर भटकी रहल अछि मुदा ओकर गुहार सून्निहार कियोक नहीं छैक .

विगत किछु दीन स मिथिला केर पैघ -पैघ मंच पर इ सुनबाक भेटल जे की बिहार सरकार के मैथिलि बीसी पर ध्यान देबाक चाहि आ मास्टर सव केर सेहो बहाल करबाक चाहि .

हम हुनका स आ समस्त मिथिला वासी स कहैक लेल चाहब जे की कखन धरी तक आधा टा सोहारी आ नून खा खा क पेट भरित रहब .

अहि गप में कोनो दू राइ नहीं अछि जे की हमरा सब गोटे केर लेल ई बद्द गर्व केर गप जे की भारत सरकार अहि भाखा केर अष्ठम सूची में मानी ललक , बिहार सरकार ओकरा लागू कैलक मुदा की माँ मैथिलि मात्र एत्बाही टा केर लेल हक़दार अछि ?

कहैक लेल ता सब कियो इ कहैत छि जे की भारते ता क नहीं अपितु सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड केर सभ्यता म स एक टा प्राचीन सभ्यता अछि मिथिला के . तखन मिथिला कियैक आध पेटू भ रहती .

असाम , बंगाल, ओरिसा . आ कतेको एहन राज्य अछि जाहि ठाम मात्र सिक्छा केर भाखा हुनक अपन भाखा छियें . मुदा मिथिला वासी मात्र बिहार सरकार द्वारा एक टा बिषय केर अपनाओल गेल पर कियक नहीं बिरोध करैत छि .

जखन भारत केर आन राज्य में भ सकैत अछि ता मिथिला आ सम्पूर्ण बिहार में एहन कियक नहीं भ सकैत अछि जे की सब टा विषय मैथिलि में होई . मैथिलि केर माध्यम बनेबाक लेल हम सुब हो - हल्ला कियैक नहीं का रहल छि ?

उठू , जागू एखन धरी तक बेसी देर नहीं भेल अछि बिहार सरकार केर बिरोध क ओकरा बता दियू जे की आब हम सब अपन अधिकार नहीं छोराब बसरते हमरा सब केर किछुओ कियक नहीं करे परत .

आबू एक साथ मिल जुली के संक्नाद करी आ बिहार सरकार केर देखा दी जे की तोरा हमर जरूरत छौक नहीं की हमरा तोरा स . 

रविवार, 11 मार्च 2012

गजल


धारक कात रहितो पियासल रहि गेल जिनगी हमर।
मोनक बात मोनहि रहल, दुख सहि गेल जिनगी हमर।

मुस्की हमर घर आस लेने आओत नै आब यौ,
पूरै छै कहाँ आस सबहक, कहि गेल जिनगी हमर।

सीखेलक इ दुनिया किला बचबै केर ढंगो मुदा,
बचबै मे किला अनकरे टा ढहि गेल जिनगी हमर।

पाथर बाट पर छी पडल, हमरा पूछलक नै कियो,
कोनो बन्न नाला जकाँ चुप बहि गेल जिनगी हमर।

जिनगी "ओम" बीतेलकै बीचहि धार औनाइते,
भेंटल नै कछेरो कतौ, बस दहि गेल जिनगी हमर।
(बहरे मुक्तजिब)

शुक्रवार, 9 मार्च 2012

निर्मोहिया (कथा)


हुनकर नाम छल सदानन्द मंडल। माता-पिता हुनका सदन कहैत छलखिन्ह। हुनका नेनपने सँ नाटक-नौटंकी सब मे पार्ट लेबाक शौक छलैन्हि। कनी कऽ कविता शेर सब मे सेहो हुनका मोन लागैत रहैन्हि। ओ अपन उपनाम निर्मोही राखि लेने छलैथ। नाम पूछबा पर अपन नाम सदन निर्मोही बताबैत छलाह। शनैः-शनैः हुनकर नाम निर्मोही जी, निर्मोही आ निर्मोहिया प्रसिद्ध भऽ गेल छलैन्हि। घर-परिवारक लोकक अलावे दोस्त महिम सब हुनका निर्मोही नाम सँ जानऽ लागल छल। हुनकर एकटा बाल सखा छलैथ जिनकर नाम छल घूरन सदा। घूरन सेहो निर्मोही जकाँ नाटक कविताक शौकीन छलाह आ एहि सब मे भाग लैत छलाह। ओ अपन नाम दीवाना राखने छलाह। निर्मोही-दीवानाक जोडी पूरा परोपट्टा मे प्रसिद्ध छल। दुर्गा पूजा मे गाम मे नाटक बिना निर्मोही-दीवाना केर सम्भव नै छल। कोनो आयोजन हुए वा ककरो एहिठाम बरियाती आबै आ की कतौ अष्टजाम होय, सबठाँ निर्मोही आ दीवानाक उपस्थिति परम आवश्यक रहै। निर्मोही-दीवाना गामक लेल नौशाद, खैय्याम, रफी, मुकेश, किशोर आदि सब छलाह। जखने गाम मे कोनो सान्स्कृतिक कार्यक्रम होय की लोक जल्दी सँ जा कऽ अगिला सीट लेबाक कोशिश करैत छल जाहि सँ निर्मोही-दीवानाक नीक जकाँ देख सकल जाइ। कहै केर इ तात्पर्य की निर्मोही आ दीवाना सबहक मनोरंजनक पूर्त्ति करैत छलाह। नाटकक आयोजन मे उद्घोषक जखने कहै की आब निर्मोही दीवाना मन्च पर आबि रहल छथि की तालीक गडगडी सँ पूरा आकाश बडी काल धरि गनगनाईत रहै छल। मन्च पर आबैत देरी दुनू गोटे जनता केँ नमस्कार कऽ कए शुरू करैत छलाह- "हम छी निर्मोही-दीवाना, सब दुख सँ अनजाना, लऽ कए आबि गेल छी, मनोरंजनक खजाना।" आ की लोक ताली बजबय लागै। तकर बाद फिल्मी गाना, पैरोडी, कविता, शाईरी आदि सँ ओ दुनू गोटे पूरा मनोरंजन करैत छलखिन्ह। तहिना गाम मे कोनो बरियाती आबै तऽ इ दुनू गोटे ओहि दरबज्जा पर पहुँचि जाइ छलाह। हुनकर सबहक इ सेवा निशुल्क रहैत छल। कियो भोजन करा दैत छल, तऽ ठीक, नै तऽ कोनो बात नै। हिनकर सबहक कोनो माँग नै छलैन्हि। नेनपने सँ हमरा मोन मे हिनका सबहक प्रति बड्ड आदर छल। हिनकर सबहक निस्वार्थ सेवा देखि हमरा सदिखन यैह लागल जे इ सब सही मे साधु छथि। हिनका सबहक परिवारक खर्चा कहुना कऽ चलैत छल। कखनो माता-पिताक हुथनाइ आ कखनो कनियाँक बात कथा। मुदा हिनका सब पर कोनो असर नै छल। साँझ होइत देरी दुनू मुखियाजीक पोखरिक भिंडा पर आबि जाइत छलाह, जतय पहिने सँ छौंडा आ जुआन सब हिनकर सबहक प्रतीक्षा मे बैसल रहैत छलाह। तकर बाद शुरू भऽ जाइत छल मुशायरा इ शायर-द्वय केर।

समयक गाडी तेजी सँ भागैत रहल। हम पढि कऽ किरानीक नौकरी करऽ लागलौं। गाम एनाई कम भऽ गेल। शुरु मे तऽ नियम बना कऽ होली, दुर्गा पूजा, छठि मे आबैत रहलौं। बाद मे इहो एनाई जेनाई बड्ड कम भऽ गेल। गाम मे धीरे धीरे सब किछ बदलि गेल। नाटकक चलन सेहो खतम भेल जाईत छल। ओकर बदला मे थेटर आ बाईजीक चलन बढल जाईत छल। बरियातीक स्वागत सत्कार मे अपनैतीक स्थान पर यान्त्रीकरण जकाँ बेबहार हुए लागल छल। निर्मोही आ दीवानाक पूछनिहारक संख्या सेहो घटल जाईत छल। घूरन सदा अपन परिवारक दारूण स्थिति देखि नौकरीक जोगाड मे लागि गेलाह आ कहुना कऽ एकटा प्राइवेट प्रेस मे दरिभंगा मे नौकरी करऽ लागलाह। ओ अपन बाल सखा सदानन्द मंडल उर्फ सदन निर्मोही केँ सेहो लऽ जेबाक प्रयास केलखिन्ह, मुदा निर्मोही नहि गेलथि। निर्मोहीक स्थिति आरो खराप भेल गेल आ तमाकूलक खर्ची तक निकलनाई भारी हुअ लागल। मुदा निर्मोही अपन कविता शाईरीक शौक नै छोडलैन्हि। एक बेर दुर्गा पूजा मे गाम एलहुँ। साँझ मे मेला घूमै लेल गेलौं। पता चलल जे एहि बेर एकटा पैघ थेटर आयल अछि। हम कक्का सँ निर्मोहीजी दिया पूछलियैन्हि। कक्का कहलथि जे ओ बताह भऽ गेल छथि। कतौ कोनटा मे ठाढ भऽ कऽ अपन बडबडाईत हेताह। हम चारू कात ताकऽ लागलौं। देखलौं जे मेलाक एकटा अन्हार कोन मे ओ वीर रसक कविता पूरा जोश मे पाठ करैत छलाह आ बच्चा सब हुनकर चारू कात घेरा बना कऽ ताली बजबैत छल। हम लग गेलौं। निर्मोहीजीक दाढी पूरा बढल छल। आँखि मे काँची, उजडल केश, फाटल कुरता.... हमर मोन करूणा सँ भरि गेल। हम गोर लागलियैन्हि आ पूछलियैन्हि- "कक्का चिन्हलौं?" ओ हमरा धेआन सँ देखि बजलाह- "अहाँ ओम थीकौं ने।" हम- "अहाँ अपन की हाल बना लेने छी। काकी आ बच्चा सबहक की हाल?" निर्मोही- "यौ सब कहुना कऽ जीबि रहल छै। खेनाईक जोगाड कहुना भऽ जाईत अछि।" हम- "कविता शाईरीक की हाल?" निर्मोही- "कियो पूछनिहार तऽ रहल नै। बस अपने रचना करैत छी आ नित्य साँझ मे पोखरिक भिंडा पर जा कऽ असगरे पाठ करैत छी। लोक बताह कहैत ए। सब बुडिबक छथि। साहित्य आ रचनाक महत्व की बूझताह।" हम- "कोनो नौकरी नै केलियै अहाँ?" निर्मोही- "हमर जन्म नौकरी करबा लेल नै भेल अछि। हम अपन जिनगी गीत-संगीत आ शाईरीक नाम लिख देने छी।" हम- "इ तऽ ठीक अछि। मुदा काकी आ बच्चा सभक तऽ सोचियौ।" निर्मोही- "अरे सभक देखनिहार भगवान छथि। भगवान सभक जोगाड करथिन्ह।" हमरा रहल नै गेल आ हम किछ आर्थिक मदति करबाक कोशिश केलौं, मुदा ओ लेबा सँ मनाही कऽ देलथि। कहलथि- "अहाँक चाह पीबि लेलौं, बस वैह बहुत अछि। हमरा कोनो मदति नै चाही।" हम हुनका सँ अनुमति लऽ कऽ मेला सँ गाम दिस चललहुँ। सोचऽ लागलहुँ जे इ कोन बतहपनी भेल। परिवारक विषय मे नै सोचबाक छलैन्हि तऽ बियाह किया केलाह निर्मोही जी। फेर इहो सोचऽ लागलौं की समाजक लोक मनोरंजन तऽ चाहै छथि, मुदा मनोरंजन पर पाई नै खर्च करऽ चाहै छथि, से किया। नीक सँ नीक कलाकार जँ अपन कोनो रोजगार नै करै तऽ भूखले मरि जाईत ए। समाज एहन निर्मोही कियाक अछि। जे कहियो सबहक तालीक केन्द्र रहैत छलाह, से आब सब केँ बताह किया बूझा रहल छथिन्ह। यैह सब सोचैत हम निर्मोहीजीक आंगन पहुँचि गेलौं। आंगन मे हुनकर कनियाँ बैसि कऽ तरकारी काटै छलीह। हम गोर लागैत कहलियैन्हि- "काकी की हाल चाल?" ओ फाटल आँचर सँ अपन माथ झाँपैत कहलथि- "कहुना कऽ जीबि रहल छी बउआ। तेहेन निर्मोही सँ बाबू बियाह करा देलथि, जिनका पर-परिवारक कोनो मोह नै छैन्हि।" हम- "काकी, कक्का तऽ साहित्य संगीत मे लागल छथि। हुनका एना निर्मोही जूनि कहू।" काकी- "जँ एहन गप अछि तँ साहित्ये संगीत सँ बियाह किया नै कऽ लेलथि? दू टा बेटा जुआन भऽ कऽ कतौ पलदारी करैत छैन्हि। बेटी केँ बियाहक कोनो चिन्ता नहि। एहन कोन साहित्य प्रेम? हमर ससुर बीमार भऽ कऽ दवाईक अभाव मे तडपि तडपि कऽ मरि गेलाह। हुनकर मरलाक बाद ओ केश आ दाढियो नै कटेलथि। इ कोन बतहपनी भेलै?" हम ओतय सँ चलि देलहुँ। सोचऽ लागलौं जे सब लेल ओ निर्मोही आ हुनका लेल सब निर्मोही।

समयक पहिया घूमैत रहल। १० बरख बीत गेल। गरमी छुट्टी मे बच्चा सब केँ लऽ कऽ गाम आयल छलहुँ। एक दिन दलान पर बैसल छलहुँ की रमन भाई कहैत अयलाह- "निर्मोही गोल भऽ गेलाह। किछ दिन सँ बिछौन धेने छलाह। कोनो गम्भीर रोग सँ पीडित भऽ गेल छलाह।" हम रमन भाईक संग निर्मोही जीक दलान पर गेलौं। ओतुक्का दृश्य बड्ड कारूणिक छल। काकी उठा उठा देह पटकै छलीह आ कानैत छलीह इ बाजि बाजि जे जिनगी भरि निर्मोहिया रहलौं आ आइयो निर्मोहिया बनि उडि गेलौं। हम आंगन मे पडल लहाश केँ देखलहुँ। बाँसक चचरी पर सदानन्द मंडल उर्फ सदन निर्मोही उर्फ निर्मोहिया शांति सँ पडल छलथि। एकदम शांत, बिना कोनो मोह केँ दीर्घ विश्राम मे छलाह निर्मोही जी। पूरा गाम ओतय जुटल छल आ निर्मोहीक संगीत कविताक चर्चा करैत छल। हम दलानक कोठरी मे गेलहुँ जतय निर्मोही रहै छलाह। एकटा टूटलाहा काठक अलमीरा मे हुनक हाथ सँ लिखल ढेरी पाण्डुलिपि पडल छल। किछ दीमक सँ खाएल छल आ किछ कागतक सियाही पसरि गेल छलै। हुनकर सिरमा तर मे एकटा कागत छल जै पर किछ लिखल छल। इ हुनकर अन्तिम रचना छल, जे पूरा नै छल। ऐ मे लिखल छलः-
इ जग छै निर्मोही, बन्धन तोडि कऽ उडि जाउ।
आब नै घूमू, कियो कतबो कहै जे घुरि जाउ।.............................................................................

मंगलवार, 6 मार्च 2012

निबंध प्रतियोगिता

निबंध प्रतियोगिता


दिल्ली सँ प्रकाशित मासिक मैथिलि पत्रिका मिथिलांचल पत्रिका के द्वारा कक्षा ८  सँ ल के बी.ए/बी.एस.सी/ बी.कॉम/इंजीनियरिंग /चिकित्सा विज्ञानं के छात्र हेतु एकटा निबंध प्रतियोगिता रखल गेल अछि .
निबंध के विषय :- "मातृभाषाक माध्यम सँ विज्ञानं एवं प्रोद्योगिकी के शिक्षा कतेक सार्थक अछि "
 जाही में प्रतिभागी हेतु नियम :-
१. कक्षा ९ सँ - स्नातक तक के छात्र भाग लय सकैत छथि
२. उम्र सीमा - १२ वर्ष -२२ वर्ष
३.रचना मौलिक हेबाक चाही एवं स्व लिखित हेबाक चाही
४.आलेख मैथिलि भाषा में हेबाक चाही
५.रचना पठेबक अंतिम तिथि - २५ मार्च २०१२
६. प्रतिभागी लोकनि अप्पन आलेख mithilanchalpatrika@gmail.com 
  या   B-2/333 Tara Nagar, Old Palam Road Sec-15 Dwarka New Delhi-110078. पर पठाबी
७. आलेखक संग अप्पन परिचय एवं पत्राचारक पता अबश्य पठाबी
८. विशेष जानकारी हेतु संपर्क करी Mob -9990065181 /9312460150/ 09762126759.

निर्णयाक मण्डली में छैथि :- १.डॉ. कैलाश कुमार मिश्र २.डॉ. प्रेम मोहन मिश्र ३. श्री गजेन्द्र ठाकुर ४. डॉ. शशिधर कुमार
पुरस्कार :- निबंध प्रतियोगिता में चयनित प्रतिभागी के समुचित पुरस्कार राशी एवं प्रमाणपत्र  पठौल जाएत

भबदीय
डॉ. किशन कारीगर
(संपादक ) मिथिलांचल पत्रिका

सोमवार, 5 मार्च 2012

मैथिलि--काव्य: GAJAL

मैथिलि--काव्य: GAJAL: जोइड़ अपन ह्रदय अहाँ सँ तोइड़ देलहूँ सम्बन्ध जहाँ सँ रहब सदिखन संगे खेलहूँ शपति छोइड़ देलहूँ जखने पड़ल विपति मनक आश हमर मने रहिग...

करीक्का रूपैया - (हास्य कविता)

करीक्का रूपैया।
(हास्य कविता)
नेहोरा करैत करैत मरि गेल कारीगर
नहि लियअ आ ने दियअ करीक्का रूपैया
मुदा ई की कोनो काज करेबाक अछि 
त कहल जायत जल्दी लाउ करीक्का रूपैया।

मौका भेटला पर सरकारी बाबू नहि छोड़त
रूपैया बिन एक्को टा काज ने होएत
अहाँ फायल ल व्यर्थ घूमैत छी यौ भैया
काज करेबाक अछि त जल्दी लाउ करीक्का रूपैया।।

कहलहुँ त स्वीस बैंक मे खाता खोलाएब
चुपेचाप पार्टी ऑफिस मे चंदा जमा कराएब
जीबैत जिनगी हम अप्पन मुर्ती बनाएब
मोन होएत त विदेश यात्रा पर जाएब।।

कतबो हल्ला करब तै स की
स्वीस बैंक मे जमा रहत करबै की
लुटा रहल अछि सरकारी खजाना
अहुँ लुटु हमहुँ लुटैत छी जमा करू करीक्का रूपैया।।

भ्रष्टाचाराक ढे़रीऔलहा संपति हमरे छी
एहि दुआरे पक्ष-विपक्ष मे झगरा भेल औ भैया
एक दोसराक मुँह पर करीक्का स्याही फेकलक
राजनैतिक घमासान मचा देलक करीक्का रूपैया।।

रामलीला मैदान मे जनआंदोलन भेल
लोकपाल पर कोनो ठोस कारवाई ने भेल
सरकार फोंफ काटि रहल अछि बुझलहुँ की
साफ सुथरा लोकपाल कहियो आउत ने।।

भ्रष्टाचार मे खूम नाम कमेलहुँ मुदा
तइयो संतोष नहि भेल औ भैया
भ्रष्टाचाराक रोटी खा देह फुलाउ
संपैत ढ़ेरियाउ अहाँ जमा करू करीक्का रूपैया।।

दुनियाक सभ सँ नमहर लोकतंत्र मे
कुर्सी हथिएबाक होड़ मचल अछि
अहाँ जुनि पछुआउ गठजोड़ करू यौ भैया
चुपेचाप अहाँ जमा करू करीक्का रूपैया।।

हल्ला-गुल्ला करने किछ काज ने होएत
बिना किछ लेने-देने फायल ने घुसकत
ईमानदारी स किछो नहि तकैत की छी
जल्दी जेबी गरम करू लाउ अहाँ करीक्का रूपैया।।

लेखक:- किशन कारीगर

रविवार, 4 मार्च 2012

"विआह"


सुनि गप्प विआह कें

मन अध्हर्षित अध्दुखित भेल |


सुझाए लागल ब्रह्माण्ड हमरा

तन-मन आकुल-व्याकुल भेल ||



क्षणिक सोइच आनन्द विआह कें

हम कुदअ लगलौं चाईर-चाईर हाथ |


द' चौबनियाँ मुस्कान

हम गुद्गुदाए लगलौं भईर-भईर राइत ||



नै छलौं देखने हुनका

नै छल हुनकर कोनो ज्ञान |


नै जानि तइयौ हुनके

कियाक बुझैत छलौं अपन प्राण ||



अचानक केखनो क' हमरा

मन मे भ' जाइत छल  साइत --

नै जानि ओ केहन हेती

अनाड़ी हेती या व्यावहारिक हेती !

बुझल छल हमरा एतबाए

हुनक व्यस(उम्र) छनि सोलह साल |


तांए डेराइत छलौं हम

कोना करब "प्रेमक' बात ||



बुझल छल हमरा एतबाए

ओ नैन्ना हम स्यान |

तांए डेराइत छलौं हम

कोना करब एकहि घाट हम स्नान ||



मुदा मन के बुझअलौं- की करबअ ?

मिथिला कें छै इहाए विधान

"कनियाँ नैन्ना " आ "वर स्यान " ||



:गणेश कुमार झा "बावरा"

गुवाहाटी