फोंफ काटि रहल सरकार
(हास्य
कविता)
रंग विरंगक डिग्री
डिप्लोमा लेने
रोड पर घूमि रहल युवक
बेकार
देशक कर्ता-धर्ता
चुप्पी लधने छथि
आ फोंफ काटि रहल
सरकार।
बुनियादी शिक्षाक दरस
एक्को मिसिया ने
खाली किताबी ज्ञान देल
गेल छैक
आ परीक्षा पास कए
डिग्री लेने
घूमि रहल अछि युवक
बेरोजगार।
ओकरा नहि कोनो
लुड़ि-भास
तोतारंटत आ परीक्षा
पास
बेबहारिक जिनगी मे फेल
भ गेल
कियो भूखले मरै अहाँ
के कोन काज।
परीक्षा प्रणाली आ
पाठ्यक्रम एहेन किएक
अहिं फरिछा के कहू औ
सरकार
फुसियाँहिक डिग्री
डिप्लोपा कोन काजक
कतेक लोक एखनो अछि
बेकार।
कुर्सी पर बैसल छी त
कोना बुझहब
कि होइत छैक लाचारी आ
बेकारी
रोजगारक अवसर बंद
केलियै
कतेक बढ़ि गेल अछि
बेरोजगारी।
अहिंक पैरवी पैगाम सँ
अलूइड़ लोक सभ के नोकरी
भेट गेल
मुदा मेहनत क पढ़निहार
सभ
पक्षपात नीति दुआरे
बेकार भ गेल।
दू टा पद दू लाख आवेदन
कर्ता
एकटा पद मंत्री कोटा
सँ
विज्ञापन पूर्व फिक्स
भेल अछि
बिधपुरौआ परीक्षा टा
करौताह।
मेहनत क ईमानदारी सँ
लिखित परीक्षा पास क
लेब
मुदा इंटरव्यू मे अहाँ
के
तेरह डिबिया तेल
जरतौह।
ईमानदारी पर अड़ल रहब
कारीगर
त इंटरव्यू मे कैंची
चलत
योग्यता रहैतो अहाँ भ
जाएब बेकार
मुदा फोंफ काटि रहल
सरकार।। http://kishankarigar.blogspot.com
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