मिथिला महिमा
prof.krishna kumar jha |
मैथिलवंशक अमरसुमन यश इतिहासो
अछि गावि रहल ।
अपूर्ण पञ्चम बालक शंकर
त्रिलोक महिमा गाबि चुकल ।।
सीता सब मैथिल कन्या छथि पिता
जनकपद पाबि चुकल ।
जगदम्बा जनकक आँगनमें बेटी बनि
छथि आबि चुकल ।।
त्रिभुवनपति जामाता जिनकर
सदेह-विदेह पद पाबि चुकल ।
धनुषयज्ञसँ पुरुषपरीक्षा मैथिल
गुण-गौरव पावि रहल ।।
अज्ञानक आकर जग निसृत ज्ञानसुधा छथि पाबि चुकल ।
जगदम्बा उच्चैठ बसलि छथि
कालीदासक माय बनलि ।।
शिवशक्ति कोमलकान्ति पदावलि
कविकोकिल छथि गाबि चुकल ।
भक्तकवश त्रिभुनपति उगना सेवक
बनि छथि आबि चुकल ।।
याज्ञवल्क्य मण्डन वाचस्पतिक
मातृत्व मिथिला पाबि चुकल ।
गौतम गङ्गेश भट्टकुमारिल अवतार
धरापर पाबि चुकल ।।
गङ्ङा गण्डकि कोसी ओ लक्षमणा
जगत विदित बुवि भाबि रहल ।
कमला त्रियुगा अमृता ओ घेमुडा
जगबागमती यश गाबि रहल ।।
जय मिथिला मैथिल मैथिली महिमा
बनिकऽ आबि चुकल ।
अष्टम अनुसूचिक भाषा बनि मानक
गौरव पाबि चुकल ।।
कृष्णकुमार झा"अन्वेषक"
सम्पादक मिथिला दर्पण
सम्पर्क--०९५९४०८६८४८
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