आइ किछु मोन पडलै फेरसँ किए
भाव मोनक ससरलै फेरसँ किए
टाल लागल लहासक खरिहानमे
गाम ककरो उजडलै फेरसँ किए
आँखि खोलू, किए छी आन्हर बनल
नोर देशक झहरलै फेरसँ किए
चान शोभा बनै छै गगनक सदति
चान नीचा उतरलै फेरसँ किए
"ओम" जिनगी अन्हारक जीबै छलै
प्राण-बाती पजरलै फेरसँ किए
(दीर्घ-ह्रस्व-दीर्घ-दीर्घ)-(ह्रस्व-दीर्घ-दीर्घ)-(दीर्घ-दीर्घ-ह्रस्व-दीर्घ)
(फाइलातुन-फऊलुन-मुस्तफइलुन) - १ बेर प्रत्येक पाँतिमे
भाव मोनक ससरलै फेरसँ किए
टाल लागल लहासक खरिहानमे
गाम ककरो उजडलै फेरसँ किए
आँखि खोलू, किए छी आन्हर बनल
नोर देशक झहरलै फेरसँ किए
चान शोभा बनै छै गगनक सदति
चान नीचा उतरलै फेरसँ किए
"ओम" जिनगी अन्हारक जीबै छलै
प्राण-बाती पजरलै फेरसँ किए
(दीर्घ-ह्रस्व-दीर्घ-दीर्घ)-(ह्रस्व-दीर्घ-दीर्घ)-(दीर्घ-दीर्घ-ह्रस्व-दीर्घ)
(फाइलातुन-फऊलुन-मुस्तफइलुन) - १ बेर प्रत्येक पाँतिमे
Bad neek Om prakash jee...neek likhne chhi...
जवाब देंहटाएंबहुत नीक।
जवाब देंहटाएं