मैथिली साहित्यमे पुरस्कार लेल भऽ रहल राजनिती कोनो नव नञि अछि। ओना एहि तरहक गुलैसी कोनो मैथिली साहित्यमे नञि अपितु सभ भाषामे भऽ रहल अछि। हम एहि ठाम कोनो आन भाषाक चर्च नञि करब। चुकि हम एक गोट मैथिल छी एहि लेल मैथिली साहित्यमे पसरल गुलैसीपर चर्चा करब। ओना मैथिली साहित्यक जगतसँ बेसी परिचित नञि छी मुदा एतेक कम समयमे जे देखऽ सुनऽ लेल भेटल से अपने सभक समक्ष राखि रहल छी। पछिला किछु बरखमे एहि पुरस्कारपर काफी हो हल्ला मचाओल गेल। एखन धरि जिनका किनको ई पुरस्कार भेटल हुनका सन्दर्भमे कहल गेल जे ब्राहमण हेबाक कारणेँ भेटल अछि। किछु विशेष व्यक्तिक सेवा टहल बजेबाक कारणेँ भेटल अछि। चाहे ओ डा. रामदेव झा होथु वा उदय चन्द्र झा बिनोद। सभकेँ एके तराजूमे जोखल गेल। ओना एहि बीचमे जखन कोनो वामपन्थी वा कामयूनिस्टकेँ ई पुरस्कार भेटल तँ हुनका योग्यवान प्रमाणित कएल गेल। ई तँ ओहि कहावतकेँ चरितार्थ करैत अछि जे आइ कल्हिक नवतुरिया कहैत अछि ‘कृष्ण करएतँ रासलीला, हम करीतँ कैरेक्टर ढ़ीला’। की एकरा दोगला निती नञि कहल जेबाक चाही। एहिमे कोनो दू राय नञि अछि जे आइ धरि जिनका किनको ई पुरस्कार भेटल ओ अपना आपमे मैथिली साहित्यक विद्ववान छथि। एहि तरहक आरोप लगौनिहार एहि बेर बड़ खुश भेल हेता। हुनका लोकनिक कहब छनि जे एहि बेर बाभन सभक दालि नञि गलल।
आब ध्यान देबऽ योग्य प्रश्न अछि जे कि एहि बेरका पुरस्कारमे कोनो तरहक राजनिती भेल वा नञि? एहिमे कोनो शक नञि अछि जे शेफालिका वर्मा, महेन्द्र ना. राम आ अरूणाभ सौरभ नीक लेखक छथि। मुदा प्रश्न उठैत अछि जे कि एहिसँ नीक पोथी मैथिली साहित्यमे उपल्बध नञि छल?
ओना आइ काल्हि देखल जा रहल अछि जे जँ अहाँ मैथिली साहित्यमे अपन स्थान बनाबऽ चाहैत छी तँ कामयूनिस्ट बनु, पैघ साहित्यकार सभकेँ गारि पढ़ू। एहि बेरक पुरस्कार सेहो कतेको प्रश्नकेँ जन्म दैत अछि मुदा एहि बेर कोनो सवाल नञि पुछल जाएत। एहि बेरका पुरस्कार विजेताकेँ गारि नञि पढ़ल जाएत। चलु जे हो एखन तँ विजेता लोकनिकेँ बधाइ देबाक अवसर अछि। एहिना ओ सभ दिन प्रतिदिन मैथिलीक सेवा करथि रहथि।
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