मिथिलांचल टुडे मैथिलि पत्रिका

मिथिलांचल टुडे मैथिलि पत्रिका पहिल अंक लअके बहुत जल्दिय आबी रहल अछि,अपनेक सबहक समक्ष , किछू हमहूँ कहब आ किछु अहूँ के सुनब,देखू -- http://www.mithilanchaltoday.in/ , E- mail - mithilanchaltoday@gmail.com

बुधवार, 29 अगस्त 2012

फायरफॉक्सक अन्तिम मैथिली वर्सन जारी-संगीता कुमारी आ मैथिली टीमक प्रयाससँ भेल ई सफल (रिपोर्ट प्रियंका झा)



-फायरफॉक्सक अन्तिम मैथिली वर्सन जारी-संगीता कुमारी आ मैथिली टीमक प्रयाससँ भेल ई सफल
-फायरफॉक्स-मोजिला अपन जालवृत्तपर केलक ई घोषणा
-http://blog.mozilla.org/l10n/2012/08/28/maithili-localization/ पर फायरफॉक्स-मोजिला २८ अगस्त २०१२ केँ घोषणा केलक:
Maithili localization released with Firefox 15
AUG
28
2012
We’re happy to announce that we’re adding a new localization to
Firefox 15 desktop!

Sangeeta Kumari and the Maithili (mai) team have been working tirelessly to produce the world’s first ever Maithili version of Firefox for the people of India and Nepal. According to our friends at Wikipedia, there were more than 34.7 million Maithili speakers around the world as of the year 2000. This specifically includes the regions of Bihar, Jharkhand, parts of West Bengal in India, and the Terai region in Nepal. Thanks to the Maithili team, more than 34.7 million native Maithili speakers can now enjoy browsing the Web with Firefox 15. The Maithili Firefox release brings our total number of Firefox localizations to 78. Congratulations to the Maithili team!

We also want to extend congratulations to the Acholi (ach) team! Their localization efforts have successfully led to a Acholi Firefox build in the Firefox Beta channel. The Acholi beta build will be released with Firefox 16. Native Acholi speakers (estimated to be more than 1.22 million speakers in Uganda and South Sudan) can download and help test their localized build here.

डाउनलोड करू मैथिली मोजिला फायरफॉक्स:


संगीता कुमारी आ मैथिली टीमकेँ बधाइ।

पूर्वपीठिका:

राजेश रंजन आ संगीता कुमारीक मैथिली फेडोरा प्रोजेक्ट/ फ्यूल प्रोजेक्ट

http://maithili.sourceforge.net/

http://ansiss.org/

http://fedoraproject.org/

https://fedorahosted.org/fuel/wiki/fuel-maithili

http://l10n.gnome.org/teams/mai

http://translate.fedoraproject.org/languages/mai


राजेश रंजन आ संगीता कुमारीक मैथिली स्पेलचेकर
http://extensions.services.openoffice.org/project/dict-mai


मैथिलीमे संपूर्ण कंप्यूटर सहित ऐ प्रसिद्ध ब्राउजरकेँ मैथिली जनसमूहक उपयोग लेल एक स्वैच्छिक समूह (मधेपुराक राजेश रंजन आ संगीता कुमारी) तैयार केलक अछि।

http://www.mozilla.org/en-US/firefox/all.html

मंगलवार, 28 अगस्त 2012

भुवनेश्वरमे २५ सितम्बर २०१२ केँ साहित्य अकादेमी युवा पुरस्कार आनन्द कुमार झा केँ देल गेल (रिपोर्ट पूनम मण्डल)

-भुवनेश्वरमे २५ सितम्बर २०१२ केँ साहित्य अकादेमीक पहिल युवा पुरस्कार नाटककार आनन्द कुमार झा केँ देल गेल
- हुनका ई पुरस्कार नाटक हठात परिवर्तन लेल देल गेल








सोमवार, 27 अगस्त 2012

घोंघाउज आ उपराउंज (हास्य कविता)

घोंघाउज आ उपराउंज

(हास्य कविता)



हम अहाँ के गरिअबैत छि

अहाँ हमरा गरिआउ

बेमतलब के करू उपराउंज

धक्कम-धुक्की करू खूम घोघाउंज.



कोने काजे कहाँ अछि

आब ताहि दुआरे त

आरोप-प्रत्यारोप मे ओझराएल रहू

मुक्कम-मुक्की क करू उपराउंज .



श्रेय लेबाक होड़ मचल अछि

अहाँ जूनि पछुआउ

कंट्रोवर्सी मे बनल रहू

फेसबुक पर करू खूम घोघाउंज.



मिथिला-मैथिल के नाम पर

अहाँ अप्पन रोटी सेकू

अपना-अपना चक्कर चालि मे

रंग-विरंगक गोटी फेकू.



अहाँ चक्कर चालि मे

लोक भन्ने ओझराएल अछि

अहाँ फेसबूकिया ग्रुप बनाऊ

अपनों ओझराएल रहू हमरो ओझराऊ.



ई काज हमही शुरू केलौहं

नहि नहि एक्कर श्रे त हमरा अछि

धू जी ई त फेक आई.डी छि

अहाँ माफ़ी किएक नहि मंगैत छी?



बेमतलब के बड़-बड़ बजैत छी

त अहाँ मने की हम चुप्पे रहू?

हम की एक्को रति कम छी

फेसबुक फरिछाऊ मुक्कम-मुक्की करू.



आहि रे बा बड्ड बढियां काज

गारि परहू, लगाऊ कोनो भांज

कोनो स्थाई फरिछौठ नहि करू

सभ मिली करू उपराउंज आ घोंघाउज.
 http://kishankarigar.blogspot.com

रविवार, 26 अगस्त 2012

रामदेव झाक बेटा विजयदेव झा द्वारा फोन नम्बर +९१९४७०३६९१९५ सँ उमेश मण्डलकेँ धमकी (रिपोर्ट पूनम मण्डल)



रामदेव झाक मूर्ख बेटा विजयदेव झाक फोन नम्बरसँ उमेश मण्डलकेँ पठाओल एस.एम.एस.

"गजेन्‍द्रक पोसुआ अपन परतर हमर परि‍वारसँ जुनि‍ करू बाउ आ फेसबुकपर जे नाटक क' रहल छी ओइसँ पैघ नाटक हमरा अबैए। कहबी छै फल्‍लाँ धोबीकेँ लूरि‍सँ बनल भगता मंडल अपन बापकेँ परतर आ तुलना ककरासँ क' रहल छी बाउ पहने फल्‍लाँ धो आउ तखन हमरा परि‍वारक योगदानपर चर्चा करब बाउ अपनेक पि‍ताकेँ कोना अकेदमी एवार्ड भेटल आब ओइपर अहाँ लेख पढ़ब बुरी रे लि‍खनाइ की होइ छै से हम सीखा देब।"

महेन्द्र मलंगियाक मूर्ख बेटा ललित कुमार झाक हाथ जे रामदेव झाक मूर्ख बेटा विजयदेव झाक फोन नम्बरसँ उमेश मण्डलकेँ पठाओल ऐ एस.एम.एस. सँ सिद्ध होइए।

"बहुत-बहुत धन्यवाद, समदिया पहिल बेर नीक समाचार सुनौलक हमरा, हमर एक हेराएल मित्र हमरा नाइजीरियासँ फोन केलनि, फूइसक खेती चालू रहय मण्डल"
(+२३४८०३९४७२४५३नाइजिरिया  ललित कुमार झा) (विजयदेव झा  +९१९४७०३६९१९५)

विजयदेव झाक ड्रग एडिक्ट बला भ्रष्ट-अशुद्ध अंग्रेजीमे पठाओल अभद्र ई-मेल, पैरवीसँ पास करैक निशानी


Vijay Deo Jha

Mar 19

to Gajendra
Dear,
Sri Gajendra Thakurji I am writing you this mail in response to sustained campaign by your close group forming E-Samadiya and others including Umesh Mandal and one ghost lady Priyanka Jha against me that I obtained assignment from the Sahitya Akademi. I have attached scanned copy of the reply of Sahitya Akademi in this regard. Dear sir, as your supported E magazine had published the report of an RTI indicating my name one who has obtained translation assignment that you people propagated some sort of Wikileaks. Dear Sir, your energetic team did not apply its mind to ascertain the fact of the assignment and thereafter. Though during the debate I found your esteemed literary colleague Priyanka Jha down to the gutter--she had neither the manner nor mind to enter into a debate of literary kind. I rest this matter here. But I will like you to publish this letter and my  version with same prominence the way I was targeted. I don't have mail id and phone number of Shree Umesh Mandal and Priyanka Jha to reply them. I mailed you also because of the reason that you have been in touch with these two.

Regards

Vijay Deo Jha

Jun 4

to Gajendra
Dear Sir,
Please refer to my previous mail along with attachment. I had requested you to give space to my statement in you E Samadiya blog against libelous content published against me regarding taking benefit from Sahatiya Akademi. I understand that you have a busy schedule in politics of literature apart from your job. I understand that you people are prone to forget to repair mistakes and nonsense delivery of allegation. Sir let me be very specific that you had leveled certain charges against me and I made my reply along with official communication received from SA. Don't you think that you should act as a gentleman to publish my version and the letter to clear my stand. Sir I am frivolous and flippant kind of person rather I am a very no-nonsense kind of people. You must be wondering that I am chasing you like anything over a petty issue. The charges you leveled against me could be petty in your consideration but for me it a serious matter. I am amazed that how person like you who is calmouring to be maker of Maithili Literature has been behaving shamelessly. Some two and half month back I had sent you the mail with the request. I had sent mail to Umesh Ji also. Your silence suggests you people are standing nowhere on the integrity index and how a so called intellectual and writer like you can be third rate cheat. I am also looking for that fantastic lady Priyanka Jha. Hadn't she been a lady I would have given her piece of my mind. Sorry for being harsh but you have forced me to be so.      
29 AUGUST 2012 09.15 PM मैं इस बात के लिए खेद प्रकट करता हूँ की मेरी वजह से आपका लीटर भर खून जल गया होगा. आप और आपके अनुचरों की भाषा उस तिलमिलाहट को दिखाती है वैसे मुझे बहुत सारे सज्जनों ने फोन पर आपसे मूह न लगाने की सलाह दी क्यूँ की आपने किसी को नहीं छोड़ा है सब को गाली दी है ऐसे में मैं क्या. छोड़िये इन बातों को, मेरा मेल आप खूब प्रकाशित कर रहे हैं आप. मैं ने आपको एक और मेल भेजा था हिंदी में क्यूँ की मेरी अंग्रेजी या तो बुरी है या फिर आपके समझ से बाहर है. वह मेल भी प्रकाशित करें हाँ लेकिन ईमानदारी होनी चाहिए क्यूँ की मेरे ड्रग एडिक्टेड टेक्स्ट को आप अपने करप्ट एडिटिंग के द्वारा अपने लायक बना देते हैं. मूल सवाल यह देखने में आया है की आप मेरे सवालों को अपने ब्लॉग और साईट पर जगह नहीं देते. अगर आप वह मेल प्रकाशित कर दें तो मुझ जैसे मुर्ख के असलियत के साथ साथ लोगों को आप जैसे महान इंटरनेटी फेसबुकिया साहित्यकार के असलियत का भी पता चल जायेगा. आप एक महान फेसबुक साहित्यकार हैं आपका बस चले तो मैथिली के सारे साहित्यकारों का संहार कर दें. अपने सभ्य तमीजदार टीम और उसके भाषा में बारे में क्या ख़याल रखते हैं गजेन्द्र सर. अच्छा है की लोग उन्हें भी पढ़ रहें हैं. एक बात तो है की अगर साहित्य अकादमी में मैथिली न होता तो आप जैसे पैसा पीटने वाले लोग साहित्यकार बनने की कोशिश नहीं करते. आप किसी साहित्य की सेवा नहीं कर रहे हैं. जब आदमी पैसा कमा लेता है तो उसे यश कमाने की भूख लगती है लेकिन वह पैसे से नहीं कमाया जा सकता है ना सर. मुर्ख हूँ आपके शब्दों में लेकिन है यह है पते की बात. सर बहुत सीधा सा सवाल पूछता हूँ की आप इतना बड़ा ढोंग कैसे कर लेते हैं मसलन घोर ब्रामहण विरोधी आदि आदि. यह जो जातिसूचक टाईटिल आपने लगा रखा है उसे तो पहले हटायें फिर जनेऊ हटायें फिर यह सब बाचन करें. यह बात मैंने आपको पिछले बार भी पुछा था जब आप प्रियंका झा बन कर हम से पेंच लड़ा रहे थे. मैं आप के किस रूप की पूजा करू आप कब किस रूप में दर्शन देते हैं श्रीमान यह बड़ा गंभीर तत्व ज्ञान का विषय हैं. श्रीमान यह बताएं की जब आपको यह दिव्यज्ञान प्राप्त हुआ था की आपको साहित्य में भी हाथ आजमाना चाहिए उस वक्त आपकी उम्र क्या थी? क्या मेरे पिताजी के उम्र से अधिक या उनके बराबर. जबाब देने से पहले सोच लें क्यूँ की मेरे पिताजी (आपके शब्दों में बाप, यह आपका तमीज है) और आपके पूजनीय पिताजी हमउम्र ही होंगे. यह आप तय करेंगे की मेरे पिताजी साहित्यकार हैं या नहीं या आपका वह गुमास्ता आशीष तय करेगा? अच्छा आप एक बात बताएं बुरा न मानें तो क्या आपलोग अपने पिताजी को बाप ही कहते हैं. एक काम करें अपना मूह उठायें और थूकें और देखें की थूक कहाँ गिरता है आपके चेहरे पर या सूर्य पर. कौन सा डिबेट आप कर रहे थे आप? आपको इस बात की जानकारी भी नहीं होगी की मैं आपका बहुत बड़ा प्रसंशक रहा था मेरे पास आप के द्वारा पंजी प्रथा पर काम किया गया अद्भुत सीडी है जिसे मैं लोगों को दीखता था. लेकिन आपने अपने टुच्चे हरकत से मुझे तो ज़लील किया ही मेरा विस्वाश भी तोडा की आप सही में आदरणीय हैं. मुझे क्या पड़ी है की किसको अवार्ड मिले लेकिन आपने मुझे अपने घटिया राजनीति का शिकार बनाया. मेरे लिए सारे साहित्यकार बराबर हैं और सम्माननीय क्यूँ की वह साहित्य की सेवा कर रहें हैं. मैं ने पिछली बार भी आप लोगों को तभी रोका और टोका था जब आप लोगों ने मायानादं मिश्र को गन्दी गन्दी गलियां दी थी. लेकिन गाली गलौज करते हुए आप उस सीमा तक चले गए जहां आप जाहिल नज़र आते हैं और मैं किस जाहिल से बहस कर रहा हूँ? किसी का अपमान ना करें और किसी पर गलत आरोप न लगायें. आश्चर्य है की आप ने मुझे क्यूँ साहित्य अकादमी के विवाद में घसीटा जब मुझे पता ही नहीं की क्या हो रहा है ? एक अच्छे और ज़िम्मेदार व्यक्ति की तरह मैं ने अपनी सफाई दी थी और यह आशा किया की आप मेरी बातों को भी रखेंगे. लेकिन आप ने ये क्या किया? सर जी घटियापन की एक हद होती है और आपका वह हद कहाँ ख़तम होता है और कहाँ शुरू वह बस आप बता सकते हैं. यह मेल मैं आपको उत्तेजित करने के ख़याल से कतई नहीं लिख रहा हूँ. आप इसे पढ़े और मनन करें की आप कैसे कैसे अपने इज्ज़त का बट्टा खुद ही लगा रहे हैं क्यूँ की आपके बारे में लोगों के विचार सुन कर मैं सकते में पड़ गया. यह जीवन आपका है इसके मालिक आप खुद हैं. मैं तो बस आपके लिए प्रार्थना कर सकता हूँ ऊपर वाला मेरी बात सुने. आप मेरे बड़े भाई की तरह हैं. और हाँ यह सब मैं आपके चापलूसी के लिए नहीं लिख रहा हूँ. स्वभावतः मैं लड़ाकू नहीं हूँ लेकिन लड़ने से पीछे नहीं रहता. सादर चरण स्पर्श आपका अनुज विजय (हाँ आपको मेरे मोबाईल लोकेसन को ट्रेस करने के लिए मेहनत नहीं करनी चाहिए आपका मेरे ऊपर आपका स्वाभाविक अधिकार है जो किसी साहित्यिक इज्म से ऊपर है. यह मेरा आपको,लिखा गया अंतिम मेल है)

आशीष अनचिन्हारकेँ फेसबुक मैसेजपर सेहो ई मूर्ख विजदेव मैसेज केलक
एखने हमर फेसबुक मैसेजमे रामदेव झाक मूर्ख बेटा विजयदेव झाक मैसेज आएल अछि जे हम बिना काँट-छाँटकेँ दए रहल छी। ऐ मैसेजसँ अहाँकेँ ई पता लागि जाएत जे कोना रामदेव झा आ हुनक दूनू बेटा मने विजय देव झा आ शंकर देव झा गारि बलेँ मैथिलीकेँ बहुत दिन धरि ब्लैकमेलिंग केलकै। संगे-संग हम ईहो कहए चाहब जे ऐ ब्लैकमेलिंगमे रामदेव झा आ हुनक बेटा संगे मोहन भारद्वाज, महेन्द्र मलंगिया, चेतना समीति आ आर किछु साहित्यकार सभ अनवरत सहयोगी रहल छथि। मुदा आब जे विदेह आंन्दोलन भए रहल अछि ताहिसँ घबड़ा कए ई सभ अभद्रता कए रहल अछि। मुदा आब से चलए बला नै छै। तँ पढ़ू हुनक मूल मैसेज----

हे रे अशीषवा, गजेन्द्र के पोसुवा, पतचटवा औकात देख क बात कर बालगोविन्द जनामि क ठाड़ भेलौं ने की कहै जे छै नबका जोगी के गांडी में जट्टा


SATISH VERMA LIKHAI CHHATHI...Satish Verma Isi Bhagwa Shankardev jha ko maine bahut pahle apne lekh me khub lapeta tha. Darsal Agnipushp sampadit samvad patrika me Gujrat danga aur Narendra modi ke role par meri ek kahani chapi thi,jis par usne badi hi behuda tippani ki thi,jiska jawab maine rachna,darbhanga,vishwanathjee ke patrika ke jariye diya tha.shunt ho gaye the shankardev babu,aukat nap gayi thi unki.

VINIT UTPAL..LIKHAI CHHATHI ..
Vinit Utpal क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पर गरल हो, वह क्या जो दन्तहीन, विषहीन और अत्यंत सरल हो.गाली देब परम्परा अछि. जिनकर जेहन संस्कार, हुनकर मुंह से तहिने बोली.रचनात्मकता में जीवन अनुभव के बड़ रास योगदान होयत अछि. फेर संस्कार ते घर से भेटैत अछि. अशीषवा,पोसुवा, गांडी, जट्टा एहन शब्द अलंकारक प्रयोग करहिक अर्थ अछि जे अखनो लोक में आदिम संस्कार से जुडल अछि. ई सब शब्द साहित्य से दूर भ
रहल अछि. ताहि सं विजयदेव झा सहित तमाम मैथिली से जुडल अहिने प्रबुद्ध लोक सें आग्रह जे अहां सब शब्दक संगे आओर एहिने शब्दक प्रयोग क मिथिलाक शब्दकोष के समृद्ध करल जाय. कियाकि तथाकथित ब्राहमणवादी साहित्यकार घर में ते एहन शब्दक प्रयोग करैत छथिन आ अप्पन नेना सभ के सिखाबैत अछि मुदा अप्पन लेखनी में प्रयोग
नहि करैत अछि.
रामदेव झा, शंकरदेव झा आ विजयदेव झा:ब्लैकमेलर फैमिलीक आज अखबारमे निकालल न्यूज

रामदेव झा, शंकरदेव झा आ विजयदेव झा:ब्लैकमेलर फैमिलीक आज अखबारमे निकालल न्यूज 

रामदेव झा, शंकरदेव झा आ विजयदेव झा:ब्लैकमेलर फैमिलीक आज अखबारमे निकालल न्यूज 

पूर्वपीठिका:


-रामदेव झाक बेटा विजयदेव झा द्वारा फोन नम्बर +९१९४७०३६९१९५ सँ उमेश मण्डलकेँ धमकी

-उमेश मण्डलकेँ देख लेबाक आ उठा लेबाक धमकी देलक विजयदेव झा

-हालेमे साहित्य अकादेमी बाल साहित्य पुरस्कारमे प्रौढ़ साहित्यपर पुरस्कार ओकर पितयौत भाइ मुरलीधर झा केँ देल गेल, जकर घोर विरोध भऽ रहल अछि

-विजयदेव झा गाड़ि-गलौज सेहो केलक



-विजयदेव झा एक दिससँ सुभाष चन्द्र यादव, प्रियंका झा, प्रीति ठाकुर, प्रबोध नारायण सिंह, उदय नारायण सिंह नचिकेता, उमेश मण्डल, ज्योत्सना चन्द्रम, विभूति आनन्द, भीमनाथ झा, उषाकिरण खान, यात्री, शरदिन्दु चौधरी, सुधांशु शेखर चौधरी सभकेँ गरियेलक



-ओ ईहो कहलक जे प्रीति ठाकुरकेँ बाल साहित्य पुरस्कार नै देल गेल, तेँ सभ विरोध कऽ रहल अछि, ऐसँ पहिने ओ फरबरीमे कहने छल जे जगदीश प्रसाद मण्डलकेँ मूल साहित्य अकादेमी पुरस्कार नै देल गेलै तँइ विरोध भऽ रहल अछि।


-विजयदेव झा कहलक जे प्रीति ठाकुर, सुभाष चन्द्र यादव, नचिकेता, जगदीश प्रसाद मण्डल आ गजेन्द्र ठाकुर केँ ऐ जन्ममे ओ सभ साहित्य अकादेमी पुरस्कार नै प्राप्त करऽ देतै

शुक्रवार, 17 अगस्त 2012

गजल


रमजान आ ईदक शुभ अवसर पर प्रस्तुत कऽ रहल छी एकटा गजल। ऐ गजलक प्रेरणा हम एकटा प्रसिद्ध कव्वाली सँ लेने छी।

मदीनाक मालिक अहाँ ई करा दिअ
करेजा हमर बस मदीना बना दिअ

हमर मोन निश्छल भऽ गमकै धरा पर
कृपा एतबा अपन हमरा पठा दिअ

बनै सगर दुनिया खुशी केर सागर
सभक ठोर एतेक मुस्की बसा दिअ

दया केर बरखा करू ऐ पतित पर
मनुक्खक कते मोल हमरा बता दिअ

दहा जाइ दुनिया सिनेहक नदीमे
अहाँ "ओम" केँ प्रेम-कलमा पढा दिअ
बहरे-मुतकारिब
फऊलुन (ह्रस्व-दीर्घ-दीर्घ) - ४ बेर प्रत्येक पाँति मे

सोमवार, 13 अगस्त 2012

शिक्षा क मजबूत व्‍यवस्‍था आ डराइत सत्‍ता

उच्च शिक्षा लेल जाहि प्रकार स बिहार मे हंगामा मचल अछि आ केंद्रीय विश्वविद्यालय लेल जाहि प्रकार स राज्‍य आ केंद्र मे तनाव देखल जा रहल अछि, इ सब सोचबा लेल मजबूर क रहल अछि जे की सही मे बिहार कहियो शिक्षा क केंद्र छल आ की बिहार फेर शिक्षाक केंद्र भ सकैत अछि? की नालंदा स जे यात्रा शुरू भेल छल ओ यात्रा नालंदा पर जा कए रूकत या आगू बढत। की ‘बेरोजगार पैदा करबाक क फैक्ट्री’ क नाम स मशहूर भ चुकल बिहारक विश्वविद्यालय रोजगार क बाट देखेबा मे कामयाब होएत। फेर स ओहि मुकाम तक पहुचबा लेल इ बुझब बेसी जरूरी अछि जे हम ओहि मुकाम स नीचा कोना आबि गेलहुं। की बिना ओ कारण बुझने बिहार मे शिक्षा क विकास क नारा देनिहार शिक्षा क क्षेत्र मे बिहार कए फेर स अगिला पांति मे ढार क सकताह। किछु एहने सवालक उत्‍तर तकैत हमर (सुनील कुमार झा क ) इ शोधपरक आलेख अछि जे इ बुझबा मे मददगार होएत जे बिहार मे कोना कालखंड क संग शिक्षा क स्‍तर खंडित होइत गेल।…. संपादक

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बिहार, ओ जमीन जाहि ठाम सत्‍ता अस्‍त्र-शस्‍त्र स बेसी ज्ञान स बदलैत रहल अछि। चाणक्‍य होइत बा महेश ठाकुर एहि जमीन पर कईटा एहन उदाहरण अछि जाहि स इ प्रमाणित होइत अछि जे सत्‍ता हथियार स नहि ज्ञान स पाउल जाइत अछि। एहन मे समाज मे ज्ञान क प्रसार सत्‍ता लेल हरदम खतराक कारण रहैत अछि। बहुत लोकक मानब अछि जे मगध कए मूर्ख बना ओकरा पर राज करबाक नीतिक तहत सन् 1123 मे बख्तियार खिलीजी नालंदा विश्वविद्यालय कए बर्बाद क बिहार क शिक्षा क संस्कृति कए तबाह करि देने छल। मुगल हुए बा अंग्रेज या फेर आजाद भारत मे लोकतांत्रिक नेता सब शिक्षा कए केवल गर्त मे ल जेबाक काज केलथि। अंगुरी पर गिनबा योग्‍य नाम भेटत जे बिहार मे शिक्षा लेल किछु केलथि बा करबाक प्रयास केलथि।
बख्तियार खिलीजी क इ नीति एतबा कारगर साबित भेल जे बंगाल जीतलाक बाद अंग्रेज सेहो एहि इलाका पर ओकर नीति कए जारी रखलक। बागी बिहार मे शिक्षा क विकास काफी कम गति स भेल जाहि स बिहार देशक आन हिस्‍सा स पाछु होइत गेल। 1608 मे जखन ईस्ट इन्डिया कम्पनी क फरमान लकए अंग्रेज हाकिन्स भारत आयल छल तखने ओकरा एहि जमीनक इतिहास बता देल गेल छल। 1813 मे जारी कंपनी चार्टर क अनुसार देशज भाषा आ विज्ञान क विकास लेल पैघ राशि जारी भेल, मुदा बिहार क राशि कए कलकत्‍ता, बांम्बे आ मद्रास रेजिडेंसी कए देल गेल। यूरोपिय ज्ञान आ अंग्रेजी पढाई लेल बिहार मे केवल एकटा स्‍कूल क चयन भेल, जे भागलपुर स्‍कूल छल।
1835 मे राजा राम मोहन राय आओर लॉर्ड मैकाले स प्रभावित भ लॉर्ड बेंटिक बिहार मे अंग्रेजी शिक्षा कए बढाबा देबा लेल प्रयास केलथि। बिहारशरीफ आ पूर्णिया मे अंग्रेज़ी शिक्षा केन्द्र क स्थापना भेल। अंग्रेजी कए बढाबा देबा लेल एकर जानकार कए सरकारी नौकरी मे राखए जा लागल। 1854 मे बिहार मे शिक्षा क प्रगति लेल अंग्रेज एकटा कमेटी गठित केलक जाहि स शिक्षा क उन्नति पर कार्य हेबाक छल, मुदा एकरा दुर्भाग्य कहल जाए या किछु आओर 1857 क क्रांति क बाद फेर ओ कमेटी दिस ककरो ध्‍यान नहि गेल। लोक लड़ाई क बीच पढाई कए बिसरैत गेल।
ओना दरभंगा महाराज उत्‍तर बिहार लेल अपन स्‍तर स अंग्रेजी स्‍कूल खोलबाक योजना तैयार केलथि। जेकर बावजूद 1899-1900 क दौरान बिहार मे अवर प्राथमिक स्‍कूलक संख्‍या महज 8978 छल। पटना विश्‍वविद्यालय सेहो 1917 मे जा कए स्‍थापित भ सकल।
आजादीक बाद राजनेता सेहो अंग्रेज क राखल नीव पर महल ढार करबाक स पाछु नहि रलाह। उपर स राजनैतिक अराजकता आ मुख्‍यमंत्री क आवाजाही क सबस बेसी असर शिक्षा पर देखल गेल। शिक्षाक स्‍तर मे समतलीकरण एहन भेल जे पटना विश्वविद्यालय जे देशक सातम पुरान विश्वविद्यालय छी, ओकर गरिमा तक ख़त्म भ गेल। आजादीक बाद बिहार मे शिक्षा पर पहिल पैघ चोट भेल केबी सहाय युग मे। 1967 मे केबी सहाय शिक्षा लेल ‘’सब धन 22 पसेरी’’ क फार्मूला अपनेलथि। सहाय बिहार क प्राथमिक स ल कए उच्‍च शिक्षा तक कए तहस-नहस क देलथि। इ बिहार मे आजादी क बाद शिक्षा लेल सबस खराब समय कहल जा सकैत अछि। ओ राज्‍य मे नव विश्‍वविद्यालय खोलबाक संगहि ओकरा लेल निजी कालेज कए आंखि मूंदि कए सरकारी मान्यता दैत गेलाह। एहि प्रकार स ओ कॉलेजक प्रतिष्‍ठा कए गर्त मे खसा देलथि। हुनक एहि नीति कए बाद मे जगन्‍नाथ मिश्र अंतिम मुकाम तक ल गेलाह। ज्ञात हुए जे केबी सहाय क कार्यकाल स पहिने बिहार मे केवल दूटा यूनिवर्सिटी छल। हुनक कार्यकाल मे भागलपुर, रांची आ मगध यूनिवर्सिटी बनल। एहि विश्‍वविद्यालय लेल ओ निजी कॉलेज सब कए एक दिस स सरकारी मान्यता दैत गेलाह, जाहि स कॉलेज क बीच अंतर मिटाइत गेल आ नीक कॉलेज सबक स्थिति सेहो दोयम दर्जा क होइत गेल।
कॉलेज आ विश्‍वविद्यालय मे अराजकता आ गुंडागर्दी संयुक्त विधायक दल सरकार आ बिहार आन्दोलन क दौरान शुरू भेल। 1969 मे परीक्षा क दैरान चोरी करबाक मांग करि रहल छात्र कए जिगर क टूकडा कहि सत्‍ता पर पहुंचल महामाया प्रसाद बिहार मे पहिल बेर गैर कांग्रेसी सरकार क मुखिया भेलाह। हुनक मंत्रिमंडल मे समाजवादी पार्टी क नेता कर्पूरी ठाकुर शिक्षा मंत्री बनलाह। ओ एकटा अजीब सन आदेश पारित केलथि जेकर नासूर एखन धरि बिहार कए कना रहल अछि। ओहि आदेशक अनुसार मैट्रिक मे पास करबा लेल अंग्रेजी अनिवार्य विषय नहि रहल। ताहि समय मे लोक “पास विदाउट इंगलिश” कए कर्पूरी डिविजन नाम देलक फलतः शिक्षा मे अंग्रेजी क स्तर एतबा खसल जे आइ धरि बिहारक छवि ओहि स अपना कए दूर नहि क सकल अछि।
ओना 1972 मे जखन कांग्रेस क केदार पाण्डेय क सरकार बनल त ओ शिक्षा क स्‍तर उठेबाक प्रयास केलथि आ महामाया बाबूक जिगर क टुकडा सब कए सुधारबाक लेल किछु कठोर निर्णय लेलथि। पांडेय सरकार विश्वविद्यालय क जिम्मा अपन हस्तगत कैल आ सख्त आईएएस अधिकारी कए कुलपति आ रजिस्टार क पद पर बहाल केलक। एकर असर सेहो भेल। विश्वविद्यालय स गुंडाराज खत्म भेल। परीक्षा आ कक्षा बंदूक क साया मे सही मुदा सुचारू भेल। बिहार मे शिक्षा क संस्कृति पटरी पर लौट रहल छल, तखने केंद्र राजनीतिक मजबूरी मे केदार पांडेय कए मुख्‍यमंत्री पद स हटा देलक। एकर बाद संपूर्ण क्रांति क दौर आबि गेल आ विश्‍वविद्यालय अध्‍ययन स बेसी राजनीतिक मंच भ गेल। शिक्षा क सबटा व्यवस्था संपूर्ण क्रांति मे ध्‍वस्‍त भ गेल।
बिहार मे अगर शिक्षा क समाधी बनेबाक श्रेय ककरो देल जा सकैत अछि त ओ जगन्नाथ मिश्र क नाम होएत। जगन्नाथ मिश्र कहबा लेल कनिक कनिक दिन लेल तीन बेर मुख्‍यमंत्री भेलाह, मुदा हुनक नीति पीढी क पीढी प्रभावित करबा योग्‍य रहल। ओ केबी सहाय क नीति कए आगू बढबैत जाहि कॉलेज लग भवन तक नहि छल तेहन कॉलेज सब कए सरकारी घोषित क विश्‍वविद्यालय पर बोझ बढा देलथि। संगहि नीक आ अधलाह मे अंतर एतबा मिटा देलथि जे कोनो कॉलेज अपना कए कम आंकबा लेल तैयार नहि रहल। उपर स उर्दू कए दोसर राजभाषा क दर्जा द भाषाई शिक्षा कए राजनीतिक रंग सेहो प्रदान क देलथि। बिहार देश क पहिल राज्य भ गेल जाहि ठाम दोसर राजभाषा कए मान्‍याता भेटल।
डॉ साहेब स प्रसिद्ध जगन्‍नाथ मिश्र अपन तीनू कार्यकाल मे शिक्षा विभाग कए अपन राजनीति स्‍वार्थ क पूर्ति लेल उपयोग केलथि। हुनकर कार्यकाल मे शिक्षण संस्‍थान राजनीतिक अखाडा भ गेल। डा मिश्र टूटपुन्जिया कालेज सब कए विस्वविद्यालय क मान्यता दिया ओकर शिक्षक सब कए मनचाहा नीक कॉलेज मे पदसथापित करा देलथि। जाहि स प्रतिष्ठित कॉलेजक पढाई प्रभावित भेल। दोसर यूनिवर्सिटी बिल मे संसोधन करि कए बिहार क युनिवेर्सिटी सबहक पहचान ख़त्म क देलथि। नवका यूनिवर्सिटी बिल मे कोनो यूनिवर्सिटी क कर्मचारी कोनो यूनिवर्सिटी मे अपन स्थानांतरण करवा सकैत अछि। जग्ग्न्नाथ मिश्र अपने सबस पहिने एहि बिल क फायदा उठेलाह। ओ बिहार विश्‍वविद्यालयक एलएस कॉलेज स अपन तबादला पटना विश्‍वविद्यालयक बीएन कॉलेज मे करा लेलथि। एकर संगहि अपन किछु खास लोकक तबादला सेहो मनपसंद कॉलेज मे करबा देलथि। एहि संशोधन स छोट कॉलेजक शिक्षक पैघ कॉलेज मे चल गेल, मुदा ओहि स बेसी खतरनाक इ रहल जे बहुत अयोग्‍य शिक्षक बढिया कॉलेज मे जा ओकर प्रतिष्‍ठा कए खत्‍म क देलथि। एहन बहुत शिक्षक नीक कॉलेज पहुंच गेलाह जे कहियो न कक्षा लेने छलाह आ नहि प्रयोगशाला गेल छलाह। एहि स योग्‍य शिक्षक सब मे तनाव बढ़ब शुरू भेल आ ओ पढेनाई कम करैत गेलाह। जगन्‍नाथ मिश्र क कार्यकाल कुर्सी तबादला लेल सेहो प्रसिद्ध अछि। हुनकर कार्यकाल मे जखन कोनो नीक कॉलेज मे शिक्षक लेल जगह नहि रहैत छल त आन कॉलेज लेल आवंटित शिखक कोटा मे स एकटा पद ओहि प्रसिद्ध कॉलेज कए द देल जाइत छल। एहन उदाहरण देशक कोनो आन राज्‍य मे भेटब मुश्किल अछि।
1969 स 1990 तक बिहार मे शिक्षा एतबा गर्त मे पहुंच गेल छल जे लालू लेल बहुत किछु करबाक स्‍कोप नहि रहल। ओ चरवाहा विद्यालय क रूप मे दलित समाज क लोक कए आगू उठेबाक काज केलथि, हुनक नारा छल- घोंघा चुनने वालों, मूसा पकड़ने वालों, गाय-भैंस चराने वालों, शिक्षा प्राप्त करो । मुदा हुनकर इ योजना सेहो राजनैतिक अस्थिरता आ सत्ता परिवर्तन क कारण खटाई मे चल गेल। शिक्षा क हालत बद स बदतर होइत गेल। लालूक राज मे विद्यार्थी पलायन एकटा नव शब्‍द आयल। उदारवाद क बाद रोजगारपरक शिक्षा लेल बिहारक छात्र आन राज्‍य लेल पलायन शुरू केलक, जाहि स बिहार कए पैघ आर्थिक क्षति सेहो भेल।
2005 मे नीतीश राज आयल। विकास क नाम पर भेटल वोट स नीतीश सब क्षेत्र मे विकासक गप केलथि। उम्‍मीद जगल जे शिक्षा क क्षेत्र मे सेहो विकास होएत। मुदा पिछला सात मे शिक्षा क क्षेत्र मे कोनो खास काज नहि देखा रहल अछि। शिक्षकक नियुक्ति त भ रहल अछि, मुदा शिक्षाक स्‍तर नहि सुधरि रहल अछि, बल्कि एकटा एहन शिक्षित जमात पैदा भ रहल अछि जे मूर्ख होएत।
कुल मिलाकए महामाया प्रसाद स ल कए नीतीश कुमार तक पालतुकरण क नीति अपनाकए विश्वविद्यालय कए अपन राजनैतिक चारागाह बना रखने छथि। आंकडा पर गौर करि त 1970 स ल कए 1980 क बीच बिहार मे शिक्षा लेल सबस बेसी नीतिगत फैसला लेल गेल। एहि दौरान राज्‍य मे आठ टा सरकार बनल आ सात टा राज्‍यपाल बदलल गेल। चारि बेर राजभवन स सत्‍ता क केंद्र बनल। एहि कालखंड मे केवल पटना विश्‍वविद्यालय मे 11टा कुलपति नियुक्‍त कैल गेलाह। कुल मिला कए कियो स्थिर रूप स कतहु नहि काज क सकल। एहि दौरान शिक्षा मे व्याप्त राजनीति आ गुंडाराज कए देख कए जानल मानल शिक्षाविद डॉ वीएस झा एतबा धरि कहला अछि जे बिहार मे महाविद्यालय स्थापित करब एकटा लाभप्रद धंधा अछि बशर्ते संस्थापक राजनैतिक बॉस हुए या जनता क नज़र मे ओकर छवि एकटा दबंग क रहए।
बिहार मे वर्तमान शिक्षा : 25 हजार करोड स बेसी जा रहल दोसर राज्‍य
वर्तमान शिक्षा क अगर गप करि त उच्च शिक्षा लेल बिहार भारत मे एकटा एहन राज्‍यक रूप मे जानल जाइत अछि जाहि ठामक विद्यार्थी पर बाहरी राज्‍यक गैर सरकारी संस्थान अपन गिद्ध दृष्टि जमौने रहैत अछि। एकटा अध्यन मे इ दावा कैल गेल अछि जे सब साल बिहार स लगभग 25 हजार करोड टका बाहर जा रहल अछि। अध्‍ययन क मुताबिक उच्च शिक्षा लेल प्रतिवर्ष एक लाख छात्र बिहार स बाहर जाइत छथि। महाराष्ट्र, राजस्थान आ कर्नाटक सन राज्‍यक आर्थिक मजबूती मे बिहार स गैल टका एकटा महत्‍वपूर्ण हिस्‍सा बनि चुकल अछि। इ स्थिति तखन अछि जखन भारत क दसटा प्राचीन विश्वविद्यालय मे स तीनटा बिहार मे खंडहर बनल अछि। अध्‍ययन क अनुसार रहब, खाइब, पहिब आ अन्‍य मूलभूत सुविधा पर आन राज्‍य मे भ रहल खर्च कए छोडि दी त प्रति छात्र 70,000 टका सालाना ( जे कि किछु राज्‍य क इंजीनियरिंग मे प्रवेश लेल सरकारी फीस अछि) क हिसाब स 700 करोड़ होइत अछि (ज्ञात हुए जे एकर अलावा संस्थान डोनेशन क नाम पर सेहो काफी चंदा वसूल लैत अछि) बिहार स बाहर चल जाइत अछि। एकर अलावा प्रवेश दियेबाक नाम पर शिक्षा क दलाल क उगाही अलग अछि। बिहार स किछु एतबे राशि कोचिंग, गैर सरकारी संस्थान आ पब्लिक स्कूल क लेल सेहो बाहर जा रहल अछि। ओना आंकडा बता रहल अछि जे एखन धरि ए‍ि कोचिंग संस्थान मे ( एकाध कए छोडि दी त) कोनो छात्र राष्ट्रिय या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोनो प्रतियोगिता मे अव्‍वल नहि आबि सकलाह अछि। सरकारी संस्थान क अगर गप करि त एहि मे स ज्यादातर भगवान् भरोसे अछि। किछु मे त व्यवस्था नहि त किछु मे शिक्षक नहि। राज्य क कईटा कॉलेज मे चलि रहल बीसीए पाठ्यक्रम लेल कंप्यूटर विभाग क अपन लैब तक नहि अछि। कईटा विभाग मे लैब अछि मुदा ओ बस नाम लेबा लेल, ओहि मे कोनो सामान नहि अछि। किछु एहने हाल पुस्तकालय सबहक अछि। बिहार क सब विश्वविद्यालय कए अपन पुस्तकालय रहबाक गौरव त अछि मुदा ओकर हालत बद स बदतर भ चुकल अछि। हवादार कोठली क त गप छोडू धुल धूसरित आलमारी सब स पुस्‍तक निकालबाक प्रयास करब कठिन अछि। कईटा किताब फाटल अछि त कईटा पढबा योग्‍य नहि रहल। नव किताब क खरीद क त गप जुनि करू। किछु सोधार्थी आ दान क फलस्वरूप किछु पुसतक नव भेट सकैत अछि। उच्‍च शिक्षा क प्रसारक हालत इ अछि जे मिथिला विश्‍वविद्यालय क बंटवारा भेलाक बावजूद आलम इ अछि जे मधेपुरा जिले मे स्थापित बी.एन. मंडल यूनिवर्सिटी असगर पाँचटा जिला कए बोझ उठेने अछि।
एक दिस देश क तकनिकी आओर उच्च शिक्षा क हजारटा संस्थान मे ओम्बुड्समैन क नियुक्ति हेबाक केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री क घोषणा एखन मूर्त रूप नहि ल सकल अछि। जे शिकायत क निपटारा आ भ्रष्‍टाचार कए रोकबा मे मदद करत आ दोसर दिस केंद्रीय विश्वविद्यालय आ आईआईटी कए ल कए ओ राजनीति सेहो क रहल छथि जाहि कारण स एहि मे देरी भ रहल अछि जे चिंता क विषय अछि। एहन में केंद्र आ राज्‍य सरकार कए बिहार मे शिक्षा पर ध्यान देबाक चाही वर्ना बिहार मे विकास क रफ़्तार जाहि तेजी स बढि रहल अछि ताहि स कदमताल अगर शिक्षा क विकास नहि करत त इ विकास कखनो औंधे मुँह खसि सकैत अछि।


साभार - इसमाद.कॉम

बुधवार, 1 अगस्त 2012

अहींटा एकटा नीक लोक छी ( हास्य कविता)

 अहींटा एकटा नीक लोक छी .
                           हास्य कविता
http://kishankarigar.blogspot.com
"कारीगर" कतेक दिन बाद परीक्षा पास केलक
ओ त बड्ड बुडिबक अछि
अहाँ त बड्ड पहिने बड़का हाकिम बनि गेलौहं
ताहि द्वारे अहींटा एकटा नीक लोक छी .

अहाँक सफलताक  राज त
कहियो ने कियो कही सकैत अछि
अहाँ अपने लेल हरान रहैत छी
आ अहींटा एकटा नीक लोक छी .

सर समाज सँ कोनो मतलब नहि रखलौहं
परदेश मे दूमंजिला मकान बना लेलौहं
गाम घर सँ स्नेह रखनिहर कें
अपनेमने अहाँ बुडिबक बुझहैत छी .

अप्पन सभ्यता  संस्कृति अकछाह लगइए
ओकरा अहाँ बिसरै चाहैत छी
परदेश मे रंग-बिरंगक संस्कृति मे
अहाँ के नीक लगइए खूब मगन रहैत छी.

धियो-पूता के मातृभाषा नहि सिखबैत छि
ओकरा अंग्रेजी टा बजै लेल कहैत छी
मत्रिभाषक आंदोलन चलौनिहर बुडिबक
आ अहींटा एकटा नीक लोक छी.     

गाम घर पछुआएल अछि रहिए दिऔ
नहि कोनो माने मतलब राखू
अहाँ ए.सी. मे बैसल आराम करैत छि
अहींटा एकटा नीक लोक छी.

सर-समाज सँ स्नेह रखलौहं तहि द्वारे
हम बकलेल बुडिबक घोषित भेल छी
अहाँ रुपैया कम ढ़ेरी लगेलौहं
तहि द्वारे अहींटा एकटा नीक लोक छी.

खली रुपैया टा चिन्हैत छी
अहाँ बिधपुरौआ बेबहर करैत छी.
पाइए अहाँ लेल सभ किछु
आ अहीं टा एकटा नीक लोक छी.

कियो पहिने कियो बाद मे
मेहनत करनिहार त सफल हेबे करत
ओकरा अहाँ प्रोत्साहित कियक नहि करैत छी?
यौ सफलतम मनूख अहींटा एकटा नीक लोक छी
.


 

पहिल विदेह मैथिली पत्रकारिता सम्मान- श्री नवेन्दु कुमार झा केँ


विदेह सम्मान
- श्री नवेन्दु कुमार झा केँ पहिल "विदेह मैथिली पत्रकारिता सम्मान



"पूनम मंडल आ प्रियंका झाक मैथिली न्यूज पोर्टल समदिया http://esamaad.blogspot.in/  अगस्त २०११ सँ सभ मास "ऐ मासक सभसँ नीक समदिया" सम्मानक घोषणा कएल जा रहल अछि। -समदिया- पूनम मंडल आ प्रियंका झाक मैथिली न्यूज पोर्टल। विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA सम्पादक-सूचना-सम्पर्क-समाद पूनम मंडल आ प्रियंका झा।

- सालक अन्तमे सर्वश्रेष्ठ मैथिली पत्रकारिता लेल ऐ १२ टा देल सम्मानमे सँ सर्वश्रेष्ठ श्री नवेन्दु कुमार झा केँ पहिल "विदेह मैथिली पत्रकारिता सम्मान" देल जएबाक घोषणा भेल।

-दोसर चक्रक लेल अगस्त २०१२ सँ सभ मास "ऐ मासक सभसँ नीक समदिया" सम्मानक घोषणा कएल जाएत।  अगस्त २०१३ मे हएत दोसर "विदेह पत्रकारिता सम्मान"क घोषणा।



"ऐ मासक सभसँ नीक समदिया" 


जुलाइ २०१२ क सभसँ नीक समदिया - श्री   सुजीत कुमार झा  - जुलाइ २०१२  क सभसँ नीक समदिया श्री     सुजीत कुमार झा  केँ चुनल गेल छन्हि। हुनका ई सम्मान हुनकर पोस्ट http://esamaad.blogspot.in/2012/07/blog-post_6412.html लेल देल गेल अछि ।

जून २०१२ क सभसँ नीक समदिया - श्री   रूपेश कुमार झा "त्योँथ" -  जून २०१२  क सभसँ नीक समदिया श्री    रूपेश कुमार झा "त्योँथ"  केँ चुनल गेल छन्हि। हुनका ई सम्मान हुनकर पोस्ट http://esamaad.blogspot.in/2012/06/blog-post_04.html लेल देल गेल अछि ।


मइ २०१२ क सभसँ नीक समदिया - श्री  अमरनाथ झा -  मइ २०१२  क सभसँ नीक समदिया श्री   अमरनाथ  झा   केँ चुनल गेल छन्हि। हुनका ई सम्मान हुनकर पोस्ट http://esamaad.blogspot.in/2012/05/blog-post_21.html लेल देल गेल अछि ।


अप्रैल २०१२ क सभसँ नीक समदिया - श्री  नवेन्दु कुमार झा -  अप्रैल  २०१२  क सभसँ नीक समदिया श्री  नवेन्दु कुमार झा   केँ चुनल गेल छन्हि। हुनका ई सम्मान हुनकर पोस्ट http://esamaad.blogspot.in/2012/04/blog-post_389.html लेल देल गेल अछि ।


मार्च २०१२ क सभसँ नीक समदिया - श्री आशीष अनचिन्हार -  मार्च २०१२  क सभसँ नीक समदिया-  मार्च २०१२   क सभसँ नीक समदिया  श्री आशीष अनचिन्हार  केँ चुनल गेल छन्हि। हुनका ई सम्मान हुनकर पोस्ट http://esamaad.blogspot.in/2012/03/blog-post_8433.html लेल देल गेल अछि ।


फरबरी २०१२ क सभसँ नीक समदिया श्री सरफराज सिद्दीक पप्पू फरबरी २०१२ क सभसँ नीक समदिया- फरबरी २०१२ क सभसँ नीक समदिया श्री सरफराज सिद्दीक पप्पूकेँ चुनल गेल छन्हि। हुनका ई सम्मान हुनकर पोस्ट http://esamaad.blogspot.in/2012/02/blog-post_05.html लेल देल गेल अछि।

जनवरी २०१२ क सभसँ नीक समदिया नवेन्दु कुमार झा
जनवरी २०१२ क सभसँ नीक समदिया-  नवेन्दु कुमार झा केँ चुनल गेल छन्हि। हुनका ई सम्मान हुनकर पोस्ट http://esamaad.blogspot.in/2012/01/blog-post_3943.html लेल देल गेल अछि।


दिसम्बर २०११ क सभसँ नीक समदिया राम भरोस कापड़ि भ्रमर
दिसम्बर २०११ क सभसँ नीक समदिया- राम भरोस कापड़ि भ्रमरकेँ चुनल गेल छन्हि। हुनका ई सम्मान हुनकर पोस्ट http://esamaad.blogspot.com/2011/12/blog-post_4671.html लेल देल गेल अछि।


नवम्बर २०११ क सभसँ नीक समदिया विनीत उत्पल
नवम्बर २०११ क सभसँ नीक समदिया- विनीत उत्पलकेँ चुनल गेल छन्हि। हुनका ई सम्मान हुनकर पोस्ट http://esamaad.blogspot.com/2011/11/vinit-utpals-rti-application-dated.html लेल देल गेल अछि।



अक्टूबर २०११ क सभसँ नीक समदिया एक बेर फेरसँ नवेन्दु कुमार झा
अक्टूबर  २०११ क सभसँ नीक समदिया- एक बेर फेरसँ नवेन्दु कुमार झाकेँ चुनल गेल छन्हि। हुनका ई सम्मान हुनकर पोस्ट  http://esamaad.blogspot.com/2011/10/blog-post_14.html लेल देल गेल अछि।



सितम्बर २०११ क सभसँ नीक समदिया-नवेन्दु कुमार झा
सितम्बर  २०११ क सभसँ नीक समदिया- नवेन्दु कुमार झाकेँ चुनल गेल छन्हि। हुनका ई सम्मान हुनकर पोस्ट  http://esamaad.blogspot.com/2011/09/blog-post_01.html लेल देल गेल अछि।



अगस्त २०११ क सभसँ नीक समदिया- उदय चटर्जी
अगस्त २०११ क सभसँ नीक समदिया- उदय चटर्जीकेँ चुनल गेल छन्हि। हुनका ई सम्मान हुनकर मिथिलाक विकाससँ सम्बन्धित समाद http://esamaad.blogspot.com/2011/08/blog-post_26.html लेल देल गेल छन्हि।



विदेह सम्मान
-मैथिली नाटक/ संगीत/ कला/ मूर्तिकला/ फिल्मक समानान्तर दुनियाँक अभिलेखन आ सम्मान सेहो हएत विदेह सम्मानक घोषणा द्वारा

-ई घोषणा दिसम्बरक अन्त वा जनवरी २०१३ मे हएत
-मैथिली नाटक/ संगीत/ कला/ मूर्तिकला/ फिल्मक समानान्तर दुनियाँक अभिलेखन आ सम्मान कएल जाएत
-विदेह नाट्य उत्सव २०१३ क अवसरपर प्रदान कएल जाएत ई सम्मान।"



विदेह सम्मान
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श्री राम भरोस कापड़ि 'भ्रमर' (2010)
श्री राम दयाल राकेश (1999)
श्री योगेन्द्र प्रसाद यादव (1994)

नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठान मानद सदस्यता
स्व. सुन्दर झा शास्त्री

नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठान आजीवन सदस्यता
श्री योगेन्द्र प्रसाद यादव



फूलकुमारी महतो मेमोरियल ट्रष्ट काठमाण्डू, नेपालक सम्मान
फूलकुमारी महतो मैथिली साधना सम्मान २०६७ - मिथिला नाट्यकला परिषदकेँ
फूलकुमारी महतो मैथिली प्रतिभा पुरस्कार २०६७ - सप्तरी राजविराजनिवासी श्रीमती मीना ठाकुरकेँ
फूलकुमारी महतो मैथिली प्रतिभा पुरस्कार २०६७ -बुधनगर मोरङनिवासी दयानन्द दिग्पाल यदुवंशीकेँ

साझा पुरस्कार (नेपालक साझा संस्थानक पुरस्कार) साझा लोकसंस्कृति पुरस्कार
-वि.सं. २०६७ प्राज्ञ रामभरोस कापड़ि भ्रमर

विद्यापति पुरस्कार कोषक पुरस्कार- मैथिली भाषा, साहित्य, कला संस्कृतिक लेल नेपाल सरकार द्वारा स्थापित नेपालमे सभसँ बड़का राशिक पुरस्कार। 

विद्यापति पुरस्कार कोषक लेल विभिन्न पाँच विद्यामे २०१२ (

२०६८ कातिक १८ गते नेपाल सरकार एक करोड रुपैयाक विद्यापति पुरस्कार कोषक स्थापना कएने छल, तकरा बाद र्इ पुरस्कार पहिल वेर देल जा रहल अछि।)
दु लाखक नेपाल विद्यापति मैथिली भाषा साहित्य पुरस्कार मैथिलीक वरिष्ठ साहित्यकार डा. राजेन्द्र विमलकेँ।
एक लाखक नेपाल विद्यापति मैथिली कला संस्कृति पुरस्कार शहीद रंजु झाकेँ
एक लाखक नेपाल विद्यापति मैथिली अनुसन्धान पुरस्कार डा. रामावतार यादवकेँ
एक लाखक नेपाल विद्यापति मैथिली पाण्डुलिपी पुरस्कार साहित्यकार परमेश्वर कापडिकेँ
एक लाखक नेपाल विद्यापति मैथिली अनुबाद पुरस्कार डा. रामदयाल राकेशकेँ


साहित्य अकादेमी  फेलो- भारत देशक सर्वोच्च साहित्य सम्मान (मैथिली)


           १९९४-नागार्जुन (स्व. श्री वैद्यनाथ मिश्र “यात्री” १९११-१९९८ ) , हिन्दी आ मैथिली कवि।


           २०१०- चन्द्रनाथ मिश्र अमर (१९२५- ) - मैथिली साहित्य लेल।



साहित्य अकादेमी भाषा सम्मान ( क्लासिकल आ मध्यकालीन साहित्य आ गएर मान्यताप्राप्त भाषा लेल):-
           
           २०००- डॉ. जयकान्त मिश्र (क्लासिकल आ मध्यकालीन साहित्य लेल।)
           २००७- पं. डॉ. शशिनाथ झा (क्लासिकल आ मध्यकालीन साहित्य लेल।)
            पं. श्री उमारमण मिश्र


साहित्य अकादेमीक टैगोर साहित्य पुरस्कार

२०११- जगदीश प्रसाद मण्डल (गामक जिनगी, लघु कथा संग्रह)


साहित्य अकादेमी पुरस्कार- मैथिली


१९६६- यशोधर झा (मिथिला वैभव, दर्शन)

१९६८- यात्री (पत्रहीन नग्न गाछ, पद्य)

१९६९- उपेन्द्रनाथ झा “व्यास” (दू पत्र, उपन्यास)

१९७०- काशीकान्त मिश्र “मधुप” (राधा विरह, महाकाव्य)

१९७१- सुरेन्द्र झा “सुमन” (पयस्विनी, पद्य)

१९७३- ब्रजकिशोर वर्मा “मणिपद्म” (नैका बनिजारा, उपन्यास)

१९७५- गिरीन्द्र मोहन मिश्र (किछु देखल किछु सुनल, संस्मरण)

१९७६- वैद्यनाथ मल्लिक “विधु” (सीतायन, महाकाव्य)

१९७७- राजेश्वर झा (अवहट्ठ: उद्भव ओ विकास, समालोचना)

१९७८- उपेन्द्र ठाकुर “मोहन” (बाजि उठल मुरली, पद्य)

१९७९- तन्त्रनाथ झा (कृष्ण चरित, महाकाव्य)

१९८०- सुधांशु शेखर चौधरी (ई बतहा संसार, उपन्यास)

१९८१- मार्कण्डेय प्रवासी (अगस्त्यायिनी, महाकाव्य)

१९८२- लिली रे (मरीचिका, उपन्यास)

१९८३- चन्द्रनाथ मिश्र “अमर” (मैथिली पत्रकारिताक इतिहास)

१९८४- आरसी प्रसाद सिंह (सूर्यमुखी, पद्य)

१९८५- हरिमोहन झा (जीवन यात्रा, आत्मकथा)

१९८६- सुभद्र झा (नातिक पत्रक उत्तर, निबन्ध)

१९८७- उमानाथ झा (अतीत, कथा)

१९८८- मायानन्द मिश्र (मंत्रपुत्र, उपन्यास)

१९८९- काञ्चीनाथ झा “किरण” (पराशर, महाकाव्य)

१९९०- प्रभास कुमार चौधरी (प्रभासक कथा, कथा)

१९९१- रामदेव झा (पसिझैत पाथर, एकांकी)

१९९२- भीमनाथ झा (विविधा, निबन्ध)

१९९३- गोविन्द झा (सामाक पौती, कथा)

१९९४- गंगेश गुंजन (उचितवक्ता, कथा)

१९९५- जयमन्त मिश्र (कविता कुसुमांजलि, पद्य)

१९९६- राजमोहन झा (आइ काल्हि परसू, कथा संग्रह)

१९९७- कीर्ति नारायण मिश्र (ध्वस्त होइत शान्तिस्तूप, पद्य)

१९९८- जीवकान्त (तकै अछि चिड़ै, पद्य)

१९९९- साकेतानन्द (गणनायक, कथा)

२०००- रमानन्द रेणु (कतेक रास बात, पद्य)

२००१- बबुआजी झा “अज्ञात” (प्रतिज्ञा पाण्डव, महाकाव्य)

२००२- सोमदेव (सहस्रमुखी चौक पर, पद्य)

२००३- नीरजा रेणु (ऋतम्भरा, कथा)

२००४- चन्द्रभानु सिंह (शकुन्तला, महाकाव्य)

२००५- विवेकानन्द ठाकुर (चानन घन गछिया, पद्य)

२००६- विभूति आनन्द (काठ, कथा)

२००७- प्रदीप बिहारी (सरोकार, कथा)

२००८- मत्रेश्वर झा (कतेक डारि पर, आत्मकथा)

२००९- स्व.मनमोहन झा (गंगापुत्र, कथासंग्रह)

२०१०-श्रीमति उषाकिरण खान (भामती, उपन्यास)

२०११- श्री उदयचन्द्र झा "विनोद" (अपक्ष, कविता संग्रह)


साहित्य अकादेमी मैथिली अनुवाद पुरस्कार


१९९२- शैलेन्द्र मोहन झा (शरतचन्द्र व्यक्ति आ कलाकार-सुबोधचन्द्र सेन, अंग्रेजी)

१९९३- गोविन्द झा (नेपाली साहित्यक इतिहास- कुमार प्रधान, अंग्रेजी)

१९९४- रामदेव झा (सगाइ- राजिन्दर सिंह बेदी, उर्दू)

१९९५- सुरेन्द्र झा “सुमन” (रवीन्द्र नाटकावली- रवीन्द्रनाथ टैगोर, बांग्ला)

१९९६- फजलुर रहमान हासमी (अबुलकलाम आजाद- अब्दुलकवी देसनवी, उर्दू)

१९९७- नवीन चौधरी (माटि मंगल- शिवराम कारंत, कन्नड़)

१९९८- चन्द्रनाथ मिश्र “अमर” (परशुरामक बीछल बेरायल कथा- राजशेखर बसु, बांग्ला)

१९९९- मुरारी मधुसूदन ठाकुर (आरोग्य निकेतन- ताराशंकर बंदोपाध्याय, बांग्ला)

२०००- डॉ. अमरेश पाठक, (तमस- भीष्म साहनी, हिन्दी)

२००१- सुरेश्वर झा (अन्तरिक्षमे विस्फोट- जयन्त विष्णु नार्लीकर, मराठी)

२००२- डॉ. प्रबोध नारायण सिंह (पतझड़क स्वर- कुर्तुल ऐन हैदर, उर्दू)

२००३- उपेन्द दोषी (कथा कहिनी- मनोज दास, उड़िया)

२००४- डॉ. प्रफुल्ल कुमार सिंह “मौन” (प्रेमचन्द की कहानी-प्रेमचन्द, हिन्दी)

२००५- डॉ. योगानन्द झा (बिहारक लोककथा- पी.सी.राय चौधरी, अंग्रेजी)

२००६- राजनन्द झा (कालबेला- समरेश मजुमदार, बांग्ला)

२००७- अनन्त बिहारी लाल दास “इन्दु” (युद्ध आ योद्धा-अगम सिंह गिरि, नेपाली)

२००८- ताराकान्त झा (संरचनावाद उत्तर-संरचनावाद एवं प्राच्य काव्यशास्त्र-गोपीचन्द नारंग, उर्दू)

२००९- भालचन्द्र झा (बीछल बेरायल मराठी एकाँकी-  सम्पादक सुधा जोशी आ रत्नाकर मतकरी, मराठी)

२०१०- डॉ. नित्यानन्द लाल दास ( "इग्नाइटेड माइण्ड्स" - मैथिलीमे "प्रज्वलित प्रज्ञा"- डॉ.ए.पी.जे. कलाम, अंग्रेजी)
२०११- श्री खुशीलाल झा (उपरवास कथात्रयी, रघुवीर चौधरीक गुजराती उपन्यास)

साहित्य अकादेमी मैथिली बाल साहित्य पुरस्कार


२०१०-तारानन्द वियोगीकेँ पोथी "ई भेटल तँ की भेटल"  लेल
२०११- ले.क. मायानाथ झा "जकर नारी चतुर होइ" लेल

साहित्य अकादेमी युवा पुरस्कार

२०११- श्री आनन्द कुमार झा (हठात परिवर्तन, नाटक)

प्रबोध सम्मान


प्रबोध सम्मान 2004- श्रीमति लिली रे (1933- )

प्रबोध सम्मान 2005- श्री महेन्द्र मलंगिया (1946- )

प्रबोध सम्मान 2006- श्री गोविन्द झा (1923- )

प्रबोध सम्मान 2007- श्री मायानन्द मिश्र (1934- )

प्रबोध सम्मान 2008- श्री मोहन भारद्वाज (1943- )

प्रबोध सम्मान 2009- श्री राजमोहन झा (1934- )

प्रबोध सम्मान 2010- श्री जीवकान्त (1936- )

प्रबोध सम्मान 2011- श्री सोमदेव (1934- )

प्रबोध सम्मान 2012- श्री चन्द्रभानु सिंह (१९२२- )

                                  श्री रामलोचन ठाकुर (१९४९- )

यात्री-चेतना पुरस्कार



२००० ई.- पं.सुरेन्द्र झा “सुमन”, दरभंगा;

२००१ ई. - श्री सोमदेव, दरभंगा;

२००२ ई.- श्री महेन्द्र मलंगिया, मलंगिया;

२००३ ई.- श्री हंसराज, दरभंगा;

२००४ ई.- डॉ. श्रीमती शेफालिका वर्मा, पटना;

२००५ ई.-श्री उदय चन्द्र झा “विनोद”, रहिका, मधुबनी;

२००६ ई.-श्री गोपालजी झा गोपेश, मेंहथ, मधुबनी;

२००७ ई.-श्री आनन्द मोहन झा, भारद्वाज, नवानी, मधुबनी;

२००८ ई.-श्री मंत्रेश्वर झा, लालगंज,मधुबनी

२००९ ई.-श्री प्रेमशंकर सिंह, जोगियारा, दरभंगा

२०१० ई.- डॉ. तारानन्द वियोगी, महिषी, सहरसा

२०११ ई.-  डॉ. राम भरोस कापड़ि भ्रमर (जनकपुर)


भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता

युवा पुरस्कार (२००९-१०) गौरीनाथ (अनलकांत) केँ मैथिली लेल।


भारतीय भाषा संस्थान (सी.आइ.आइ.एल.) , मैसूर रामलोचन ठाकुर:- अनुवाद लेल भाषा-भारती सम्मान २००३-०४ (सी.आइ.आइ.एल., मैसूर) जा सकै छी, किन्तु किए जाउ- शक्ति चट्टोपाध्यायक बांग्ला कविता-संग्रहक मैथिली अनुवाद लेल प्राप्त।  रमानन्द झा 'रमण':- अनुवाद लेल भाषा-भारती सम्मान २००४-०५ (सी.आइ.आइ.एल., मैसूर) छओ बिगहा आठ कट्ठा- फकीर मोहन सेनापतिक ओड़िया उपन्यासक मैथिली अनुवाद लेल प्राप्त।



नाटक, गीत, संगीत, नृत्य, मूर्तिकला, शिल्प आ चित्रकला क्षेत्रमे विदेह सम्मान २०१२ क घोषणा



विदेह सम्मान

विदेह समानान्तर साहित्य अकादेमी सम्मान

१.विदेह समानान्तर साहित्य अकादेमी फेलो पुरस्कार २०१०-११ 
२०१० श्री गोविन्द झा (समग्र योगदान लेल)
२०११ श्री रमानन्द रेणु (समग्र योगदान लेल)
२.विदेह समानान्तर साहित्य अकादेमी पुरस्कार २०११-१२ 

२०११ मूल पुरस्कार- श्री जगदीश प्रसाद मण्डल (गामक जिनगी, कथा संग्रह)
२०११ बाल साहित्य पुरस्कार- ले.क. मायानाथ झा (जकर नारी चतुर होइ, कथा संग्रह)
२०११ युवा पुरस्कार- आनन्द कुमार झा (कलह, नाटक)
२०१२ अनुवाद पुरस्कार- श्री रामलोचन ठाकुर- (पद्मानदीक माझी, बांग्ला- मानिक बंद्योपाध्याय, उपन्यास बांग्लासँ मैथिली अनुवाद)


विदेह भाषा सम्मान २०१२-१३ (वैकल्पिक साहित्य अकादेमी पुरस्कारक रूपमे प्रसिद्ध)

बाल साहित्य पुरस्कार २०१२- श्री जगदीश प्रसाद मण्डल केँ “तरेगन” बाल प्रेरक विहनि कथा संग्रह


नाटक, गीत, संगीत, नृत्य, मूर्तिकला, शिल्प आ चित्रकला क्षेत्रमे विदेह सम्मान २०१२ क घोषणा

अभि‍नय- मुख्य अभिनय ,

सुश्री शि‍ल्‍पी कुमारी, उम्र- 17 पि‍ता श्री लक्ष्‍मण झा

श्री शोभा कान्‍त महतो, उम्र- 15 पि‍ता- श्री रामअवतार महतो,

हास्‍य-अभिनय

सुश्री प्रि‍यंका कुमारी, उम्र- 16, पि‍ता- श्री वैद्यनाथ साह

श्री दुर्गानंद ठाकुर, उम्र- 23, पि‍ता- स्‍व. भरत ठाकुर

नृत्‍य

सुश्री सुलेखा कुमारी, उम्र- 16, पि‍ता- श्री हरेराम यादव

श्री अमीत रंजन, उम्र- 18, पि‍ता- नागेश्वर कामत

चि‍त्रकला
श्री पनकलाल मण्डल, उमेर- ३५, पिता- स्व. सुन्दर मण्डल, गाम छजना
श्री रमेश कुमार भारती, उम्र- 23, पि‍ता- श्री मोती मण्‍डल

संगीत (हारमोनियम)

श्री परमानन्‍द ठाकुर, उम्र- 30, पि‍ता- श्री नथुनी ठाकुर

संगीत (ढोलक)

श्री बुलन राउत, उम्र- 45, पि‍ता- स्‍व. चि‍ल्‍टू राउत

संगीत (रसनचौकी)

   श्री बहादुर राम, उम्र- 55, पि‍ता- स्‍व. सरजुग राम

शिल्पी-वस्तुकला

    श्री जगदीश मल्लिक,५० गाम- चनौरागंज

मूर्ति-मृत्तिका कला

श्री यदुनंदन पंडि‍त, उम्र- 45, पि‍ता- अशर्फी पंडि‍त


काष्ठ-कला

श्री झमेली मुखिया,पिता स्व. मूंगालाल मुखिया, ५५, गाम- छजना


किसानी-आत्मनिर्भर संस्कृति

श्री लछमी दास, उमेर- ५०, पिता स्व. श्री फणी दास, गाम वेरमा

विदेह मैथिली पत्रकारिता सम्मान


-२०१२ श्री नवेन्दु कुमार झा

गजल कमला-कोसी-बगमती-महानंदा सम्मान


अनचिन्हार आखर ( http://anchinharakharkolkata.blogspot.com ) द्वारा प्रायोजित "गजल कमला-कोसी-बगमती-महानंदा सम्मान" बर्ख 2011 लेल ओस्ताद सदरे आलम गौहर जीकेँ प्रदान कएल गेलैन्ह। एहि बेरुक मुख्यचयनकर्ता ओस्ताद सियाराम झा"सरस" छलखिन्ह।..