मिथिलांचल टुडे मैथिलि पत्रिका

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बुधवार, 31 जुलाई 2013

भिखारिन-हिन्दीसँ अनुवादित कथा- लेखक*रवींद्रनाथ टैगोर अनुवादक -रोशन कुमार मैथिल

भिखारिन-हिन्दीसँ अनुवादित कथा-  लेखक*रवींद्रनाथ टैगोर
अनुवादक -रोशन कुमार मैथिल

अन्हरी प्रतिदिन मन्दिरक दुआरिपर जा ठाढ़ होइत छली, दर्शन के निहार बाहरि निकलैत छल तँ ओ अपन हाथ पसारि दैत छली आ नम्रताक संग कहैत छली जे - बाबूजी, अन्हरीपर दया कयल जाउ।

ओ जानै छली जे मन्दिरमे आबऽ वला सहृदय आ श्रध्दालु होइत छथि। ओकर ई अनुमान असत्य नञि छल। आबऽ-जाय वला दू-चारि पाइ ओकरा हाथपर राखियो दैत छला। अन्हरी हुनका लोकनिकेँ आशीष दैत छली आ हुनका लोकनिकेँ सहृदयताकेँ सराहना करैत छली। स्त्री लोकनि सेहो ओकरा खोइछामे कनी मनी अन्न दऽ जायल करैत छली।

भोरसँ साँझ धरि ओ एहि प्रकारे हाथ पसार ठाढ़ रहैत छली। एकरा बाद ओ मने मन भगवानकेँ प्रणाम करैत छली आ अपन लाठीक मदतिसँ झोपड़ीक बाट दिस विदा भऽ जाइत छली। ओकर झोपड़ी नगरिसँ बाहरि छल। बाटमे ओ सेहो याचना करैत जाइत छली, ओना राह-बटोही लोकनिमे बेसी संख्या श्वेत वस्त्र वलाकेँ होइत छल, जे पाइ देबाक बदला दबारि दैत छल। तखनो अन्हरी निराश नञि होइत छली आ ओकर याचना बराबर चलैत रहैत छल। झोपड़ी धरि पहुँचैत पहुँचैत ओकरा दू चारि पाइ आरो भेट जाइत छल।

झोपड़ीक लग पहुँचैत देरी एक गोट दस बरख लड़का कूदैत फानैत ओकरासँ चिपटि जाइत छल। अन्हरी टटोलबाक बाद ओकर माथकेँ चूमैत छली।

बच्चा के  अछि? केकर अछि? कतऽ सँ आयल? एहि बातसँ कोनो परिचय नञि छल। पाँच बरख भेल पास-पड़ोसक लोक  ओकरा एसगर देखने छल। एहि क्रममे एक दिन साँझक समय लोक सभ ओकर कोरामे एक गोट नेनाकेँ देखलक , ओ कानि रहल छल, अन्हरी ओकर मुख चूमि-चूमि कऽ ओकरा चुप करेबाक प्रयास कऽ रहल छली। ई कोनो असाधारण घटना नञि छल, अत: क्यौ नञि पूछलक जे बच्चा केकर अछि। ओहि दिनसँ ई बच्चा अन्हरीक लग रहैत छल आ खुश छल। ओकरा ओ अपनासँ नीक नीकुति भोजन करबैत छल आ पहिरबैत छल।

अन्हरी अपन झोपड़ीमे एक गोट हाण्डी गाड़ि कऽ रखने छली। साँझक समय जे किछऊ माङि कऽ ओन आनैत छल तकरा ओहिमे धऽ दैत छल आ कोनो वस्तुसँ ओकरा झापि दैत छल। कारण दोसर व्यक्तिक नजरि एहिपर नञि पड़ै। भोजन लेल अन्न बड़ बेसी भेट जाइत छल। ओहिसँ ओ काज चलबैत छली। पहिने नेनाके ँ पेट भरि खूआ दैत छली तकर बाद अपने खाइत छली। रातिकेँ ओ बच्चाकेँ अपना छातीसँ लगा पड़ल रहैत छली। भोर होइ देरी ओकरा खूआ पिया मन्दिरक दुआरिपर जा ठाढ़ होइत छली।
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काशीमे सेठ बनारसीदास बहुत प्रसिध्द व्यक्ति छथि। धिया पुता लोकनि हुनका कोठीसँ परिचित अछि। बहुत पैघ देशभक्त आ धर्मात्मा छथि। धर्ममे हुनकर बड़ बेसी सुचि छनि। दिनक बारह बजे धरि सेठ स्नान-ध्यानमे संलग्न रहैत छला। कोठीपर सदिखन भीड़ लागल रहैत छल। कर्जक इच्छुक सभ तँ आबिते छला, मुदा एहन व्यक्ति लोकनिक सेहो ताता लागल रहैत छल जे अपनी पूञ्जी सेठजीक लग धरोहरक रूपमे राखऽ आबैत छला। सैकड़ो भिखारी अपन जमा-पूञ्जी एहि सेठजीक लग जमा कऽ जाइत छल। अन्हरीकेँ सेहो ई बात बूझल छल, मुदा नञि जानि एखन धरि ओ अपन कमाइ एतऽ जमा करेबामे किया हिचकिचा रहल छली।

ओकरा लग बेसी टाका भऽ गेल छल, हाण्डी लगभग पूर्ण तरहे भरि गेल छल। ओकरा शंका छल जे क्यौ चुरा नञि लय। एक दिन साँझक समय अन्हरी ओहि हाण्डीकेँ उखाड़लक आ अपन फाटल आंचरमे नूका सेठजीक कोठीपर पहुँचल।

सेठजी बही-खाताक पेजकेँ उनटि पुनटि रहल छला, ओ पूछलनि- की गे बुढ़िञा?

अन्हर हाण्डी ओकरा आगामे सरकार देलक आ डरैत डरैत कहलक- सेठजी, एकरा आहाँ अपन लग जमा कऽ लियऽ, हम अन्हार, अपाहिज कतऽ एकरा राखने खूरब।

सेठजी हाण्ड दिस देखलनि आ कहलनि जे एहिमे की अछि?

अन्हरी उत्तरि देलक- भीख माङि-माङि अपन नेना लेल दू चारि टाका जमा केलौ अछि, अपना लग रखबामे डर होइत अछि, कृपया एकरा अहाँ अपना कोठीमे राखि ली।

सेठजी मुंशी दिस संकेत करैत कहलनि- खातामे जमा कऽ दियौ। फेरो बुढ़ियासँ पूछा-तोहर नाम की अछि?

अन्हरी अपन नमा बतेलक, मुंशी नकद गिन कऽ ओकरा नामसँ जमा कऽ लेलनि आ ओ सेठजीकेँ आशीर्वाद दैत अपन झोांड़ीमे चलि गेली।

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दू बरख बहुत सुखक संग बीतल। एकर पश्चात एक दिन लड़काकेँ ज्वर आबि गेल। अन्हरी दवा-दारू केलक, झाड़-फूंकसँ सेहो काम लेलक, टोना-टोटकाक परीक्षा के लक, मुदा सम्पूर्ण प्रयत्न व्यर्थ सिद्ध भेल। लड़क ाक दशा दिन-प्रतिदिन खराब होाइत गेल। अन्हरीक ह्दय टूटि गेल। निराश भऽ गेल। ओना फेरो ध्यान आयल जे सम्भवत: डॉक्टरक इलाजसँ लाभ भऽ जाय। ई विचार आबैत देरी ओ खसैत पड़ैत सेठजीक कोठीपर आयल। सेठजी उपस्थित छला। अन्हरी कहलक- सेठजी हमर जमा-पूञ्जीमेसँ दस-पाँच गोट टाका भेट जाय तँ बड़ कृपा होयत। हमर बच्चा मरि रहल अछि, डॉक्टरकेँ दिखायब।

सेठजी कठोर स्वरमे कहलनि जे - कहन जमा पूञ्जी? के हन टाका? हमरा लग के करो कोनो पाइ जमा नञि अछि।

अन्हरी कानैत कानैत उत्तर देलक- दू बरख भेल हम अहाँ लग अपन धरोहन राखि गेल छलौ। दऽ देब तँ बड़ पैघ दया होयत।

सेठजी मुनीमक दिस रहस्यमयी दृष्टिसँ देखैत कहलनि- मुंशीजी, कनी देखु तँ, एकरा नामपर कोनो पूञ्जी जमा अछि की? तोहर नाम की छियौ गै?

अन्हरीक जानमे जान आयल। आशा बन्हायल। पहलि उत्तर सुनि ओ सोचली जे सेठ बैमान अछि, मुदा आब सोचऽ लागली जे सम्भवत: ओकरा ध्यान नञि रहल होयत। एहन धर्मी व्यक्ति भला झूठ बाजि सकैत अछि? ओ अपन नाम बता देलक। उनटि-पुनटि कऽ देखल गेल। फेरो कहलक- नञि तँ। एहि नामपर कोनो टाका जमा नञि  अछि।

अन्हरी ओतहि जमि कऽ बैसल रहली। ओ कानैत कानैत कहलनि- सेठजी, परमात्माक नाम पर, धर्मक नाम पर, किछु दऽ दियऽ।हमर बच्चा जीब जायत। जीवन-भरि आहाँक गुण गायब।

मुदा पाथरमे जोंक नञि लागल। सेठजी तमसाइत कहलनि- जेमे की नौकर सभकेँ बजबियौ।

अन्हर लाठीक दमपर ठाढ़ भऽ गेली आ सेठजीक दिस मुंह ताकैत बजली- चलू भगवान आहाँक बड़ बेसी दय। आ ओ अपन झोपड़ी दिस चलि देलक।

ई आशीष नञि छल अपितु एक दुखहारिणक शाप छल। बच्चाक दशा बिगड़ैत गेल। दवा-दारू भेबे नञि कयल। तखन लाभ कियक होइतै। एक दिन ओकर अवस्था चिन्ताजनक भऽ गेल। प्राण बचब कठिन भऽ गेल। ओकरा बचबाक आश अन्हरी सेहो छोड़ि देने छली। सेठजीपर रहि-रहि कऽ ओकर तामश आबैत छल। एते धनी व्यक्ति अछि। दू चारि टाका दऽ दैतै तँ भऽ जायतै ओकर। हम ओकरासँ दान तँ नञि माङि रहल छला। अपना जमा कयल टाका माङबा लेल गेल छलौ। सेठजीसँ ओकर घृणा भऽ गेल।

बैसल बैसल ओकरा कि छु ध्यान आयल। ओ अपन बच्चाकेँ कोरामे उठा खसैत पड़ैत सेठजीक लग पहुँचली आ हुनका दुआरिपर धरना दऽ बैस गेली। बच्चाक शरीर ज्वरसँ भभकि रहल छल आ अन्हरीक कलेजा सेहो।

एक गोट नौकर कोनो कामसँ बाहर आयल। अन्हरीकेँ बैसल देख ओ सेठजीकेँ सूचना देलक। सेठजी आज्ञा देलनि जे ओकरा भगा देल जाय।

नौकर अन्हरीसँ चलि जेबा लेल कहलक, मुदा ओ ओहि स्थानपरसँ नञि हिलली। मारबाक डर देखेलक, मुदा ओ टससँ मस नञि भेल। ओ फेरो अन्दर जा कहलक जे ओ नञि जा रहल अछि।

सेठजी स्वयं बाहर एला। देखैत देरी चिह्न गेला। बच्चाकेँ देख हुनका बड़ बेसी आश्चर्य भेल जे ओकर शक्ल-सूरत हुनकर मोहनसँ बड़ बेसी मिलैत जुलैत अछि। सात बरख भेल तखन मोहन कोनो मेलामे हरा गेल छल। ओकर बहुत ताका हारि कयल गेल, मुदा ओकर कोनो पता नञि चलल। हुनका मोन पड़ल जे मोहनक जांघपर एक लाल रंगक चिन्ह छल। एहि विचारकेँ आबैत देरी ओ अन्हरीक कोराक बच्चाक जांघ देखलनि। चिन्ह अवश्य छल, मुदा पहिनेसँ किछु पैघ। हुनका विश्वास भऽ गेल जे ई बच्चा हुनकर छनि। तुरन्त ओकरा छीन ओ अपन कलेजासँ बच्चाकेँ लगा लेलनि। देर बुखारसँ तपि रहल छल। नौकरकेँ डाक्टर आनबा लेल पठौलनि आ अपने स्वयं घरक अन्दर चलि देलनि।

अन्हरी ठाढ़ भऽ गेल आ चिकरऽ लगली- हमर बच्चाकेँ नञि लऽ जाउ, हमर टाकातँ हजम कऽ गेलौ आब की हमर बच्चा हमरासँ छीनब।

सेठजी बहुत चिन्तित भेला आ कहलनि जे बच्चा हमर अछि। यैह बच्चा अछि जे सात बरख पहिने कतौ हेरा गेल छल आब भेटल अछि। आब एकरा कतौ नञि जाय देब। लाख प्रयास कऽ एकर प्राण बचायब।

अन्हरी जोरसँ ठहाका लगेलनि- तोहर बच्चा अछि, एहि लेल लाख प्रयास कऽ ओकर बचायब। हमर बच्चा रहितै तँ ओकर मरि जायब दैतौ, की? ईहो कोनो न्यास अछि। एतेक दिन धरि खून-पसीना एक कऽ ओकरा पोसलौ अछि। हम ओकरा अपन हाथसँ नञि जाय देब।

सेठजीक दशा अजीब छल। किछु केनेसँ बात नञि बनि रहल छलनि। किछु काल ओ चुपचार ठाढ़ रहला फेरो मकानक अन्दर चलि गेला। अन्हरी किछु समय धरि ठाढ़ कानैत रहली फेरो अपन झोपड़ी दिस चलि देलक।

दोसर दिन भोरमे भगवानक कृपा भेल वा दवाइ जादू सन प्रभाव देखेलक। मोहनक बुखार उतरि गेल। होश एबापर ओ आँखि खोललक तँ सभसँ पहिल शब्द ओकरा मुँहसँ निकलल माँ।

चहुंओर अपरिचित शक्ल देख ओ अपन आखि फेरो बन्न कऽ लेलक। ओहि समयसँ ओकर बुखरा फेरोसँ बेसी होयब प्रारम्भ भऽ गेल। मां-मां केर रट लागल छल। डॉक्टर लोकनि सेहो जवाब दऽ देलनि। सेठजीक हाथ पैर फू लि गेल। हुनका चहुुओर अन्हार देखइ देबऽ लगलनि।

की करी एक गोट बच्चा अछि। एतेक दिनक बाद भेटबो कयल तँ मृत्यु ओकरा अपना मुट्ठिमे दबा रहल अछि।  एकरा कोनो बचाबी?

अचानक हुनका अन्हरीक ध्यान आयल। पत्नीकेँ बाहर पठौलनि जे देखु जे ओ एखन धरि ओ दुआरिपर नञि बैसल होइञ मुदा ओ ओतऽ कहाँ छल? सेठजी फिटन तैयार करौलनि आ बस्तीसँ बाहर ओकरा झोंपड़ीपर पहुँचलनि। झोपड़ी बिना केबाड़क छल। अन्दर गेला। देखलनि एक गोट फाटल-पुरान टाटपर अन्हरी पड़ल अछि। ओकरा आँखिसँ नोर बहि रहल अछि। सेठजी आस्तेसँ ओकर हिलेलनि। ओकर देह सेहो आगिक भाँति तपि रहल छल।

सेठजी कहलनि-बुढ़िया! तोहर बच्चा मरि रहलौ अछि। डॉक्टर सेहो निराश भऽ गेल अछि। रहि रहि ओ तोरा चिकरि रहल छौ। आब तूही ओकर प्राण बचा सकै छ:। चल आ हमर...नञि नञि तु अपन बच्चाक जान बचा ले।

अन्हरी उत्तर देलक - मरैत अछि तँ मरऽ दियौ। हम सेहो मरि रहल छी। हम दुनू स्वर्ग-लोकमे फेरोसँ मां-बेटाक तरहे मिल जायब। एहि लोकमे सुख नञि अछि। ओतऽ हमर बच्चा सुखमे रहत। ओतऽ ओकर सुचारू ढ़गसँ सेवा-सुश्रूषा करब।

सेठजी कानऽ लगला। आइ धरि ओ किनको सोझामे माथ नञि झूकेने छला। ओना एखन ओ अन्हरीक पैरपर खसि पड़ला आ कानैत कानैत कहलनि- ममाताक राख राखि ले। तु हु तँ ओकर माँ छ: चल, तोरा जेबासँ ओ बचि जायत।

ममता शब्द अन्हरीकेँ विकल कऽ देलक। ओ तुरन्त कहलक - ठीक अछि चलु।

सेठजी सहारा दऽ ओकरा फिटनपर बैसौलक। फिटन घरक दिस दौड़ऽ लागल। ओहि समय सेठजी आ अन्हरी भिखारिन दुनूक दशा एक छल। दुनू केर ई इच्छा छल जे शीघ्र-सँ-शीघ्र अपन नेना लग पहुँचि जाय।

कोठी आबि गेल। सेठजी सहारा दऽ अन्हरीकेँ उतारि अन्दर लऽ गेला। भीतर जा अन्हरी मोहनक माथपर हाथ फेरलनि। मोहन पहचानि गेल जे ई ओकर मायक हाथ अछि। ओ तुरन्त आँखि खोलि देलक आ ओकरा अपना लगमे ठाढ़ देख कहलक-मां, तु आबि गेलऽ।

अन्हरी भिखारिन मोहनक सिरौहनामे बैस गेला आ ओ मोहनक माथ अपना कोरामे राखि लेलनि। हुनका बड़ बेसी सुखक अनुभव भेलनि आ ओकरा कोरामे तुरन्तमे सुति गेल।

दोसर दिनसँ मोहनक दशा नीक होबऽ लागल। दस-पन्द्रह दिनमे ओ बिल्कुल स्वस्थ भऽ गेल। जे काम हकीमक जोशान्दा, वैद्यक पुड़िया आ डॉक्टर लोकनिक मिक्सचर नञि कऽ सकय से ओहि अन्हरीक स्नेहमयी सेवा पूरा कऽ देलक।

मोहनक पूर्ण तरहे स्वस्थय भऽ जेबापर अन्हरी विदा माङलक। बहुत-किछु कहला-सुनबाक बादो जखन ओ ओ हुनका लग रहबा लेल तैयार नञि भेल तखन विवश भऽ हुनका विदा करऽ पड़ल। जखन ओ चलऽ लागल तँ सेठजी टाकाक एक गोट झोरी ओकरा हाथमे दऽ देलनि। अन्हरी पता केलक जे एहिमे की अछि?

सेठजी कहलनि जे -एहिमे तोहर धरोहर अ,ि तोहर टाका। हमर ओ अपराध।

अन्हरी बात काटि कऽ कहलनि- जे ई टाका तँ हम तोहरे मोहन लेल संग्रह केने छल। ओकरे दऽ देब।

अन्हरी झोरी छोड़ि देलक आ लाठी टेकै त चलि देलक। बाहर निकलि कऽ ओ फेरो ओ ओहि घरक दिस आँखि उठा देखलक। सेठक नेत्रसँ नोर बहि रहल छल, मुदा ओ एक गोट भिखारिन हेबाक बाद ओहि सेठसँ महान छली। एहि समय सेठ याचक छला ओ दाता छली।