मिथिलांचल टुडे मैथिलि पत्रिका

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गुरुवार, 13 फ़रवरी 2014

BANEBE MITHILA
सुनहो भैया सुनहो काका
चलहो अपन गाम हो,
सभ मिल जुइल बनेबै
अपन सुन्नर मिथिला धाम हो...
काहे के हम जेबै भैया
पंजाब बंगाल असाम हो,
सभ कुछ त हई अपने लंग
क लेबै जुगार हो...
जमीन हई पानी हई
हई शुद्द बसात,
ज्ञान के हई भंडार मिथिला
लगा लेबै उद्योग हो...
बिहारी बनि सुनबहोँ गाहिर
या मैथिल बनि बनबहोँ महान,
फैसला करहोँ हो भैया
आब न करहोँ वक्त नुकशान...
मिथिला राज्य निर्माण सेना
भड़ि रहल हुँकार हो,
अबहो काका अबहो भैया,
दहू मिरानिसे के संग हो..
सभ मिल जुइल बनेबै
अपन सुन्नर मिथिला धाम हो....
जय जय मिथिला जय जय मिरानिसे
 :गणेश कुमार झा "बावरा "

सोमवार, 10 फ़रवरी 2014

CHALU MITHILA
घुइर चलू घुइर चलू मैथिल
अपन मिथिला देश
बाट जोहै छथि माए मिथिला,
आँचर मे लऽ स्नेहक सनेश।
उजइर पुजइर गेल छै ओकर
सभटा खेत पथार
गाम घर सभ भक्क पड़ल छै
डिबिया बाती नै जरै छै
देख ई दशा
माए मिथिला के फाटै छै कुहेश ।...
जाहि धरा पर बहैत अछि
सात सात धार
आई ओहि धरा के छाती अछि सुखाएल
खाए लेल काइन रहल अछि नेन्ना भुटका
माइर रहल छथि माए मिथिला चित्कार ।
देखू देखू हे मिथिलावाशी केहन आएल काल
देब भूमि तपोभूमि
आई बनल आतंकक अड्डा
जतऽ कहियो पशु पंछियोँ वाचैत छल शास्त्र
आई ओहि धरा सँ सुना रहल अछि बम बारुदक राग ।
हे मैथिल!
दोसरक नगरी रौशन केलौँ
छोइड़ अपन देश
आबो जँ नै आएब मिथिला
तऽ भऽ जाएत मिथिला डीह 
कुहैर कुहैर क कहैथ माए मिथिला ई..
चलू चलू यौ मैथिल अपन मिथिला देश
फेर सँ बनेबै ओहने मिथिला
देखतै देश विदेश..जय मिथिला
   :गणेश कुमार झा "बावरा"