मिथिलांचल टुडे मैथिलि पत्रिका

मिथिलांचल टुडे मैथिलि पत्रिका पहिल अंक लअके बहुत जल्दिय आबी रहल अछि,अपनेक सबहक समक्ष , किछू हमहूँ कहब आ किछु अहूँ के सुनब,देखू -- http://www.mithilanchaltoday.in/ , E- mail - mithilanchaltoday@gmail.com

बुधवार, 16 अप्रैल 2014

Bhrun Hatya

भूण हत्य|
आई मन में एकटा विचार भेल
किया समाज खराब भेल|
जनइत अछइत में
किया करई छै ...
समाज इ अपराध,
जै मालुम छै
भूण हत्या छै महापाप||
इ कथा मिथिला समाज के सिर्फ नहि अछि,
समस्त समाज में फैलइत इ पाप अछि|
जनइत अछइत में किया करई छै समाज इ अपराध,
जै मालुम छै भूण हत्या छै महापाप||
जै बेटा रहइत त मान करई छि,
बेटी रहइता त माईर फैकइ छि|
ओइ अबोध शिशु सै कि भेल एहन अपराध,
किया करई छै समाज एहन काज,
जै मालुम छै भूण हत्या छै मयहापाप||
सीता,मीरा, लछ्मीबाई तीनों छथीन,
आदर्श,प्रेम और वीरताक देवी,
कि नहि मिलन हीनकर सभक मैया बाबू के सम्मान?
आई कौन बेटा आइब करई छथीन जनक जी के नाम,
बेटी बचाऊ अहि में अछि सभक सम्मान,
जनइत अछइत नहि करु इ अपराध,
जै मालुम अछि भूण हत्या छै महापाप||
:"कंचन कुमारी झा"

शनिवार, 15 मार्च 2014

swabhiman

Swabhiman
आब जीबे क की करब,
जखन स्वाभिमाने नै रहल!
अपन पहिचान रहितो,
दोसरक पहिचान ल जीबे छी!!
आब जीबे क की करब,
जखन मातृभूमि सँ दूर भेलौ!
अपन खेत पथार रहितो,
दोसरक खेत पटबै छी!!
आब जीबे क की करब,
जखन मातृभाषा बिसरलौँ!
अपन समृद्द भाषा रहितो,
दोसरक बोली बजै छी!!
   :गणेश कुमार झा "बावरा"

hunkar

   "हुँकार "


कहि दियौ जा क '
पटना -दिल्ली केँ शासक सँ
आबि रहल अछि मिथिलावाशी
लेब' अपन अधिकार अपन स्वराज !


कहि दियौ जा क '
शांत हृदय उद्वेलित भ' रहल अछि
श्रृंगार -भक्ति गीत गाबे वाला हृदय
आब क्रान्तिक गीत गाइब रहल अछि !


कहि दियौ जा क'
आब नहि देबै अग्नि-परीक्षा
आब नहि धरति धरती सीता
विरोधक स्वर उठि रहल अछि
सम्हरि जाउथ देथु मिथीला
नहि त' मिथिलावाशी उखाइर्  फेँकत सत्ता !!!!!!
        :गणेश कुमार झा "बावरा"

गुरुवार, 13 फ़रवरी 2014

BANEBE MITHILA
सुनहो भैया सुनहो काका
चलहो अपन गाम हो,
सभ मिल जुइल बनेबै
अपन सुन्नर मिथिला धाम हो...
काहे के हम जेबै भैया
पंजाब बंगाल असाम हो,
सभ कुछ त हई अपने लंग
क लेबै जुगार हो...
जमीन हई पानी हई
हई शुद्द बसात,
ज्ञान के हई भंडार मिथिला
लगा लेबै उद्योग हो...
बिहारी बनि सुनबहोँ गाहिर
या मैथिल बनि बनबहोँ महान,
फैसला करहोँ हो भैया
आब न करहोँ वक्त नुकशान...
मिथिला राज्य निर्माण सेना
भड़ि रहल हुँकार हो,
अबहो काका अबहो भैया,
दहू मिरानिसे के संग हो..
सभ मिल जुइल बनेबै
अपन सुन्नर मिथिला धाम हो....
जय जय मिथिला जय जय मिरानिसे
 :गणेश कुमार झा "बावरा "

सोमवार, 10 फ़रवरी 2014

CHALU MITHILA
घुइर चलू घुइर चलू मैथिल
अपन मिथिला देश
बाट जोहै छथि माए मिथिला,
आँचर मे लऽ स्नेहक सनेश।
उजइर पुजइर गेल छै ओकर
सभटा खेत पथार
गाम घर सभ भक्क पड़ल छै
डिबिया बाती नै जरै छै
देख ई दशा
माए मिथिला के फाटै छै कुहेश ।...
जाहि धरा पर बहैत अछि
सात सात धार
आई ओहि धरा के छाती अछि सुखाएल
खाए लेल काइन रहल अछि नेन्ना भुटका
माइर रहल छथि माए मिथिला चित्कार ।
देखू देखू हे मिथिलावाशी केहन आएल काल
देब भूमि तपोभूमि
आई बनल आतंकक अड्डा
जतऽ कहियो पशु पंछियोँ वाचैत छल शास्त्र
आई ओहि धरा सँ सुना रहल अछि बम बारुदक राग ।
हे मैथिल!
दोसरक नगरी रौशन केलौँ
छोइड़ अपन देश
आबो जँ नै आएब मिथिला
तऽ भऽ जाएत मिथिला डीह 
कुहैर कुहैर क कहैथ माए मिथिला ई..
चलू चलू यौ मैथिल अपन मिथिला देश
फेर सँ बनेबै ओहने मिथिला
देखतै देश विदेश..जय मिथिला
   :गणेश कुमार झा "बावरा"

शुक्रवार, 31 जनवरी 2014

गजल

हेतै खतम गुटबाज बेबस्था
बनतै सभक आवाज बेबस्था

भेलै बहुत चीरहरणक खेला
राखत निर्बलक लाज बेबस्था

देसक आँखिमे नोर नै रहतै
सजतै माथ बनि ताज बेबस्था

मिलतै सभक सुर ताल यौ ऐठाँ
एहन बनत ई साज बेबस्था

"ओम"क मोन कहि रहल छै सबकेँ
करतै आब किछु काज बेबस्था

दीर्घ-दीर्घ-दीर्घ-लघुदीर्घ-दीर्घ-लघु-दीर्घदीर्घ-दीर्घ प्रत्येक पाँतिमे एक बेर।

२२२१-२२१२-२२