मिथिलांचल टुडे मैथिलि पत्रिका

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शनिवार, 25 फ़रवरी 2012


मिथिलाक गाम घर :


हमारा लग रहब : ९ 


हमारा लग रहब : ओना प्रणव के देखि क हस्बाक कोनो कारण नहीं छलैक । मोटे कप्राक मुदा देह झाप्वा जोकर पाजामा - कुर्ता देह पर रहित छलैक हरदम । कपरा उघारी क बेत स देह फूल ब बाला नेंग्रा गुरूजी नहीं छलैक आब । क्लास तेअचेर मिर्ज़ा साहेब आ हेड मास्टर साहेब दुनु बार मानित छलैक ओकरा ।  क्लास में सदिखन फर्स्ट करैत छल, आ मोनिटर सेहो छल । सभ पर दाख चालिक ओकर ।  मुदा कम्मे ब्यास में शिल्ला क  जे धाख ओकर मों पर जम्लैक से अइयो छलैक । भरिसक से नहीं छलैक ।  ओकर अहंकारे ओकरा रोकैत  छलैक । दुनु बहिन स नहीं बाजबाक जे सपाट खेने छल से ओकरा बिसरल नहीं छलैक ।  गीदरक  नेरी खाय बाक सपाट खेने छल ओ ।




मुदा सप्पत तोरी देलकैक शिला एक दीन ।  मेट्रिक केर टेस्ट परीक्षा होमय बाला छलैक ।  स्कूल स घुरैत काल शिला टोकी देलकैक ओकरा -  कन्ने अप्पन अन्ग्रेज्जी केर कॉपी दिय त ?




प्रणव केर बिश्बास नहीं भेलैक जे ओकरा टोकने छलैक ।  मोड़ा लग पास आर कियो नहीं छलैक ।  तहियो पूछाल्कैक -- हमारा कहैत छि ? शिला हसल्कैक -- आर दोसर के ठाढ़ अछि अहिठाम ?




प्रणव केर ओ हस्सी आ हसित शिला नीक लाग्लैक । मुदा दुबारा सोझ देख बाक साहाश नहीं भेलैक । कॉपी द देलकैक ।




किछु दीनक बाद हिंदी के , फेर बिग्यानक कॉपी मान्ग्ल्कैक शिला ।  गप - सप होमय लगलैक कक्नो काल , दू, चारी दीन पर । मुदा प्रणव के सभ  दीन प्रतिक्छा रहे लगलैक जे फेर आई तोक्तैक । कॉपी सभ सजा क लिख लाग्लैक जे की फेर मान्ग्तैक ।




एक बेर एक सप्प्ताह धरी नहीं किछु मंगल्कैक शिला ।  प्रणव केर कोना दान लागे लगलैक ।  ओई दीन स्कूल स घर घुरैत काल वैह मांगी बैस्लक -- कने राप्पिद रेअडिंग वाला किताब देब , थे गुड एंड थे ग्रेट हमारा लग नहीं अछि ।




शीला किताब नहीं आन्ने छलैक  । ओकरा गामे पर बाजुल किक साझ में । प्रणव के नहीं जानी कियक खुसी भेलैक ।  गाम पर अपन कॉपी कित्ताब राखी साझ होइते दौराल कल्लू चौधरी केर घर दिश शिल्ला दर्ब्बजे पर ठाढ़ छलैक कित्ताब नेने ।  मोड़ा प्रनावक हाथ में कित्ताब देबाक लेल हाथ उथले छलैक की आँगन स बहराईट कल्लू चौधरी तोकल्थिन -- के अछि ? 




हम छि प्रणव , मुन्नार झांक भागीं । सक्पकाईट बाजल ओ आ शिला डरे सिकूरिक ठाढ़ भ गेल ।




एना अन्हार में कियक आयल छै , कोण काज छू ?  कालू चौधरी केर स्वर रूछ छलैन । प्रणव आरो सक्पकाईट बाजल -- कित्ताब्ब लेबे आयल रही , शिला बाजूने छली ।




चुप्प निर्लज्ज , बाजैत लाजो नहीं होइत छोऊ । आ तो की ठाढ़ छै अतए , भाग अंगना । कल्लू चौधरी गरज्लाह ।  शिला आँगन परा गेलिक । प्रणव काठ भेल ठाढ़ रहल ।  अपमान आ भय स मूह स्याह  भ गेलिक आ देग लोथ ।


एना गाछ जाका थाद्ग कियक छे ? भाग जल्दी ।  आ खबर दार  जे फेर दर्ब्बजा पर पयर देले , हाथ पयर तोरी देबौक । कल्लू चौधरी फेर गर

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