मिथिलांचल टुडे मैथिलि पत्रिका

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सोमवार, 27 फ़रवरी 2012


मिथिलाक  गाम घर :


हमारा लग रहब : १०


मिथिलाक गाम घर :   प्रणव भारी डेग उठबैत बीदा भेल ।  किम्ह्रो कियो नहीं छलैक , नहीं त लाजे आरो मरी गेल रहित ।  पूब मूहक दर्व्वाज्जा स हटी क हवेलिक पछूआर देने अपन पछबारी टोल दिश बीदा भेल ।  मुदा बारीक पछिला गाते पर कियो टोकाल्कैक -- किताब्बे बदला बदली म डांट सुनी गेलहु च च च .....




आन्हारो म माला क स्वर चिनीह लेल किक प्रणव ।  बारीक दर्ब्बजा केर चौखट पर डार पर दूनू हाथ रखने ठाढ़ छलैक ।  ओकरा डेग आगू बढबैत देखि  फेर टोकाल्कैक --- अहू घर स अजीब सम्बन्ध छोऊ तोहर । कानी देह छोला पर हम छाती मारी देने रहियौक आ आई कने कित्ताब्ब मंगला पर बाबूजी दर्ब्बज्जे स खेहारी देल्खून । 




प्रणव तहियो कोनो उत्तर नहीं देलक  । आगू बढ़ चाहलक त माला आर लग सहटी आय्लैक --- मुदा आई चाट नहीं मार्बौक हम ।  छू ले , छु क देख ने । हल्लो नहीं करबौक । ककरो नहीं कहबैक आ ने .....




प्रणव के लागले जेना  हाथ पकरी खीची लेतैक माला । कालू चौधरीक डाट सूनी जे डेग लोथ भ गेल छलैक , फेर जोर स मारलाकैक ।  परायल परायल अपन आँगन में आबी क ठाढ़ भेल ।


दौराल हक्मैत आबैत देखि मामी टोकाल्कैक -- की भेल बौऊ ?  एना परायल कियक आय्लाहू ?
प्रणव कोनो जवाब नहीं देलकैक । की जवाब डिटेक ? चुपे रहल ।






मुदा गामक लोक चुप्प नहीं रहलैक । सभ टोल में फूस फूस , फूस फूस । फेर घोली मची गेलिक । ३ दीन भ गेलिक । झाप टॉप केने छैक , तक्का हारी भ रहल छैक ।


रूदल चौधरी त दालान में सबहक सामने पोछी बैसल्थिन --- की दन सभ सुनैत छि भाई ? मालाक कोनो पता लागल ?


कल्लू चौधरी केरव मूह लाल भ गेलें तामस स । दियादी कातक लेल रूदल के येह अवसर भेटलें  । बेटी , पूतौहक इज्जती झाप्बाक चीज थिकैक , ओकरा एना बाजार में इश्तहार नहीं बाटल जैत छैक । पूछ्बेक छलैन त एकसार में पूछी लितैथ । कोनो आन त नहीं छित रूदल , अपने पित्त्रौत्त थिकाह । बेटी सन छानी माला .....


मुदा मलाक नाम मों पारित देरी तामस्क अस्थान  लाज आ ग्लानी ल लेल्कैं । एहन बेतिक बाप भेला स आई सबहक सोझा गर्दन झुकी गेलें । जनामिते मरी गेल रहितैन तहियो एहन क्लेश नहीं होइतैन ।  बताक अभाव में  कहियो मूह मलिन नहीं भेलैन ।  माला आ शिलाक सभ दीन बेटा जाका राखाल्थिन । सासोंरो नहीं जाई परिक ते दरिद्र आ कूलिं जमे ताक्लैन जे गामे म जथा आ बासक जमीं द बसा देतीं  । मुदा माला त सभटा केर उजारी , सभ पर करिखा पोत्ति निप्पत्ता भ गेल छलैन ।




सोमना अहिल्या स्थानक मेला में बद्रीक संग देखने छलैक । मुदा बदरिया दोसरे दीन मेला स घुरी आयल ।  कतबो डेरा - धमका क कियो पूचाल्कैक , किछो नहीं गछाल्कैक । नुम्बरी पाजी आ लम्पट अछि बदरिया । ओकर थाह भेताब मुस्किल ।


मुदा  पुलकित केर ताः लागी गेल छलैन --- सभ टा बुझी गेल्याई हाउ भाई । इ बदरिया भारी हीरो अछि । छौरी के फूसिला मेला ल गेलिक आ फेर ककरो हाथ बेचीं अपने घुरी आयल ।


बेसी लोक के ई सांगत बूजेलैक । मुदा बदरिया चुप बैसे लोक नहीं छल । ओहो अपना 

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