किस्सा पिहानी
ननदी भौजी
पदुमा परम खीण आ चिंतित भेल अपन आँगन में आय्लिः ।अपन भौजी से बिना किछु कहने , पुबरिया घर में पीसी गेलीह । भंसा घर से भौजी पुचाल्खिं - लाल दाई छि ?
बिना कोनो उत्तर देने , एइना - ककबा ल क घर स बाहर भेली आ आँगन में राखाल पटिया पर बैसी गेल्ही , उदास भ ।
घाम स भिजल मुह आचार से पोचैत राम्गंज्वाली भनसाघर से बाहर भेलीह आ ननदी के उदास नेत्र , सिथिल चेष्टा , निहुरल माथ, देखि क सन्न भा गेल - रुपैया आठो आना नहीं भेटलें की ?
लग आबी , बर स्नेह स पदुमाक माथ पर हाथ फेरैत , राम गंज वाली बजलीह - की ये ? एना मों कियक खसल अछि ? बंगत बाबु स भेट नहीं भेल की ?
- नहीं भौजी , से गप नहीं अछि । बंगत स भेट टी भेल छल , दू ता रुपैया सेहो देने अछि , मुदा एकता बिचित्र गप भा गेलै । इह अनर्थ भ गेलिक , बौजी हम आहा से की कहू । -सुख्यल थोर के जी से चतैत पदुमा बजलीह ।
आचार में बान्हल एक रुपैयाक दू ता नोट बाहर क पदुमा भौजी केर हाथ में राखी देलैन । भौजी के चिंता समाप्त भेलैन - आब किछु होईक , हाथ पर दू टा ताका अछि तखन कोण चीनता , कथिक चिंता ?
पदुमा आ पदुमाक भौजी दूनू गोते विधवा चित । पदुमाक उम्र २३-२४ , रामगंज वाली के ३२-३३ । आ दुनु गोते निसंतान , दुनु स्वाधीन प्राकृतिक ।
पदुमाक गाम , बंगाम बड पिघ अछि । गाम में हाई स्कूल , थाना , पोस्ट ऑफिस , हॉस्पिटल आ हात बाजार । ते , अहि दू विधवा ब्राह्मनिक जीवन -निर्वाह कोनो कठिन वास्तु नहीं । दू हजार घरक बस्ती में दू सय बंगत अवसे छैथ।
मुदा तहिया आजुक राती में पदुमा बड्ड धुखित छल । भौजी फेर पुछल्थिन - ल्लाल्दाई , आहा बड्ड नेना भूतका जेका करैत छि । एना काज नहीं चलत । हमारा कहू , की भेल अछि । कही रास्ता में थाना वाला टी नहीं पकरी ललक ।
कोण सिपाहिक मजाल छैक जे हमारा पकरत । हमर की दरोगा साहेब नहीं चिन्हित अछि ? हम अहा के कोना कहू जे हमारा की भेल अछि , भौजी । येह भुझु जे की हम जीबैत नहीं छि , मरी गेल छि ।
भौजी हसे लागलीह - इ ते भुज्लाऊ , जे आहा मरी गेलहु मुदा , जे के मारलक आ कोना मारलक ।
तखन पदुमा अपन राती कथा आरम्भ कैलैन -- मंदिर लंग बंगत भेटी गेल । मनिरक पछुआर में ल जाक कहलियैक - हाउ बंगत पाच ता ताका चाहि , ओ बाजल , तो भुतही गाची दिश चल , हम ताला लेने आबैत छि । मंदिर में अओर किछु करबाक सहास नहीं भेलैक ओकरा । हम भुतही गाची में पाक्रिक गाछ तर ठाड़ भेल ओकर रास्ता देखैत छलु । बड़ी कालक पशात बंगत आयल । हमारा अंगी में दू ता ताका खोसी देलक आ हाथ पक्रैत बाजल - एखन दुएइ बेलौ । बाकी तीन ता भोरे आबिक देबौक । आ फेर बद्दी कालधरी चूमा -छाती लेत रहल । हम हरबराइल छलहु जे बेसी देर भा जायत टी भौजी खिस्येतिः , मुदा ओ छोरैते नहीं छल । कखनो भरी पाजी में पकरी राखे , कखनो आने किछु कराई । तखनो हमर मों अपना में नहीं रहल । लागल जेना सौंसे गाछी झुलुआ बनी गेल अछि आ हम बंगत संगे आकाश में उरल जा रहल छि ।
अकस्मात् पदुमाक भरी पाजिमे कसिक जतैत रहमगंज वाली बजलीह - लालदाई , गपके एतेक जुनी छिद्दाबियौक । ई कहू जे की तखन की भेल भेल ?
पदुमा कहैत रहलीह - तखन बंगत हमारा निर्वस्त्र क देलक । हमारा ते भुजू कोनो होसे नहीं रहल । मुदा एत्बाही में जोर - जोर स गीत गबैत एकता सिपाही गाछी में पैसल । सिपाहिक देखतही बंगत हमरा ओही अवस्था में छोरिक भागी गेल । हमारा नहीं रहल गेल । कहां भीरु छल ओ । हमहू बंगत केर पाछा -पाछा दौरलाहु \ मुदा ओ ते अन्हार गाछी में निपत्ता भ गेल छल । कतबो तक्यिक भेटबे नहीं करै । एक दू बेर नामो ध के चिकरलाहू , कोनो था पता नहीं । ओ सिपाहिया टी अपन रास्ता ध क चली गेल छल । आ हम गाछिये - गाछी औनाइत छलहु । बरी कालक पश्चात कतहु स बंगत चिकरल - पदुमा , गे पदुमा । दौगिहे गे । जिम्हर स बंगटक शब्द आयल छल , उम्हरे दौग्लाहू । देखैत छि , एकता गाचक निचा बंगत नंगते परल अछि , आ छात्पता रहल अच्छी , चिचिया रहल अछि । मुदा भौजी हम ते जेना भांग खेने मस्त रही । इजोरिया रात में बंगटक सौसे देह, सभ अंग एके बेर देखिक नहीं रहल गेल । एको रति होश नहीं रहल जे कत छि , की क रहल छि , आ कियक क रहल छि । अहिंसे बेसी की कहू , भौजी , एकरा पस्च्हत की भेलैक से एखनहु मों नहीं पारित अछि । मुदा , जखन होश भेल त देखत छि जे की बंगत , नहीं अछि , मात्र ओकर शरीरे टा अछि ।
बाप रे -रहमगंज वाली चिकरलिः
पदुमा सेहो चिकरलिः - भौजी , बंगट के साप काटी लेने छलैक , ते ओ हमर नाम ध के चिकरल छल । भौजी , हम मरल लोकक संगे सुत्लाहू , आब हम कोना बाचब ।
पदुमा कानी लगलीह । बरी कालधरी तक कैनते रहलीह ।
तखन भौजी कहलथिन - लालदाई , जाऊ पोखरी स नहा आऊ आ देह पर गंगा जल छीट लिय । आर की क सकैत छि । जखन जीबैत पुरुखक संगे सुत्बा में लाजे नहीं,तखन मरल पुरुख स कोण लाज ?
पदुमा उठिक नहेबाक हेतु बीड़ा भ गेलीह ।
बैदेही : १९६० जय मिथिला जय मैथली
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