बाबा लेने चलियौ हमरो अपन नगरी!
बाबा लेने चलियौ हमरो अपन नगरी!
अपन नगरी - आध्यात्म डगरी!
बाबा लेने चलियौ ...
बहुते दिन सँ बाबा माथ भिड़ेलौं...
फेशबुक दुनियाँ में जे धूम मचेलौं...
नहियो चाहैत फंसल नगरी...
बाबा... नहियो चाहैत धंसल गंदगी...
बाबा लेने चलियौ हमरो...
काल्हि पूर्णिमाकेर जल उठायब...
‘जय सीताराम जय जय सीताराम’
एहि मूलमंत्र सँ सभ कीर्तन करी...
बाबा... एहि मूलमंत्र...
बाबा लेने चलियौ....
हर वर्ष माघ मास जप केर धुनकी,
भोर शांझ वन्दन के अलगे छै मस्ती,
बैसि जमायम सत्संग चौकड़ी...
बाबा... बैसि जमायब सत्संग चौकड़ी...
बाबा लेने चलियौ.....
ततेक समय मितबा ढोल बजायत,
हर-हर बम-बम कहि चिचियायत,
झगड़ो करत तऽ बुझब बमरी...
बाबा... झगड़ो करत तऽ बुझब बमरी...
बाबा लेने चलियौ...
जानैत छियै हम जे मोंन नहि लगतै,
हमरो गँजधुक्की धुआँ कने दिन नहि भेटतै... ;)
लेकिन लगायब सभ ध्यान बाबा के...
बाबा.. लेकिन लगायत सभ ध्यान बाबा के...
बाबा लेने चलियौ....
आब इ हमर आखिर पोस्ट जे पढिहें रे!
मूर्ख नहि बनिहें, बाबाके सुमिरहें रे!
फेरो अयबौ हम तोहर नगरी...
मितबा... फेरो अयबौ हम तोहर नगरी...
बाबा एखन लेने जाइ छथुन आपन नगरी।
नमः पार्वती पतये हर हर महादेव!
हरिः हरः
रचना:-
प्रवीन नारायण चौधरी
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