मिथिलांचल टुडे मैथिलि पत्रिका

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सोमवार, 10 सितंबर 2012

मातृभाषा मैथिलि पाक्षिक ई-पत्रिका

मातृभाषा
मैथिलि पाक्षिक ई-पत्रिका

जे की दरभंगास प्रकाशित पहिल ई-पत्रिका अछि . एकर पहिल अंक छपी चुकल अछि . जेना की सर्वविदित अछि जे अहि स पहिने विदेह ई-पत्रिका सेहो निकली रहल अछि . विदेह साहित्य लेल काज त कैरते अछि मुदा एक टा काज ओ बखूबी क रहल अछि आ दिन प्रतिदिन क रहल अछि . ओ काज अछि जातिवादिताक नाम पर झगरा केनाइ साहित्यकार सभ केर खुलेआम फसबूक आ ब्लोगक माध्यम स गारि पढ्नाई .
मातृभाषा ई-पत्रिकाक अंक देखैत देरी नहीं जानी किया गजेन्द्र ठाकुरअक देह में आगि किअक लागी गेलें आ ओ अपन चेला चपाटीकेर पुनः मैदान में लड़बाक लेल उतारी देलैन . हुनक एक टा चेला जिनकर नाम उमेश् मंडल छियैन ओ अपन घरवाली केर ब्लॉग ईसमदिया पर एक टा पोस्ट केलें जे फल फल आदमी मिलि ब्लाच्क्मैलिंग करबाक उद्देश्य स अहि पत्रिकाक शुरुआत केलक अछि . विदेह फसबूक ग्रुपअक एक टा पोस्ट पर माननीय आशीष अनचिन्हार आ उमेश मंडल जी कमेन्ट देला जे मा
तृभाषा ई-पत्रिकाक सम्पादक महान ब्रह्मण वादी अमलेंदु शेखर पाठक छैथ .

अमलेंदु शेखर पाठक मैथिलिक साहित्यकार , दरभंगा रेडिओ स्टेशनअक उद्घोषक आ वरिस्थ पत्र्रकार छैथ . आब सवाल उठैत अछि जे एहन आदमी पर उमेश मंडल जी ब्रह्मण वादी हेबाक आरोप किअक लगा रहल छैथ .

अहि सवालक जवाब लेल किछु समय पाछू घुर पडत . रेडिओ स्टेशन स एक दिन पाठक जी उमेश मंडल केर फ़ोन केल्थिन जे अपनेक पोस्टल एड्रेस की अछि ? उमेशक पुछला पर पाठक जी कहलें जे आहाक रेडिओ में कथा पढबा हेतु छित्ती पता रहल छि . उमेशक काटन छल जे हमरा बदला ज हमर पिताजिकर अवसर देब त हमरा नीक लागत . पाठक जी कहलें जे आहा चिंता जुनी करू हम दुनु गोटेक अवसर देब . ओही दिन स पाठक जी ओही उमेश लेल भगवान् छल आ बहूत दिन रहबो केला . तखन उमेश आ हुनका किअक गाडिया रहल छैन .
पछिला बरख गुवाहाटी में अंतर रास्ट्रीय मैथिलि सम्मलेन भेल छल ओही थाम २ दिवसीय कार्यक्रमअक आयोजन छल . पहिल दिन कवि घोस्थी आ दोसर दिन विद्यापति समारोह . उमेश मंडल आ हुनक पिताजी केर दोसर दिनक आयोजनक लेल आमंत्रित कैल गेल छल , मुदा महा साहित्यकार उमेश मंडल एक दिन पहिने गुवाहाटी पहुँच गेला . उमेश पाठकजी स आग्रह केलें जे हाम्रो पिताजी केर कविता पढबा लेल बजेबैं अपनेक आभारी रहब . मुदा समय कम रहबाक आ कवि बेसी हेबाक कारण उमेशक आग्रह पाठक जी नहीं पूरा का सकला अहि कारने जे आदमी हुनका नजरी में आई धरी भगवान् छल से आबी ब्राह्मण वादी बनी गेल छल .
विदेह केर एहो कास्ट छैन जे दोसर ई-पत्रिका किअक निकली रहल अछि . कारण साफ़ अछि जाहि पत्रिकाक सम्पादक मंडली लोकनि अपन समय झगरा आ गारि पढबा में बितेता टा निक रचना कतय स छपता .

अंत में अपने सव स विनम्र आग्रह जे मातृभाषा पाक्षिक ई-पत्रिकाक पढ़ी आ उचित मार्गदर्शन करी . चुकी पहिल अंक अछि त्रुटी हेबे करत . हमरा बढिया लागत ज आहा अहि पत्रिका में भेल गलती के जिक्र करब .
रचनाकार लोकनि स आग्रह जे अपन अपन रचना जाही मे अपन फोटो संग सक्षिप्त परिचय अवस्य पथाबैत .
याद राखब रचना अप्रकाशित आ स्वरचित हेबाक चाही . आ मात्र मातृभाषा ई-पत्रिका हेतु पठाओल गेल अछि जे लिखल हेबाक चाहि .
http://maatribhasha.blogspot.in/

अपनेक
रोशन कुमार झा "मैथिल"

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