मिथिलांचल टुडे मैथिलि पत्रिका

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गुरुवार, 9 फ़रवरी 2012





हमरा लग रहब : ४


मिथिलाक गाम घर        मुदा मामी भरी गाम घोल मचा देल्थिन - नहीं जानी नेना कता चली गेल ? अबस्से कस्सैया गुरूजी फेर दंगौने हेतैक आ हमर नेना दुःख स बत्ताह भेल किम्ह्रो परा गेल हैत । अपनों घरे - घर ताकल्खिन । धारो काट धरी तक आयाल्खिं मामा । हुनका गेलापर ओ चुपचाप गाछ पर स उत्तरल आ अपन आँगन में जा ठाढ़ भ गेल मामिक सोझा - काहा गेल छलैन दिन भरी ? मामी केर चिंता तामस में बदली गेल छलैन । प्रणव चूप , घेत झुकोने ठाढ़ ।




अईयो मार्लाको नेंग्रा ? मामी लग आबी गेलिक ।
प्रणव जोर स मुरी झात्लक । मामिक स्वर आर तमास्सा गेलें - तखन कहा छलैह दिन भरी बहुकल प्यासल ?  अंदेशा स अखनो कोढ़ धरधरा रहल अछि ।




प्रणव बुक भेल ठाढ़ रहल ।आब मामिक बेशी चिंता भेलैक । एकदम सटी हाथ स देह छूबैत पूछाल्कैक - मों खराब छौक ?




नहीं , अहि बेर प्रनावक बोल फुत्लैक ... एक टा संगी संग धारक ओही पार चली गेल रही , ओ अपन घर बाजूने छल ।  ओताही खा लेलियाई आई । नहीं जानी कियक झूठ बाजी गेल ओ ?  मुदा मामिक जेना बिश्वास नहीं भेलैन ।   जिरह करैत पुछाल्खिं --खेने ,पिने छे टी एना मूह कियक सूखायल छोऊ?




प्रणव जबरदस्ती हसल -- दिन में जे खेलियक से की पेट में धेले अछि ?  सांझ भेलै । किछु दिय ने खाय लेल ।


ओकरा हसित देखि मामिक चिंता जेना दूर भा गेलिक ।  जलखई देलकैक आ  भानस - भात में लागी गेलैक । मुदा प्रनावक मों ओही दिन कथू में नहीं लाग्लैक ।  गर्मी मॉस छलैक ।  आँगन में पट्टिया बिछा ईजोरिया में परि रहल । हबो सिह्कैत रहैक । तहियो प्रणव कछ्मछैत रहल । ओकरा बेबे बेर मों पारित रहलैक अपन देह पर बज्रैत छरी आ आर्त्नादक स्वरके दबा पसरित खिल खिल हसी । आ तकर बाद गाल पर एक टा सम्धानल चाट आ चाटक संग आगि सन बोल - साख ने देखू , हमर देह चूताह , पहिने मखानक पात स मूह पोछी आ ।


ओना प्रनावक मूह एकदम पोछल - पाछल आ चिक्कन छलैक । भबूका गोराई आ नंगर देह । मूह कान खूब निख्रल । ममी कहैत छलथिन - रंगल- धोरल , लिखल पढ़ल मूह । टेमी स लिखल ।




ओना मुनर झाक मूह सेहो रंगले - धरौल छलैन - एकदम पकिया रंग स । कारी आ चाकर मूह । नाक सेहो चतरल । ग्स्सल बाही आ चौरा छाती में सौसे केश , एकदम कंठ धरी आ पीठ पर सेहो दुनु काट । कान आ हाथ पैरक अंगूर पर सेहो पिघ पिघ केश । मुदा माथक केश अधिक काल अस्तूरा स मूर्बा लेत छलाह । कारी - कारी झामत्गर केश छलैन , गर्मी मॉस से सौसे माथो में घम्हौरी भ जैत छलैन , मुदा छिल्बा लैत छलाह ।




मुन्नार झाक बहिन , प्रनावक माइयो एकदम गोर भभूका छलैक ।  देखबा में सेहो तेहने सून्नारी । १५ बर्ष छोट छलैक मून्नर झा स , मुदा विआह स पहिने ओकरे भेलैक , १४ हम बरख में । धनिक घर आ सूँनर वर । जमिन्न्दारक खानदान छलैक , कालू चौधरीक नोत - पात पर आयल छलखिन प्रनावक बाप । मून्नर झाक बहिन के  देखाल्खीं आ अपन जेठ भाई लंग जीद क देलखिन । कालू चौधरीक भनसियाक बेटी , मुन्नार झाक बहिन चंपा एकता बरका घर में पूत्हू बनी गेलीह -- कालू चौधरी स पैघ जमिन्दारक घर ।

मिथलाक गाम घर :




मुदा भोग नहीं भेलैन । ६ बे मासक बाद बिध्बा भ गेली । कनिए ज्वर भेलैन आ वैह काल भ गेलें । उपचार - ईलाज , झार-फूक किछुओ नहीं सुनाल्कैं आ चम्पा ५ मासक पेट नेने शीथ पोछी नैहर घुरी आय्लिः ।  घुरी नहीं आय्लिः बल्कि जबरदस्ती घर स निकाली देल गेल्ही । भसूर के मौका भेटी गेलें - अल्लछ दाइने कही नैहर स बिदा क देल्थिन ।

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