मिथिलांचल टुडे मैथिलि पत्रिका

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गुरुवार, 9 फ़रवरी 2012



मिथिलाक गाम घर 



गामक छठ पूजा :२ 


मिथिलाक गाम घर : हम जखन आँगन पहून्च्लाऊ ,  ओहिठाम माँ , पापा , आर नबल काका बैसल छलैक ।हम अपन माँ स कहलियैक जे की छौरा मारे सब छठ पूजा केर चन्दा लेल आयल छैक । माँ एकही ठाम कहलें जे की हम अखन एको टा पाई नहीं देब । हमारा लग अखन एको टा पाई नहीं अछि । 


हम चुप चाप अपन कोठली में गेलौ आ पोच्केट स १०० टका केर नोट ल हुनका लोकिन केर द देलियैक ।      
१०० टका देखि उगना कहलक - जे की अपनेक नाम पर ५०० टका लिखल अछि । अहि १०० टका स काम नहीं चलत । हम कहलियैक अखन हमरा लग ५०० टका नहीं अछि । अहि १०० टका केर राखू आ बाकि ४०० टका बाद में द देब । ओ सब गोते हमरा स पाई ल दलान पर स चली गेला


हम घुरी के जखन अपन आँगन आय्लौ त नबल काका हमरा स पूछ्लैन , केतक पाई देल्हक अछि । १०० टका देलियैक आ ४०० बाद में ल जायत । नबल काका कहलें जे की हमरो नाम पर १००० टका लिखल अछि , मुदा हम नहीं देबैक । हम कहलियैक नबल का अपनेक लेल १००० टका कोण पैघ गप अछि । 


नबल का कहलें जे की पाई देबाक गप नहीं अछि । तखन कोण गप अछि ? ओ सब गोटे अहि बेर भगबती ठान में कार्यक्रम नहीं करत । हम कहलियैक भगबती थान में नहीं करत तखन कता करत ? नबल काका कहलें जे की बजरंग बलि थान में । ई गप सुनलाक उपरान्त हम कहलियैक से कोना हेतैक ? नबल का कहलें जे की हमरो समझ में नहीं आबी रहल अछि ।  तोहर आ हमार छटक घात बाबा पोखरी पर होइत अछि । तखन हम सब गोटे चन्दा कियक देबैक । हम कहलियैक , ई गप त हमरा नहीं भूझाल अछि , आब त हम हूँ बाद बाकी चन्दा नहीं देबैक ।




जगरनाथ पहिने मुंबई में रहित छल । ओही ठाम ओ कोनो सेठक बँगला पर चौकीदारी केर काम करैत छल । किछु साल पहिने ओ छोरी गाम आबी गेल छल । आ गाम्मे में रहि अपना दालान पर एक टा छोट छीन मोबाइल सर्विस सेण्टर खोली नेने छल । ओही सर्विस सेण्टर केर नाम पपू टेलिकॉम छल । ओही दूकान में विडियो कैमरा , रिचार्ज  कूपन्न , सीम कार्ड , मोबिलक बत्तेरी  , आ कैमरा स २ मिनट में खिचल फोटो भेटैत छलैक ।


जगरनाथ केर दूकान पर सदिखन चंडाल चौकरी सदिखन लागले रहैत छलैक । भोर सांझ चारी - पाच टा छौरा मारे जेकरा कोनो काम नहीं रहैत छल से ओही ठाम बैसी के तास खेलैत रहैत छल ।
ओही दूकान पर ताबत धरी मज्रेती जमाल रहैत छल , जाबित धरी ओ दूकान बंद नहीं भ जैत छल । कखनो काल क हमहू ओही चंडाल चौकरी में सामिल भ जीत छलु ।

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