मिथिलांचल टुडे मैथिलि पत्रिका

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शुक्रवार, 17 फ़रवरी 2012


मिथिलाक गाम घर :


हमारा लग रहब : ६


मिथिलाक गाम घर :मीना के पहिने किछु नहीं बूझल छलैक । जहिया पहिल दीन कनैत घर आयालैक प्रणव , तहिये बूझाल्कैक ओ । बिशन्पूर बाली काकी आ भोज पारौल बाली दीयादनी कहलकैक ओकरा जे कहां कसाई चैक नेंग्रा गुरूजी ।  एक बेर एक टा छौरा केर मूह में कंठ तक छारी घुसिया  देने रहैक आ एक बेर गलफर में अंगूर द चिरी देने रहैक ।मीना सूनी क डरे बेहाल भ गेल । प्रणव के स्कूल पठूनई बन्न क देलकैक ।  मुदा मुनर झा बिगरी गेल्थिन -- एना त छौरा अबन्द्द भ जायत । चारी आखर पढ़ दियौ , नहीं त हमारे जका महीश चराबिते रही जायत ईहो ।




बात मीणा केर लागी गेलिक । महीश चारा घरे - घर दूध बेचैत छलखिन मुनर झा से ओकरा पसीन्न नहीं छलैक । मुदा ओ अपने महिष किन्नी देने रहथिन । बाप कालू चौधरी के भनसिया चलतीं । भरी गाम भोज भात में मोनक मों अन्न रानिह देत छलखिन । अइयो काल्हि मुनर झा पकरा जैत छलाह । तीमन - तरकारी क लूरी तेहन्न नहीं छलैन , मुदा भात त पासा लैत छलाह , कठमस्त देह छलैन ।  मुदा से सभ मीना केर नीक नहीं लागैत छलैक ।  प्रणव स्कूल जाय्तैक , आब्बसे पध्तैक , एहन सोन सन छौरा भनसिया नहीं बनतैक , महीश नहीं चरौतैक .... किन्न्हू नहीं ...


आ प्रणव स्कूल जायत रहल , मामिक स्नेहक छाहरी तर बाधित रहल । कियो पूछैक ---- बियाह करबे प्रणब ?

झट कहैक -- हँ

--- ककरा स ।

मामी स । प्रणव सभ बेर एक्के जवाब देत छलैक । सूनी क मीना हँसा लागैत छलैक आ फेर हसित - हसित गंभीर भ दूनो हाथे ओकर मूह ध कहैत छलैक --- अब्बसे करब आहा संग बियाह । एहन राजकुमार सन बार हमारा कता भेटत ? आ फेर हसी क कहैत छलैक ? कानी जल्दी - जल्दी पिघ होऊ नहीं त बुध भ जायब हम । तखन बुधिया कनिया स वियाह कर परत ।


आ सत्ते जल्दी - जल्दी बढ़ी गेल प्रणव । १० बरखक होयते - होयते , पच्मा क्लास में पहूचैत - पहूचैत सचेस्स्ट भ गेल ओ ।   तखन मामी पूछैक --- हमारा संग बियाह करब ? आब त मोछो पमह देने जाइए ।
धत्त प्रणव एकदम लज्जा क कहैक --- मामी केर संगे कत्तौ बियाह भेलई ए।

देखू आब अपन बात बदली रहल छि आहा ? बुढिया कनिया मुदा पींड नहीं छोरत ।

आ प्रणव हँसा लागे आ हँसैत देखे जे अई पाच बरख में मामिक रंग जेना आर चमकी गेल होई , देह आर गमकी गेल होई । ओई आन्गंबाली नानी हरदम कहैक प्रणव के ---तोहर माई एहने छ्लौक , अनमन तोरे मामी सन , एहने सुनर आ एहने बूझ्नूक । प्रणव मामिक चेहरा में माई केर ताकैत बाजय ---माई बताक कतहू बियाह भेलाही ए ? आहा मामी थोरे छि हमर ---आहा त माय छि ।




आ मीना करेज स सत्तालैक  ओकरा । ओही  अस्पर्शक नरमी आ ओही देहक  सुगंध में डूबल प्रणव ठाढ़ रही जाय ।  जोर स धर्धरात मामिक छातिक स्वर ओकर कान में बजैक मुदा कोनो अर्थ नहीं लागेक ।




मुनर झा देखि लेलथिन त दाट्बो करतीं कतेक बेर --- कियैक एना दूरि क रहल छिये एकरा ?  कोनो बचा अछि आब  जे एना कोरा में लेने रहित छियैक ।




मिन्ना हस्सी क टारि दैक ।



मुदा माला त अतःतः  क देलकैक ओही दीन । कने हाथ छुआ गेलिक त सम्धानिक चाट लगा देलकैक --- सुख ने देखू । हमर देह छूता । मखानक पात स मूह पोछी आ पहिने ।



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